केंद्र की मोदी सरकार अभी तक किसानों के विरोध को शांत नहीं कर पाई है कि इसी दौरान बैंक कर्मी भी अब सरकार के विरोध में लामबंद हो गए हैं । बैंक कर्मियों को डर है कि कहीं निजी करण का नाग उनके बैंकों को ना डस ले। इस डर ने देशभर के बैंक कर्मियों को हड़ताल करने को मजबूर कर दिया है ।
इसके मद्देनजर आगामी 15 और 16 मार्च को बैंकों की हड़ताल का आह्वान किया गया है । यह बैंक हड़ताल 2 दिन की होगी। लेकिन बैंक 4 दिन बंद रहेंगे। क्योंकि 13 और 14 को दूसरा शनिवार और रविवार है। इसके बाद 2 दिन की हड़ताल रहेगी। इस दौरान हड़ताल के जरिए व्यवसायिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती है। यही नहीं बल्कि 10 तारीख के बाद श्रमिक वर्ग को मिलने वाली तनख्वाह पर कई दिन तक ब्रेक लगने के बाद इस वर्ग की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अपने बजट में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम के दो बैंकों के निजी करण का ऐलान किया था। बैंक यूनियन को आशंका है कि सरकार मौजूदा सत्र में निजी करण लागू करने हेतु कानून पेश कर सकती है। इसके मद्देनजर ही बैंक यूनियंस ने दो दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 4 सालों में 14 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करण किया गया है । जिन बैंकों का विलय नहीं हुआ सरकार उन बैंकों का निजीकरण करने जा रही है। पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक , बैंक ऑफ महाराष्ट्र , पंजाब एंड सिंद बैंक में से किन्हीं दो का निजीकरण किया जाएगा।
जैसा कि बजट में घोषणा की गई है। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि अधिकतम 4 बड़े बैंक ही सार्वजनिक क्षेत्र में छोड़े जाएंगे, बाकी का या तो विलय होगा या निजीकरण।