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रोजाना 5 ग्राम से ज्यादा नमक सेवन करते भारतीय

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा एक शोध किया गया है। जिसके अनुसार भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किये गए मात्रा से अधिक का सेवन किया जा रहा है। विभिन्न श्रेणियों के लोग पांच ग्राम के बजाय आठ ग्राम नमक का सेवन कर रहे हैं।

नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध मुताबिक नमक का सेवन पुरुषों में (8.9 ग्राम), नौकरीपेशा लोगों में (8.6 ग्राम) और तंबाकू इस्तेमाल करने वाले लोगों (8.3 ग्राम) में अधिक था। मोटे व्यक्तियों यह  (9.2 ग्राम) और उच्च रक्तचाप (8.5 ग्राम) वाले लोगों में भी खपत औसत से अधिक थी। यह शोध लोगों में जागरूकता पर बल देता है। बहुत ज्यादा में नमक खाने की मात्रा से  होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करता है।

आईसीएमआर-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. प्रशांत माथुर के कहने अनुसार हमें प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और घर से बाहर बनाए गए खाद्य पदार्थों को  खाने में कटौती करने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाले नमक का अधिकांश सेवन अत्यधिक प्रोसेस्ड, पैकेज्ड फूड पदार्थों से आता है। वहीं  घर में बने खाद्य पदार्थों, करी और कुछ विशेष तैयारियों में भी बहुत अधिक नमक होता है, जैसे तले हुए स्नैक्स, अचार, पापड़ और चटनी भी इनमें शामिल हैं।

चिकित्स्कों के कहने अनुसार सालों तक अधिक नमक का सेवन करना उच्च रक्तचाप की वजह बनता है।  दैनिक नमक का सेवन जितना ज्यादा होगा, सिस्टोलिक रक्तचाप उतना ही अधिक होगा, हृदय गति भी अधिक होगी। “आहार में सोडियम/नमक का सेवन कम करने से न केवल रक्तचाप कम हो सकता है, बल्कि हृदय संबंधी बीमारी और मृत्यु दर, दिल के दौरे, स्ट्रोक और गुर्दे की क्षति भी कम हो सकती है।

 

नमक

 

आईसीएमआर द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि वयस्कों के लिए दैनिक नमक का सेवन पांच ग्राम तक सीमित करना उच्च रक्तचाप को 25 प्रतिशत तक कम करने का एक फायदेमंद और लागत बचाने वाला तरीका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उच्च रक्तचाप को लेकर विश्व स्तर पर हालिया अध्ययन किया था। जिससे अनुसार भारत में नमक की खपत 10 ग्राम से अधिक है और देश में हृदय संबंधी होने वाली आधी से अधिक मौतें उच्च रक्तचाप के कारण हुई है।

डब्ल्यूएचओ अनुसार यदि भारत उच्च रक्तचाप की बीमारी पर नियंत्रण पा लेता है तो वर्ष 2040 तक 46 लाख मौतों को रोक सकता है। इस रिपोर्ट अनुसार देश में 30-79 वर्ष की आयु के अनुमानित 18.83 करोड़ वयस्क हाई बीपी से पीड़ित हैं। इस समस्या को लेकर स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सरकारों को ऐसी नीतियां बनाने की आवश्यकता है, जिसे खाने में नमक की मात्रा कम हो सके और लोगों को ऐसी जानकारी दी जाए जिससे वो अपने खान पान को लेकर सही फैसला ले सके।  इसके अलावा  खाने-पीने की चीजें बनाने वाली कंपनियों को भी प्रोसेस्ड चीजों में सोडियम का स्तर कम करने की जरूरत है।

 

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