प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की नई शिक्षा नीति पर अपनी मुहर लगाई है। उन्होंने इस नीति को न सिर्फ उचित और व्यवहारिक बताया, बल्कि आश्वत भी किया है कि इस पर पूरी तरह अमल भी होगा। उन्होंने कहा कि सवाल उठना स्वभाविक है कि आखिर इतने बड़े रीफॉर्म पर कैसे अमल हो पाएगा। इसके लिए उन्होंने आश्वस्त किया कि जहां तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं।
शिक्षा नीति पर एक सम्मेलन यानी ‘ कॉन्कलेव ऑन ट्रांसफॉर्मेशनल रिफॉर्म्स इन हायर एजुकेशन अंडर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि छठी कक्षा तक मातृभाषा में सिलेबस पढ़ाना एक व्यवहारिक कदम होगा। जब बच्चे अपनी बोली में पढ़ाई करेंगे तो उन्हें ये अच्छे से समझ आएगी। पढ़ाई में उनकी रुचि बढ़ेगी और हायर एजुकेशन के लिए उनका बेस मजबूत होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति 3-4 साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद, लाखों सुझावों पर लंबे मंथन के बाद तैयार की गई है। आज देश भर में इस पर व्यापक चर्चा हो रही है। तमाम क्षेत्रों के लोग इस पर अपने विचार दे रहे हैं, इसकी समीक्षा कर रहे हैं। ये एक स्वस्थ परंपरा है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा। उन्होंने खुशी जाहिर की है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का भेदभाव है।