नर्मदा घाटी में सत्तर के दशक से चल रहे आंदोलन का सिलसिला आज भी जारी है, लेकिन बांध प्रभावितों की समस्याएं खत्म होने के बजाए बढ़ती ही जा रही हैं। अपने जायज हक-हकूक के लिए बांध प्रभावित जनता को बार-बार आंदोलन के लिए विवश होना पड़ रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुकीं मेधा पाटकर को इन दिनों एक बार फिर प्रभावितों की मांगों को लेकर अनशन करना पड़ा। उनकी चिंता का खास कारण यह है कि सरदार सरोवर बांध से जल निकासी बंद करने के गुजरात सरकार के फैसले के कारण मध्य प्रदेश के बड़वानी सहित आस-पास के 192 गांवों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के उचित पुनर्वास और बांध के गेट खोलने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के छोटा बड़दा गांव में आठ दिनों तक अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन किया। उनके साथ आंदोलनरत हजारों ग्रामीणों की सेहत में लगातार गिरावट के बाद उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मामले में तत्काल दखल देना चाहिए। नर्मदा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण प्रभावित इलाकों के लगभग 32 हजार परिवारों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि विकास लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए न कि उनका जीवन अस्थिर करने के लिए। इसके मद्देनजर ही पाटकर ने बड़वानी में अनिश्चितकालीन उपवास किया। वह सरदार सरोवर बांध के शटर बंद करने और जल स्तर को 138.68 मीटर करने के गुजरात सरकार के कदम का विरोध कर रही थीं। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की तबीयत बिगड़ने का हवाला देते हुए भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
दरअसल, मध्य प्रदेश के दो जिलों में सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर का स्तर 128 मीटर के पार पहुंचने से निचले इलाकों में जल भराव हो गया और 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। ये इलाके गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आते हैं। धार और बड़वानी जिलों में अब तक इन इलाकों के 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जा चुका है। धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वाटर का स्तर पिछले कई दिनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वहां एकाएक बाढ़ आने जैसी कोई स्थिति नहीं है। जल भराव के कारण जिन निचले इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, उनमें चिखल्दा गांव और निसरपुर कस्बा शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक बांध परियोजना से विस्थापित होने वाले हजारों लोग इस नदी के किनारों की अपनी मूल बसाहटों में अब भी डटे हैं। सरकारी अमला इन लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से डूब क्षेत्र खाली करने की गुजारिश कर रहा है।
बड़वानी जिले के राजघाट गांव में बांध के बैक वाटर का स्तर खतरे का निशान पार करते हुए 128 मीटर के पार पहुंच चुका है। इस गांव में खतरे का निशान 123 .28 मीटर पर है। जलस्तर बढ़ने से बड़वानी और धार जिलों के जोड़ने वाला राजघाट का पुराना पुल पहले ही डूब चुका है। गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध में भरे पानी का स्तर भी 128 मीटर को पार कर गया है, जबकि इस बांध को लगभग 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरा जा सकता है। 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सरदार सरोवर बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने से आने वाली डूब के कारण मध्य प्रदेश के 141 गांवों के 18,386 परिवार प्रभावित होंगे। सूबे में बांध विस्थापितों के लिए करीब 3,000 अस्थायी आवासों और 88 स्थायी पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन का दावा है कि बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने की स्थिति में सूबे के 192 गांवों और एक कस्बे के करीब 40,000 परिवारों को विस्थापन की त्रासदी झेलनी पड़ेगी।
