केरल के मुस्लिम परिवार ने गोद ली हुई बेटी का हिंदू रीति-रिवाज से धूमधाम से रविवार को मंदिर में जाकर शादी कराई। यह परिवार हमारे समाज के लिए मिसाल है। यह खबर केरल की कासरगोड जिले की है। लड़की का नाम राजेश्वरी है। मुस्लिम दम्पति अब्दुल्ला और खदीजा ने राजेश्वरी को उसके पिता सरवानन की मौत के बाद गोद ले लिया था। उस वक़्त राजेश्वरी करीबन 5-6 साल की थी।
Kerala: A Muslim couple organised their foster daughter Rajeshwari's marriage as per Hindu rituals in a temple in Kasaragod, yesterday. The couple raised Rajeshwari after her father, who was working on the couple's farmland died when she was a child. pic.twitter.com/moIn2Wz2dc
— ANI (@ANI) February 17, 2020
राजेश्वरी के पिता सरवानन अब्दुल्ला के फार्म पर काम करते थे। राजेश्वरी की मां की मौत पहले ही हो गई थी। पिता की मौत के बाद राजेश्वरी का कोई नहीं था। ऐसे में खदीजा ने राजेश्वरी को गोद ले लिया। खदीजा ने अपनी बेटी की तरह राजेश्वरी को लालन-पालन और पढ़ाया। इसके साथ-साथ उन्होंने राजेश्वरी को हिन्दू धर्म की संस्कृति भी सिखाई। घर पर हिन्दू फेस्टिवल मनाया जाता। पूजा होती। ख़दीजा ने खुद हिन्दू धर्म की तालीम राजेश्वरी को दी।
पिछले दिनों 22 साल की राजेश्वरी के लिए विष्णु नाम के एक लड़के का शादी का प्रस्ताव आया। दोनों परिवारों ने शादी तय कर दी। विष्णु 28 वर्ष के हैं और पेशे से लैब तकनीशियन हैं। विष्णु के परिवार ने इच्छा जाहिर कि की शादी किसी मंदिर में हो। जिसपर राजेश्वरी के दत्तक परिवार ने कहा कि शादी मंदिर में ही होगी। हमने शादी के लिए पैसे बचाए हैं और वे सब कुछ करेंगे जो हम अपने बच्चों के लिए करते।
Congratulations. Great work. May God bless them. for this kind and humanitarian work.
— Black Tiger. (@samirjenababu) February 18, 2020
कन्हंगड़ के भगवती मंदिर में शादी तय हुई। ताकि सभी धर्मों के लोग आ जा सकें। भगवती मंदिर में रविवार को मुस्लिम परिवार ने अपनी हिंदू बेटी की शादी और विदाई की। पारंपरिक हिंदू परिधान में सजी राजेश्वरी की शादी विष्णु प्रसाद के साथ हुई। इस दौरान परिवार और दोस्तों के अलावा हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग मौजूद थे। सैकड़ों लोगों ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया। राजेश्वरी और विष्णु ने पिता अब्दुल्ला और खदीजा के पैर छूकर आशीर्वाद लिए। दोनों का विवाह बहुत धूमधाम से की गई।
Epic example of "Secular India"
— Citoyen Responsable (@Citoyenresponsa) February 17, 2020
वहीं सोशल मीडिया पर अब्दुल्ला और खदीजा की खूब तारीफ लोग कर रहे हैं। लोग इसको हिन्दू-मुस्लिम सद्भावना की मिसाल दे रहे हैं। कई यूजर्स ने इस जानकारी को शेयर करते हुए लिखा कि जो इस परिवार ने किया वो इंसानियत की मिसाल है। हिन्दू-मुस्लिम पर लड़ने वालों को सीखना चाहिए कि कैसे एक पांच साल की बच्ची के मजहब का पूरे परिवार ने सम्मान किया जबकि वो दूसरे धर्म को मानते हैं।
https://twitter.com/GulRose_views/status/1229426748875427840
केरल में बीते महीने भी एक ऐसी ही खबर आई थी। जब अलापुझा की मस्जिद में एक हिन्दू जोड़े ने शादी का सात फेरे लिए थे। मस्जिद परिसर में बैठकर पंडित ने मंत्रोच्चार के साथ शादी कराई थी। ये सब मस्जिद कमेटी और स्थानीय नागरिकों की मदद से कराया गया था। अलापुझा के चेरुवल्ली में बेटी आशा की शादी में आ रही आर्थिक मुश्किल का सामना कर रही हिन्दू महिला ने जब इस बारे में स्थानीय मस्जिद कमेटी को बताया तो कमेटी ने शादी का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया। और धूमधाम से शादी कराई। आशा के पिता की मौत उसके बचपन में ही हो गई थी।
https://www.facebook.com/dmsurjan/posts/2707712015931013
इस शादी में बाराती और स्थानीय मिलाकर 1000 लोग शामिल हुए थे। शादी में शाकाहारी खाने का इंतजाम किया गया था। मस्जिद कमेटी की ओर से दुल्हन को सोने के 10 सिक्के दिए गए और दो लाख रुपए भी तोहफे के तौर पर दिए गए। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इस शादी की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा था, “यही केरल की संस्कृति है और हमारी ताकत भी।” ये दोनों कहानी सीख है उनके लिए जो हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाना चाहते हैं। ये हमारी एकता अखंडता, सम्प्रभुता की मिसाल है। ये बताती है कि हम एक हैं।