सुप्रीम कोर्ट ने सानन्द के शव को मातृसदन भेजने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया है। नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने 26 अक्टूबर को मामले की सुनने के बाद 8 घंटे के भीतर शव अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश से मातृसदन भेजने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के इसी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया है।
ज्ञात हो कि एम्स प्रशासन के मुताबिक स्वामी सानंद ने अपना शरीर एम्स ऋषिकेश को दान कर दिए थे। इसी को कारण बता कर सानन्द के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को नहीं दिया। जिसे हरिद्वार के समाजिक कार्यकर्ता और सानन्द के करीबी डॉ विजय वर्मा ने हाईकोर्ट नैनीताल में पीआईएल डालकर उनके शरीर का अंतिम दर्शन करने का आग्रह किया था। एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी हरिश थपलियाल ने बताया कि 11 अक्टूबर को स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने के शरीर त्याग के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम करने के बाद शरीर में रासायनिक लेप लगाया गया। वर्तमान में सबको फॉर्मलीन के टैंक में रख दिया गया है ताकि शव सुरक्षित रहे। एम्स के अनुसार यदि शव को बाहर निकाला जाता है तो उसके खराब होने की ज्यादा संभावना है।
करीब 15 दिन और नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद सानन्द का पार्थिव शरीर मातृसदन में दर्शन के लिए रखने का रास्ता साफ हो गया था। मगर सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद इस पर रोक लगा गया है। डॉ विजय वर्मा अब सुप्रीम कोर्ट के इस स्टे के खिलाफ याचिका डालने की तैयारी कर रहे हैं।