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निरंजनी अखाड़े के महंत आशीष गिरी की हत्या या आत्महत्या ?

 

एक दशक पूर्व पहाड़ों से निकलकर प्रयागराज में साधु-संतों की मंडली में रमने वाले हरिद्वार के नामी संत आशीष गिरी की हत्या है या आत्महत्या यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा । लेकिन फिलहाल प्रयागराज पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही घोषित कर दिया है कि निरंजनी अखाड़े के महंत और सचिव आशीष गिरी ने अपने ही रिवाल्वर से गोली चला कर आत्महत्या कर ली । आत्महत्या का कारण बीमारी बताया जा रहा है ।

बताया जा रहा है कि निरंजनी अखाड़े के महंत व सचिव आशीष गिरी ने आज सुबह बीमारी से परेशान होकर अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के आलाधिकारी एवं अखाड़ा परिषद अध्यक्ष समेत कई संत मौके पर पहुंचे।

प्रयागराज के दारागंज मोरी स्थित निरंजनी अखाड़ा कार्यालय के दूसरी मंजिल पर निवास करने वाले संत आशीष गिरी (45 वर्ष) लगभग दस वर्ष पूर्व उत्तराखंड पहाड़ी से यहां आए और अखाड़े के विकास में लग गए। लगातार उनके काम को देखते हुए संतों ने उन्हें निरंजनी अखाड़ा का सचिव बना दिया। विगत दिनों पहले उनके लीवर एवं किडनी में खराबी आ गई । जिसका उपचार उत्तराखंड स्थित अस्पताल से चल रहा था। कहा जा रहा है कि इस बीमारी से आजिज आकर आज उन्होंने अखाड़े की दूसरी मंजिल पर स्थित आवास पर अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। कमरे से गोली की आवाज सुनायी देने पर वहां मौजूद अन्य संत पहुंचे तो आशीष गिरी को खून से लथपथ हालत में पड़े देखा। बताया जाता है कि उनका लाइसेंसी रिवाल्वर उनके हाथ के पास पड़ा हुआ था।

संतों ने घटना की सूचना तत्काल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी एवं दारागंज थाना पुलिस को दी। खबर मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज, नगर पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव, सहित आलाधिकारी मौके पर पहुंचे। शव कब्जे में लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। फिलहाल, घटनास्थल की जांच करके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

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