गुजरात के मोरबी हादसे की कड़ियाँ अदालत में पहुंचने के बाद खुलने लगी हैं। बीते रविवार, 30 अगस्त 2022 को हुए केबल पुल हादसे के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें से चार लोगों को एक मजिस्ट्रेट अदालत के द्वारा मंगलवार को पुलिस हिरासत में ले लिया है। जबकि अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। अदालत ने पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदार कंपनी ‘ओरेवा ग्रुप’ के दो प्रबंधकों और दो सब-कांट्रैक्टर को शनिवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
अभियोजक एच. एस. पांचाल ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम. जे. खान ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुक करने वाले क्लर्क सहित गिरफ्तार पांच लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है, क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत नहीं मांगी थी। इस संबंध में अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को अदालत को बताया कि मोरबी के केबल पुल की मरम्मत का काम जिन ठेकेदारों ने किया, उनके पास इसको करने की योग्यता नहीं थी।
केस दर्ज
रविवार की शाम में यह पुल गिरने से अभी तक 135 लोगों की मौत हो गई है। फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुल की फ्लोरिंग को बदल दिया गया था लेकिन उसके तार नहीं बदले गए थे और वह (पुराने तार) नयी फ्लोरिंग का वजन नहीं उठा सके जिस कारण इतना बड़ा हादसा हुआ। पुलिस ने सोमवार को नौ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में मामला दर्ज किया। अदालत ने जिन चार लोगों को पुलिस हिरासत में भेजा है उनमें ओरेवा के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, मरम्मत का काम करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार शामिल हैं।
एफएसएफ की रिपोर्ट
वहीं, फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएफ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पांचाल ने अदालत में कहा ‘फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि नयी फ्लोरिंग के वजन के कारण पुल का मुख्य तार टूट गया।’ फॉरेंसिक रिपोर्ट हालांकि सीलबंद लिफाफे में पेश की गई थी, लेकिन रिमांड अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह कहा गया कि मरम्मत के दौरान पुल के तार नहीं बदले गए थे और सिर्फ फ्लोरिंग बदली गई थी। फ्लोरिंग में चार परत एल्यूमिनियम की चादर लगाने के कारण पुल का वजन बढ़ गया और छठ के दौरान पल पर जमा भीड़ का वजन अधिक होने के कारण पुल के तार तादाद से अधिक वजन को नहीं उठा पाए और तार टूट गए जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ।
अदालत को यह भी बताया गया कि मरम्मत का काम कर रहे दोनों ठेकेदार इस काम को करने की ‘योग्यता नहीं रखते थे। इसके बावजूद, ठेकेदारों को 2007 में और फिर 2022 में पुल की मरम्मत का काम सौंप दिया गया। इसलिए आरोपियों की हिरासत आवश्यक है। इस केस को आगे बढ़ाते हुए यह पता लगाया जा रहा है कि जो ठेकेदार पल की मरम्मत करने के काबिल ही नहीं थे, उन्हें क्यों चुना गया और किसके कहने पर उन्हें चुना गया। इसके पीछे का पूरा मामला क्या है।