उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के दो अलग-अलग जगहों पर मंगलवार को रहस्यमयी तरीके से 500 से अधिक चमगादड़ों को मृत पाया गया। बेलघाट इलाके में और गोला इलाके में चमगादड़ मरे हुए मिले। चमगादड़ों की मौत से इलाके में चारों तरफ सनसनी फैल गई है। इस घटना को गांव के लोग कोरोना वायरस संक्रमण से जोड़कर देख रहे हैं।
दूसरी तरफ वन विभाग का मानना है कि अत्यधिक गर्मी और पानी न मिलने की वजह से चमगादड़ मर रहे होंगे। बहरहाल, इन मृत चमगादड़ों को पोस्टमार्टम और रिसर्च के लिए बरेली स्थित भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) वेट रिसर्च सेंटर में भेज दिया गया है।
बेलघाट के पंकज शाही ने बताया, “मैंने अपने बगीचे में सुबह देखा कि आम के पेड़ के नीचे बड़ी संख्या में चमगादड़ मरे पड़े हैं। मेरे बाग से सटा हुआ एक और बाग है, वहां भी खासी संख्या में चमगादड़ मरे पड़े थे।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी वन विभाग को दी। उसके बाद वन विभाग की टीम मृत चमगादड़ों को पोस्टमार्टम के लिए ले गई। जो टीम वन विभाग के तरफ से आई थी चमगादड़ों को देख यही कह रही थी कि बाग में पानी रखा जाए। क्योंकि वे चमगादड़ बेइंतहा गर्मी की वजह से मरे हैं। आस-पड़ोस के तालाब भी सूखे हुए हैं।
प्रभागीय वन अधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही इन चमगादड़ों की मौत का असल कारण पता लग पाएगा। नवभारत टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में बेलघाट और गोला इलाके के गोपलापुर से चमगादड़ों के मरने की खबर प्रकाशित हुई है। गोला इलाके में यूकेलिप्टस के पेड़ों पर रह रहे करीब 250 चमगादड़ मरे मिले थे। वहां पर दो दिनों से ऐसा हो रहा है। हालांकि, बेलघाट की घटना के बाद इसे नोटिस में लिया गया।
इसी तरह की घटना 26 मई को ही बिहार में भी हुई। बिहार के पशुपालन विभाग के डॉक्टरों ने भोजपुर जिले में आरा के पास चमगादड़ों की बड़े पैमाने पर मौत की रिपोर्ट की पुष्टि की है। जांच के लिए चमगादड़ों के सैंपल को पटना भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि चमगादड़ों की मौत का कारण जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकता है। जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. सिद्ध नाथ राय ने कहा कि छह डॉक्टरों की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और वहां लगभग 200 चमगादड़ों की मौत की सूचना दी है।