मोदी सरकार द्वारा साल 2021 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की बात कही गई थी जिसे अब सरकार से मंजूरी मिल गई है। मिशन को पूरा करने के लिए 19 हजार 744 करोड़ रुपये की राशि भी जारी कर दी गयी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार इस योजना के जरिये सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके अवयवों के उत्पादन और निर्यात का केंद्र बनाना चाहती है। कहा जा रहा है कि इसके द्वारा कार्बन उत्सर्जन को कम करने का प्रयास किया जाएगा जिससे आयातित जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता कम होगी।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
इस मिशन का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन की समस्या को कम करना है। ग्रीन हाइड्रोजन, हाइड्रोजन गैस के निर्माण की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बिना प्रदूषण के हाइड्रोजन गैस बनाई जाती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन पानी यानी H2O ने निकाला जाता है। जब बिजली पानी से होकर गुजरती है तो हाइड्रोजन अपने आप टूटकर अलग हो जाता है। इससे निकलने वाली ऊर्जा बिल्कुल साफ और स्वच्छ होती है। फिर इसे इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से H2O को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग किया जाता है। इसी प्रकार जब अन्य नवीनीकरण ऊर्जा, जैसे सौर ऊर्जा , जलीय ऊर्जा , वायु ऊर्जा, बायोमास जैसे ऊर्जा स्रोतों से जब हाइड्रोजन का निर्माण किया जाता है तो इसे ग्रीन एनर्जी के नाम से जाना जाता है। वहीं जब हाइड्रोजन का निर्माण परम्परागत ऊर्जा से किया जाता है तो यह ग्रे हाइड्रोजन कहलता है। क्योंकि अधिकांश देश परंपरागत ऊर्जा का ही इस्तेमाल करते हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन का क्या होगा प्रभाव
ग्रीन हाइड्रोजन एक कार्बन मुक्त,ऊर्जा स्रोत है जो विद्युतीकरण का पूरक बन सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन पानी के अणुओं को इलेक्ट्रोलाइज करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करता है जिससे इस प्रक्रिया में कार्बन या अन्य किसी हानिकारक तत्व का उत्सर्जन नहीं होती है। इसलिए यह मिशन इकोफ्रेंडली भी है क्योंकि इसका पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
हाइड्रोजन के प्रयोग
हाइड्रोजन या ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग उद्योग में किया जा सकता है। घरेलू में प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरणों को बिजली देने के लिए भी मौजूदा गैस पाइपलाइनों में इकठ्ठा किया जा सकता है। साथ ही बिजली से चलने वाली किसी भी चीज को बिजली देने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के साथ किया जा सकता है, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण।