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मोहनलालगंज लोकसभा सीट अब नाक की लड़ाई का गढ़ बन चुका है। ऐसी स्थिति तब आयी जब कांग्रेस ने पूर्व बसपा नेता आरके चैधरी को अपना प्रत्याशी घोषित किया। इस सीट पर भाजपा की तरफ से सिटिंग एमपी कौशल किशोर को एक बार फिर से मैदान में उतारा गया है।
नाक की लड़ाई का गढ़ बन चुके मोहनलालगंज सीट पर मतदाताओं की अंकगणित तो यही कहती है कि यदि भाजपा जरा भी चूकी तो निश्चित तौर पर आरके चैधरी की जीत तय है। कौशल किशोर की भांति श्री चैधरी भी स्थानीय नेता हैं और आम जनता के बीच उनकी चहलकदमी सिर्फ चुनावों तक ही सीमित नहीं रहती अपितु वे पूरे समय अपने क्षेत्रवासियों के बीच ही नजर आते हैं। कमोवेश यही हाल कौशल किशोर का भी है। दोनों के बीच फर्क बस इतना है कि कौशल किशोर भाजपा की आंधी के साथ हैं जबकि आरके चैधरी प्रियंका की लोकप्रियता के सहारे और भाजपा से नाराज लोगों की बदौलत अपना भाग्य आजमाने मैदान में नजर आ रहे हैं। मतदान 06 मई को होना है। तैयारी दोनों ओर से हो रही है। एक-दूसरे की टांग भी खींची जा रही है और अपने कार्यकाल में कराए गए कार्यों को भी गिनाया जा रहा है लेकिन इलाके का 19 लाख 56 हजार 357 वोटरों में जातिवाद और धर्मवाद का अंकगणित दोनों ही प्रत्याशियों के माथे पर बल पैदा कर रहा है।
पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 49 हजार 52 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 7 हजार 243, यानी लगभग बराबर की हिस्सेदारी। यह लोकसभा सीट खासतौर से ग्रामीण इलाकों की है। कहना गलत नहीं होगा कि यदि साक्षरता में पिछडे़ इन इलाकों में यदि किसी भी राजनीतिक दल ने घुसपैठ अच्छी बना ली और मतदाताओं के मन में अपनी बात कहने और समझाने में सफल हो गया तो निश्चित तौर पर उसकी जीत सुनिश्चित है। इस बार यहां से  62 थर्ड जेंडर मतदाता भी पहली बार किसी पार्टी प्रत्याशी को वोट डालेंगे। इनके निर्वाचन कार्ड इन्हें मिल चुके हैं।
मोहनलालगंज लोकसभा सीट अन्तर्गत बख्शी का तालाब, सिधौली, मोहनलालगंज, मलिहाबाद और सरोजनी नगर क्षेत्र आते हैं। इनमें से मलिहाबाद और सरोजनी नगर में भाजपा सांसद कौशल किशोर का रुतबा कायम है जबकि मोहनलालगंज में आरके चैधरी को मानने वालों की संख्या अधिक है। श्री चैधरी यहां से विधायक भी रहे चुके हैं।
बताते चलें कि कांग्रेस ने पहले इस सीट पर राम प्रकाश भार्गव को टिकट दिया था लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस ने अपना फैसला बदला और आरके चैधरी को मैदान में उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया। कहा जा रहा है कि यदि श्री भार्गव को टिकट दिया जाता तो निश्चित तौर पर यह मुकाबला एकतरफा रहता और भाजपा प्रत्याशी कौशल किशोर को कोई नहीं हरा सकता था लेकिन श्री चैधरी के मैदान में उतर आने से मुकाबला तो रोचक हुआ ही है साथ ही भाजपा की एकतरफ जीत पर भी ग्रहण लग गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं के उत्साह की बात करें तो उनमें भी अब वह बात नजर नहीं आती जो बात कांग्रेस के पूर्व घोषित प्रत्याशी के समय थी। श्री चैधरी के मैदान में उतरते ही भाजपा कार्यकर्ताओं के चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती है।
बसपा से सीएल वर्मा मैदान में हैं। ये सीट गठबन्धन की सीट है लिहाजा सीएल वर्मा को सपा नेताओं का भी समर्थन मिलेगा। प्रश्न यह उठता है कि पिछले चुनाव के समय तक जो सपाई अपने विरोधी दल बसपा नेताओं को फूटी आंख नहीं सुहाते थे वे अब बसपा नेता श्री वर्मा को किस प्रकार से जीत दिलायेंगे? ये देखने वाला होगा लेकिन इतना जरूर है कि बसपा प्रत्याशी सीएल वर्मा भी दौड़ में शामिल हैं। यदि सपा नेताओं ने बसपा प्रत्याशी के समर्थन में जान लगा दिया तो इस सीट पर चमत्कारिक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं।
कुल मिलाकर मोहनलालगंज लोकसभा सीट अब तीन दलों के बीच नाक की लड़ाई बन चुकी है। राजनीतिक विश्लेषकों की गणित भी आंकलन लगा पाने में असमर्थ हैं तो दूसरी ओर राजनीति की पत्रकारिता करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों में भी यह सीट काफी रोचक हो चली है।

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