मोदी सरकार के सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का उदघाटन हो चुका है। देश की सवा सौ करोड़ जनता को अब अगर किसी चीज का इंतजार है तो वो है 2024 जब बुलेट ट्रेन इस देश में पहली बार दौड़ेगी। लेकिन पहली बार जब दौड़ेगी तो किस राज्य में ? इसका जवाब खुद केंद्र सरकार ने ही दिया था और तीन साल पहले इसकी नीव रखते हुए कहा था कि पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद को दौड़ेगी। लेकिन तब महाराष्ट्र में राज्य और केंद्र दोनों में बीजेपी की सरकार थी। अब हालात बदल चुके है। अब वहा शिवसेना की सरकार है। गौरतलब है कि जापान की मदद से भारत में मुंबई-अहमदाबाद सेक्शन पर बुलेट ट्रेन का काम किया जा रहा है। भारत में किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में केंद्र-राज्य दोनों को योगदान करना होता है। लेकिन अब केंद्र सरकार का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार इसमें सहयोग नहीं कर रही है। जिसके चलते बुलेट ट्रेन मुंबई की बजाय अहमदाबाद से वापी के लिए दौड़ाई जा सकती है। जबकि पहले बुलेट ट्रेन दौड़ाने की योजना मुंबई से अहमदाबाद की थी। हलाकि यह रेल मंत्रालय का फैसला है। लेकिन इसे प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात प्रेम कहा जा रहा है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने साफतौर पर कहा है कि अगर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में महाराष्ट्र में जमीन के अधिग्रहण में देरी होती है तो रेलवे मुंबई-गुजरात हाई स्पीड ट्रेन को चरणबद्ध तरीके से चलाने के लिए तैयार है। देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना पर गुजरात में तेज रफ्तार से काम चल रहा है लेकिन महाराष्ट्र में कई तरह की अड़चन आ रही हैं। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में किसान संगठन और राज्य सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध कर रही हैं।
बहरहाल , रेल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर महाराष्ट्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण में मदद नहीं की तो बुलेट ट्रेन दो फेज में नहीं चलेगी। पहले फेज में अहमदाबाद से वापी के बीच यह ट्रेन 325 किलोमीटर ट्रैक पर दौड़ाई जा सकती है। भूमि अधिग्रहण की मंजूरी मिली तो ही दूसरे फेज में वापी से बांद्रा तक बुलेट ट्रेन चलेगी।
रेलवे बोर्ड के सीईओ विनोद कुमार यादव ने बताया कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन का 67 प्रतिशत हिस्सा मिला है। इसमें गुजरात में 956 हेक्टेयर में से 825 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। फ़िलहाल गुजरात में करीब 90 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण होने की वजह से टेंडर जारी कर जमीनी काम शुरू भी कर दिया गया है।
देखा जाए तो महाराष्ट्र सरकार ने चार महीने में भूमि के अधिग्रहण करने का भरोसा दिया है। महाराष्ट्र में 432 हेक्टेयर भूमि में से 97 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण ही हो सका है। जरूरी जमीन का यह केवल 22 प्रतिशत हिस्सा है। यादव ने कहा कि रेल मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत कर चुका है और उन्हें आश्वासन दिया गया है कि 4 महीने में 80 फीसदी तक भूमि अधिग्रहण पूरा हो जाएगा। लेकिन फ़िलहाल वहा ऐसा होता नहीं दिख रहा है।