राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (NCRB ) ब्यूरो की वर्ष 2020 की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। इस हिसाब से 2019 की तुलना में 2020 में कोरोना काल के दौरान दर्ज महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में 8.3 फीसदी की कमी आई है। हालांकि देश के राजधानी शहर में अन्य महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराधों की दर सबसे अधिक है। NCRB के मुताबिक दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है।
देश की राजधानी में 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 10,093 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। यह मुंबई, पुणे, गाजियाबाद, बैंगलोर या इंदौर में दर्ज अपराधों की संख्या से दोगुने से अधिक थे। 2018 में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 13,640 मामले दर्ज किए गए और अगले वर्ष यह संख्या घटकर 300 हो गई। आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि ज्यादातर मामलों में अपराधी पीड़ितों (परिवार, पड़ोसियों, आदि) को जानते थे।
दिल्ली में साइबर क्राइम कम
पिछले एक साल में ऑनलाइन चोरी, धोखाधड़ी और यौन उत्पीड़न सहित साइबर अपराधों में वृद्धि देखी गई है। पुलिस ने कहा कि दिल्ली में 168 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस बीच दिल्ली में अन्य महानगरों की तुलना में कम साइबर अपराध दर है।
वास्तव में NCRB द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 2019 से 2020 तक एक वर्ष में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल दिल्ली पुलिस ने 2.4 लाख से अधिक मामले दर्ज किए, या एक दिन में 650 से अधिक मामले दर्ज किए। वहीं बेंगलुरु में 19,964 और मुंबई में 50,000 मामले सामने आए। 2020 में कुल 472 हत्या के मामले दर्ज किए गए। इसके पीछे सबसे आम मकसद प्रेम संबंध और संपत्ति विवाद थे। 2019 में 521 हत्या के मामले सामने आए हैं।
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अपहरण के सबसे ज्यादा मामले दिल्ली में
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि अपहरण के मामलों की संख्या 2019 में 5,900 से बढ़कर 2020 में 4,062 हो गई है। उनमें से 3,000 से अधिक पीड़ित 12 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के थे। हालांकि आंकड़ों में गिरावट के बावजूद अपहरण के सबसे ज्यादा मामले दिल्ली में हैं। दिल्ली के बाद मुंबई में 1,173 मामले और लखनऊ में 735 मामले हैं।