गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले ही राजनीतिक पार्टिया सियासी समीकरण साधने में जुट गई है। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा नरेश पटेल का है। जिन्होंने ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है।
दरअसल, गुजरात की राजनीती में पाटीदार समाज का एक अलग महत्व है। इसी पाटीदार समाज से नरेश पटेल आते है। इतना ही नहीं नरेश पटेल एक बिजनेसमैन हैं और श्री खोडलधाम ट्रस्टके चेयरमैन हैं। खोडलधाम मंदिर गुजरात में बसे लेउवा पटेलों के लिए मुख्य संस्थान है। इसे भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है। इसकी स्थापना साल 2017 में नरेश पटेल ने की थी। लेउवा पटेल का गुजरात के कच्छ इलाके में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा राजकोट, जामनगर, अमरेली, भावनगर, जूनागढ़, पोरबंदर और सुरेंद्रनगर जिलों में अच्छा प्रभाव है। सौराष्ट्र के 11 जिलों के अलावा सूरत में पाटीदार अच्छी खासी संख्या में हैं। इसी समुदाय से नरेश पटेल भी संबंध रखते हैं। जो गुजरात में अच्छा खासा प्रभाव रखते है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेलभी पटेल समुदाय से है। जो पटेल समुदाय की कडवा उपजाति से संबंध रखते हैं। यह दोनों समुदाय गुजरात में अच्छा खासा पकड़ रखते है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,गुजरात में पटेल समुदाय की आबादी गुजरात के कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत यानी डेढ़ करोड़ हैं। जो राज्य के 182 विधानसभा सीटों में से 70 विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं।
इसीलिए भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दल उन्हें रिझाने की कोशिश कर रहे है। क्योंकि भाजपा को तो डर है कि नरेश पटेल कहीं अन्य राजनीतिक दलों में न शामिल हो जाए। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कडवा पाटीदार हैं जो मूलतः उत्तरी गुजरात के निवासी हैं और नरेश पटेल लेउवा पाटीदार हैं। जो सौराष्ट्र और मध्य गुजरात में बसे हैं। दोनों ही समुदाय शुरू से कृषि से जुड़े हैं और इनके पास पहले पट्टे हुआ करते थे इसीलिए इन्हें पाटीदार भी कहा गया है। जिस तरह से पिछले दिनों खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खोडलधाम में जाकर गरबा में हिस्सा लिया था। उसे बाद लग रहा था कि नरेश पटेल आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते है। लेकिन बाद में उन्होंने साफ कर दिया था कि वो सक्रिय राजनीति का हिस्सा अभी नहीं बनने जा रहे हैं। हालांकि साथ हर राजनीतिक दल चाहता है। इसीलिए, राजनीतिक दल खोडधाम के चक्कर लगाये जा रहे हैं। नरेश पटेल ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। केवल कयास लगाए जा रहे है कि जल्द राजीतिक पार्टी में शामिल हो सकते है।
गौरतलतब है कि साल 2017 में नरेश पटेल ने खोडलधाम की स्थापना की थी। जो भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक मंदिरों में से एक बन गया है। यह मंदिर पाटीदार लेउवा समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसमें इस मामुदाय का आस्था है।इस खोडलधाम कोरिडोर में कई और मंदिर भी बने हैं। जो अन्य समुदाय का भी श्रद्धा का केंद्र हैं।