लॉकडाउन का 7 माह का कार्यकाल लोगों के लिए कठिनाई भरा समय रहा। इस दौरान काम बंद होने के चलते काफी लोग बेरोजगार हो गए। इस बेरोजगारी को कुछ लोग तो सह गए। लेकिन कुछ के लिए यह असहनीय हो गया। इसके चलते अधिकतर लोग अपनी जीवन लीला समाप्त कर बैठे।
ताजा मामला पंजाब के फरीदकोट जिले के गांव कलेर का है। जहां एक भट्टे पर मुंशी गिरी का काम करने वाले व्यक्ति का जब काम छूटा तो उसने पूरे परिवार के साथ आग लगाकर आत्महत्या कर ली। इस दौरान एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ। जिसमें परिवार की आपबीती लिखी गई । जिसमें लॉकडाउन के दौरान हुए काम बंद के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया गया। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
मृतक की पहचान मूल रूप से राजस्थान के जिला सीकर की हुई है। सीकर निवासी 40 वर्षीय धर्मपाल पिछले 10 साल से फरीदकोट जिले के गांव कलेर में अपनी पत्नी सीमा ( 36 ) , बेटी मोनिका (15 ) , व बेटे हरीश कुमार ( 10 ) के साथ रह रहा था। धर्मपाल यहां के ढूंढी रोड पर एक ईंट भट्टे पर बतौर मुंशी का काम करता था।
आज सुबह कलेर ग्राम वासियों ने देखा कि जिस घर में धर्मपाल रहता था उस घर से धुआं निकल रहा था । लेकिन घर से किसी भी तरह की आवाज नहीं आ रही थी। इसके बाद जब मौके पर गांव वासी पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर सब के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई ।
दरअसल, परिवार के सभी चारों सदस्य आग से बुरी तरह झुलसे पड़े थे। घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच कार्य शुरू कर दिया। इस मामले में फरीदकोट के डीएसपी सतविंदर सिंह विर्क का कहना है कि पुलिस पूरे मामले की बारीकी से जांच कर रही है। और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने सुसाइड नोट के आधार पर एक संटी नामक व्यक्ति की भी जांच शुरू कर दी है । जिसमें मृतक परिवार ने लॉकडाउन के साथ-साथ ईट भट्टे के कारोबार में इस व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया है ।
उधर, गांव वालों का कहना है कि धर्मपाल कई सालों से कलेर गांव में रहता था। लॉकडाउन के कारण उसका काम ठप होने के कारण वह परेशान रहने लगा था। जिसके कारण उसने आज पूरे परिवार के साथ आग लगाकर आत्महत्या कर ली।