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खतरे में निजी कैब कंपनियों का एकाधिकार

ऑनलाइन कैब सर्विस की जब भी बात आती है, तो ओला और उबर जैसी कंपनियां सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़ी नजर आती हैं। अब इस क्षेत्र में सरकार भी सहूलियत देने जा रही है। देश में पहली बार केरल सरकार द्वारा अपनी खुद की ई-टैक्सी सर्विस शुरू करने का फैसला किया गया है। यह देश में पहली राज्य सरकार के स्वामित्व वाली ऑनलाइन टैक्सी सेवा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि रिक्शा और टैक्सी चालकों दोनों को उचित पारिश्रमिक मिलेगा और यात्रियों के हितों की भी रक्षा होगी, केरल सरकार ने देश में यह पहली ऑनलाइन टैक्सी सेवा शुरू की है। इसका सीधा मतलब है कि लोगों के पास ओला और उबर के बजाए केरल सरकार की ई-टैक्‍सी सर्विस के जरिए यात्रा करने का ऑप्शन होगा। लेकिन वहीं दूसरी तरफ निजी कैब कंपनियों के एकाधिकार पर भी खतरा मंडराने लगा है।

‘केरल सावरी’ ऑनलाइन टैक्सी सेवा क्या है?

केरल सरकार ने एक ऑनलाइन टैक्सी सेवा ‘केरल सवारी’ शुरू की है ताकि जनता सरकार द्वारा निर्धारित मामूली किराए पर सुरक्षित यात्रा कर सके। सरकार द्वारा तय किए गए यात्रा किराए में नागरिक यात्रा कर सकेंगे। टैक्सी चालक से अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता है। यह टैक्सी सेवा श्रम विभाग के तत्वावधान में मोटर वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड द्वारा चलाई जाएगी। केरल सवारी से संबंधित ऐप को जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाएगा।

सरकार ने ऐसी टैक्सी सेवा शुरू करने का फैसला क्यों किया?

निजी ऐप-आधारित कैब कंपनियों द्वारा आम यात्रियों से अधिक मात्रा में शुल्क वसूलने की कई घटनाएं हुई हैं। उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने पहले निजी कैब कंपनियों ओला और उबर को यात्रियों से कथित रूप से गलत तरीके से चार्ज करने के लिए नोटिस जारी किया था।रात में अतिरिक्त यात्रा किराया वसूलने के तरीके भी सामने आए हैं। साथ ही कैब चालकों द्वारा यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार पिछले कुछ वर्षों से चिंता का विषय रहा है। इसके अलावा केरल सरकार ने ‘केरल सवारी’ नाम से एक ऑनलाइन टैक्सी सेवा शुरू करने का फैसला किया है, क्योंकि कई सवाल हैं कि कैब चालक द्वारा यात्री द्वारा बुक की गई सवारी को स्वीकार करने से इनकार करने के बाद भी ग्राहकों पर रद्दीकरण शुल्क लगाया जाता है।

‘केरल राइड’ की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?

अगर आप ‘केरल सवारी’ ऐप के जरिए टैक्सी बुक करते हैं, तो किराए में कोई बदलाव नहीं होगा। निजी कैब कंपनियों द्वारा दिन-रात या बारिश के दौरान किराए में उतार-चढ़ाव से जरूरतमंद नागरिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। सरकार द्वारा तय की गई दर के अलावा ‘केरल सवारी’ चालक से 8 प्रतिशत सेवा शुल्क लिया जाएगा। यह रकम प्राइवेट कैब के मुकाबले आधे से भी कम है। प्राइवेट कैब कंपनियां 20 से 30 फीसदी सर्विस चार्ज लेती हैं।

केरल सवारी में सुरक्षा संबंधी उपाय क्या हैं ?

केरल सवारी ऑनलाइन सेवा महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय होने का दावा करती है। इसमें ऐप डिजाइनिंग और ड्राइवर रजिस्ट्रेशन को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इस योजना में शामिल होने के लिए ड्राइवरों को पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट जमा करना होगा। वहीं, सुरक्षा की दृष्टि से ऐप में पैनिक बटन सिस्टम दिया गया है। साथ ही सरकार की ओर से वाहनों में रियायती दरों पर जीपीएस लगाने का फैसला लिया गया है।

केरल में पांच लाख से अधिक ऑटो रिक्शा और एक लाख कैब हैं। राज्य सरकार की योजना ‘केरल सवारी ‘ के तहत इस व्यवसाय को करने वाले सभी ऑटो और टैक्सी चालकों को एक साथ लाने की है। सरकार को उम्मीद है कि यह योजना अल्पावधि में सफल होगी क्योंकि केरल में स्मार्टफोन साक्षरता अधिक है। इसके अतिरिक्त सरकार ने मोटर चालकों के लिए ईंधन, बीमा और टायर सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिया है। सरकार ने इस संबंध में कुछ बड़ी कंपनियों से बातचीत शुरू कर दी है।

तिरुवनंतपुरम में शुरू की गई इस सेवा के पहले चरण के मूल्यांकन के बाद इस सेवा को चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में शुरू किया जाएगा। सरकार का इरादा अगले एक महीने में कोल्लम, एर्नाकुलम, त्रिशूर, कोझीकोड और कन्नूर नगरपालिका क्षेत्रों में इस सेवा को शुरू करने का है।

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