संगठन का यह भी आरोप है कि सभी बांध विस्थापितों को न तो सही मुआवजा मिला है, न ही उनके उचित पुनर्वास के इंतजाम किये गये हैं। विस्थापन की स्थिति बनने से आक्रोशित लोगों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के नेतृत्व में छोटा बारदा गांव में जल सत्याग्रह आंदोलन किया। हालांकि सरकार की ओर से जानमाल की रक्षा सुरक्षा के लिए 12 नौका, 4 बोट और एनडीआरएएफ की टीम सक्रिय है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के समर्थन में सामाजिक संगठनां ने एक दिन का उपवास रखा। इस अवसर पर राजातालाब में सभा आयोजित की गई। सभा में मनरेगा मजदूर यूनियन व पूर्वांचल किसान यूनियन से जुड़े तमाम गांव के सैकड़ों मजदूर, किसान व नौजवान शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार केवल कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से सरदार सरोवर का जलस्तर 139 मीटर तक ले जाना चाहती है, जिसके विरोध में मेधा पाटकर पीड़ित परिवारों संग अनशन पर बैठी। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो हम लोग मेधा पाटकर के समर्थन में सड़कों पर भी उतरेंगे।

विमल भाई
मेधा पाटकर के इस आंदोलन से जुड़े ‘नेशनल अलायंस आफ पीपुल्स मूवमेंट’ के विमल भाई ने ‘दि संडे पोस्ट’ को बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आंदोलनकारियों के साथ संवाद कर सभी बांध प्रभावितों के पुनर्वास का आश्वासन दिया गया है। सरकार का अपने नागरिकों के हितों की रक्षा का आश्वासन प्रशंसनीय है लेकिन अब ठोस और पारदर्शी कार्यवाही की आवश्यकता है। सरकार के मध्यस्थों तथा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कमिश्नर पवन कुमार से ढाई घंटे चर्चा कर प्रभावित प्रतिनिधियों और नशनकारियों ने विचार कर अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया। प्रभावितों के पुनर्वास के लिए अगले सप्ताह 9 सितंबर से भोपाल में विस्तृत चर्चा प्रारंभ होगी।
अनेक सामाजिक संगठन तथा नागरिक अपना समर्थन देने हेतु सत्याग्रह स्थल पहुंचे। मनरेगा मजदूर यूनियन (बनारस), संगतिन किसान मजदूर संगठन, सीतापुर (उत्तर प्रदेश), राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, धुलिया, मालेगांव, नासिक और औरंगाबाद समर्थक समूह, वांग मराठवाड़ी धरणग्रस्त के सदस्यों, सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ सुगन बरण्ठक, दसम के संजीव कुमार, हरिजन सेवक संघ के मधुकर सिरसाठ, श्रुति के सत्यम श्रीवास्तव, जयस के गजेन्द्रव मंडलोई, प्रतिभा सिंटेक्स कर्मचारी संघ (पीथमपुर) आदि ने सत्याग्रह स्थल पहुंच कर समर्थन जाहिर किया। इसके अलावा देश भर के समस्त सर्वोदय मंडलों तथा एनएपीएम के साथियों ने 26 राज्यों में सत्याग्रह के समर्थन में एक दिन का उपवास किया। बरगी बांध प्रभावित संघ (जबलपुर) और जन अधिकार संघ ने बरगी नगर (जबलपुर) में रैली निकाल कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। आईएलएस विधि महाविद्यालय पुणे के कुछ छात्रों, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के सदस्यों ने आज सत्याग्रह के समर्थन में उपवास किया। छोटा बड़दा समेत कुछ गांवों में ‘चूल्हा बंद’ रखा गया। रेवानगर और चिखली पुनर्वास स्थलों (महाराष्ट्र) में बंद का आयोजन किया गया।
प्रभावितों ने आक्रोश जाहिर करने के लिए चक्काजाम एवं प्रधानमंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री के पुतलों को जलसमाधि दी। नर्मदा चुनौती सत्याग्रह के समर्थन में गणपुर चौकड़ी (मनावर) पर आधे घंटे का सांकेतिक चक्का जाम किया गया। इस अवसर पर 500 प्रभावितों को संबोधित करते हुए कहा गया कि वे बिना पुनर्वास डूब का हर स्तर पर विरोध करेंगे तथा गांव खाली करवाने की सरकार की दमनात्मक कार्रवाई का सामना करेंगे।
चक्काजाम के बाद प्रभावितों ने गणपुर चौकड़ी पर स्थित सरदार पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण कर प्रधानमंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री को देश के हर नागरिक के प्रति समदृष्टि से रखने की सद्बुद्धि प्रदान करने की कामना की। इसके बाद सारे प्रभावितों ने कसरावद (बड़वानी) पुल पहुंच कर प्रधानमंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री के पुतलों को सरदार सरोवर के जलाशय में जलसमाधि दे दी। प्रभावितों ने संकल्प लिया कि प्रदेश के 32 हजार परिवारों की जलसमाधि उन्हें मंजूर नहीं है। इसके अलावा निसरपुर में आज मोटर सायकल रैली का आयोजन भी किया गया आंदोलन के मुद्दों पर सरकारी जवाब आंदोलन द्वारा पुनर्वास से संबंधित 33 मुद्दों पर विस्तृत ज्ञापन विभाग के मंत्री को 25 जनवरी 2019 को सौंपे गए थे। विभाग द्वारा इसके जवाब अनशन के 7वें दिन 31 अगस्त 2019 की रात को उपलब्ध करवाए गए। ये जवाब अतार्किक, असंबद्ध, हास्यास्पद और पीड़ित प्रभावितों की हंसी उड़ाने वाले होकर विधिसम्मत नहीं हैं। आंदोलन ने इन जवाबों को सिरे से खारिज करते हुए इसे तैयार करने वाले अधिकारी से सरकार को सतर्क रहने का निवेदन किया।