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कही पर निग़ाहें कही पर निशाना साध रहें मोदी

25 दिसंबर 2020 :  किसानो से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18,000 करोड़ रुपये का किसान सम्मान निधि ट्रांसफर करते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला और कहा है कि हठधर्मिता की वजह से वहां कि किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। कल प्रधानमंत्री ने कहा था कि मुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है।

यही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर वार करते हुए कहा कि जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां दिल्ली में आकर किसान की बात करते हैं।  इन दलों को आजकल एपीएमसी – मंडियों की बहुत याद आ रही है। लेकिन ये दल बार-बार भूल जाते हैं कि केरला में एपीएमसी – मंडियां हैं ही नहीं।

26 दिसंबर 2020 : जम्मू कश्मीर में आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत योजना भारत से देश के हजारों अस्पताल जुड़े हुए है। लेकिन बंगाल सरकार ने यह सुविधा नहीं ली। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कार्ड सिर्फ जम्मू-कश्मीर के अस्पतालों तक सीमित नहीं रहेगा। देश में इस योजना के तहत जो हजारों अस्पताल जुड़े हैं, वहां भी ये सुविधा आपको मिल पाएगी। मान लीजिए कि मुंबई गए हैं और अचानक जरूरत पड़ी तो ये कार्ड आपको मुंबई में भी काम आएगा। चेन्नई में भी ये कार्ड काम आएगा। वहां के अस्पताल भी मुफ्त सेवा करेंगे। आप कोलकाता गए हैं, तो वहां मुश्किल होगी, क्योंकि वहां की सरकार आयुष्मान योजना से नहीं जुड़ी है। कुछ लोग होते हैं, क्या करें ?

गौरतलब है कि पश्चिमी बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने पूरी जान लगा रखी है। मौका कोई भी हो लेकिन भाजपा पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके मद्देनजर भाजपा फिलहाल पश्चिमी बंगाल पर पूरी तरह फोकस किए हुए है। पिछले दिनों जिस तरह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर वहा हुए हमले को लेकर पार्टी ने सत्ता विरोधी अभियान चलाया वह जगजाहिर है। तब यहां तक कहा जाने लगा था कि केंद्र पश्चिमी बंगाल में राष्ट्पति शासन भी लगा सकता है। लेकिन इसको कही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पक्ष में ना भुना ले इसके डर से केंद्र सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे। फिलहाल वह दीदी को निशाने पर लेकर पश्चिमी बंगाल में कमल खिलाने का सपना सजोए हुए है।

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