मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड को लेकर बिहार की राजनीति गर्मा गई है। विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेतों को बचाने के लिए सीबीआई अब अपनी पूर्व की कहानी से ही पलट गई है। मुजफ्फरपुर के चर्चित बालिका गृह हत्याकांड मामले में अब जो नया मोड आया है, उससे बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है।
विपक्ष ने इस मुद्दे पर राज्य की नीतीश कुमार सरकार को जिस तरह घेरना शुरू किया है, उससे ऐसा लगता है कि राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में यह कांड एक अहम मुद्दा बनाने वाला है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में यह कांड देश भर में इस बात को लेकर सुर्खियों में रहा था कि मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में कई लड़कियों को न सिर्फ दुष्कर्म और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार बनाया गया, बल्कि उनकी हत्यायें भी हुई।
सीबीआई ने इस मामले में तब 21 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया था, लेकिन अब सीबीआई ने पूर्व की अपनी कहानी ही पलट दी है। अब सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें उसने कहा है कि इस बालिका आश्रय गृह में लड़कियों की हत्या के कोई सबूत नहीं मिले। उसका यह भी कहना था कि जिन 35 लड़कियों को मरा मान लिया गया था वे बाद में जिंदा मिली हैं।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण का मामला मई 2018 में तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने अपने ऑडिट के दौरान यहां की बच्चियों से बातचीत कर एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसके बाद पुलिस जांच में कई लड़कियों के गायब होने का खुलासा भी हुआ था। विवाद बढ़ा तो राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
बीते वर्ष सीबीआई ने एनजीओ के संचालक और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में कई लड़कियों की हत्या की गई। एजेंसी का यह भी कहना था कि परिसर में की गई खुदाई में उसे कंकाल भी मिले हैं।
एजेंसी के मुताबिक ब्रजेश ठाकुर ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया। इसके बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 21 आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में आरोप तय करते हुए मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। लेकिन अब जांच एजेंसी ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि दो कंकाल बरामद हुए थे, लेकिन बाद में फॉरेंसिक जांच में पता चला कि ये कंकाल एक महिला और एक पुरुष के थे।
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी करीब दस महीने का समय शेष है, परंतु सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच इस मुद्दे को लेकर तीखी बयानबाजी प्रारंभ हो गई है। इस बीच चुनावी वर्ष में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने नया नारा गढ़ा है। लालू ने कहा ‘दो हजार बीस- हटाओ नीतीश।’ चुनाव से पहले राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए लोगों से अपील की है कि राज्य से नीतीश सरकार का हटना जरूरी है। बिहार में इस समय जद(यू) और भाजपा की सरकार है।
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। राबड़ी ने ट्वीट किया, ‘मुख्यमंत्री दुष्कर्मियों को बचाना चाहते हैं, क्योंकि मूंछ वाले, तोंद वाले अन्य आरोपी उनके साथ कैबिनेट में बैठे हैं?’ राबड़ी ने एक अन्य ट्वीट में सवालिया लहजे में कहा, ‘नीतीश जी बताएं, वह ब्रजेश ठाकुर के अखबार को करोड़ों का विज्ञापन क्यों देते थे? उसकी स्वयंसेवी संस्था को फंड क्यों करते थे? उसके घर केक खाने क्यों जाते थे? उसे चुनाव क्यों लड़वाते थे?’
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में जांच एजेंसी सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि उसने किसी बच्ची का शव बरामद नहीं किया। जो कंकाल मिला था वो किसी वयस्क व्यक्ति का था। इसके बाद इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर अब हत्या का कोई मामला नहीं चलेगा। लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह की बलात्कार पीड़ित 34 बच्चियों ने बताया था कि उनकी दो-तीन साथियों की जघन्य दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर शव वहीं उसी काम्पाउंड में गाड दिए गए थे। खोदने पर उनके कंकाल भी मिले, लेकिन अब नीतीश कुमार के चहेतों और मंत्रियों को बचाने के लिए सीबीआई कहानी पलट रही है।
तेजस्वी का कहना है कि सरकारी संरक्षण में 34 बच्चियों के साथ सत्ताधारी सफेदपोशों द्वारा वर्षों तक सामूहिक बलात्कार की घटना उजागर होने पर पूरे देश में हाहाकार मचा था। देश की रूह कांप उठी थी, उस पर अब सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल में शामिल उनके शिष्यों को बचाने की कोशिशें हो रही हैं। इस बीच कोर्ट ने कहा विपक्ष की ओर से तीखे सवाल उठाए जा रहे हैं कि कैसे अनाथ लड़कियों के साथ सत्ता संपोषित व संरक्षित सामूहिक दुष्कर्म किया जाता रहा और सीएम मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और गैंग को लगातार फंडिंग करते रहे? उसके घर जाते रहे?
उसके अखबार को नियमों के विपरीत जाकर करोड़ों के विज्ञापन देते रहे? उसे चुनाव भी लड़वाते रहे? अब उसके विरुद्ध स्पष्ट साक्ष्य होने के बावजूद उसे बचाने की लाख कोशिशें कर रहे हैं। आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बड़ी मछलियों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री कुछ छोटी मछलियों की बलि चढ़वा दें। ब्रजेश ठाकुर के खुद के कर्मचारी बता रहे हैं कि बच्चियों की हत्या कर शव यहां गाडे गए थे।
शेष पीड़ित लड़कियां बता रही हैं, पड़ोस के प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं, क्या किसी के घर में किसी और के कंकाल मिलेंगे? अगर कुछ नहीं हुआ था तो नीतीश कुमार ने तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा का इस्तीफा क्यों मांगा? दूसरे मंत्री को क्यों छोड़ा? उनके अति विश्वासपात्र के सहयोगी के एनजीओ से भी लड़कियां गायब हुई थीं और उसको इसका इनाम देते हुए मुख्यमंत्री ने बाद में उसे भी मंत्री बनाया। नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर बलात्कार कांड पर अपनी भूमिका और ब्रजेश ठाकुर से गहरे रिश्तों पर अब तक स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया?