वर्ष 2014 से पहले गौतम अडानी महज एक उद्योगपति के रूप में जाने जाते थे। लेकिन 22 मई 2014 को देश के कई प्रमुख अखबारों में एक तस्वीर प्रकाशित होते ही अडानी का दूसरा चेहरा भी सामने आया । जिसमें वह मोदी के सबसे ज्यादा करीबियों में जानने लगें थे। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक प्राइवेट एयरलाइन के जहाज से हाथ हिलाकर उतरते दिख रहे थे।
यह जहाज अडानी का था । जहाज के ऊपर लिखे ” अडानी ” के शब्दों ने उधोग जगत में जैसे सनसनी मचा दी। यह जहाज गुजरात से अहमदाबाद हवाई अड्डे पर नरेंद्र मोदी को तब छोड़ने आया था जब वह पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। तब से लेकर अब तक गौतम अडानी ने पीछे मुड़कर नही देखा है । जिस तरह से समय का पहिया आगे बढ रहा है उनका कारोबार भी रफ्तार पकड रहा है।
रिलायंस उद्योग के चेयरमैन मुकेश अंबानी के अलावा गौतम अडानी आज देश के सबसे बड़े टाइकून में से एक है । इन दोनों को भी तब ज्यादा पहचान मिली जब नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री चुना गया । तब से लेकर अंबानी और अडानी निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं । यहां यह भी बताना जरूरी है कि मोदी, अंबानी और अडानी गुजरात से हैं और दोनों ही मोदी और उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख समर्थक है।
इन दिनों अडानी एक बड़े उद्योग अडानी ग्रूप के मुखिया है । जो भारत में बंदरगाहों का सबसे बड़ा ऑपरेटर है । यही नहीं बल्कि उनकी बिजली बनाने वाली सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी भी है । अडानी समूह के कारोबारी हित कोयला उत्खनन, निर्माण क्षेत्र, ढुलाई, अंतर्राष्ट्रीय कारोबार, शिक्षा, रियल स्टेट , खाद्य तेल और अनाज के भंडारण तक में है। वर्ष 2018 में उन्होंने हवाई अड्डों पर अपना कब्जा कर निजीकरण का नया प्रयोग लिया।
याद रहे कि वर्ष 2018 में भारत सरकार ने हवाई अड्डों के निजीकरण को मंजूरी दी थी। तब सरकार ने प्रतिस्पर्धा में ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों के शामिल होने के कारण नियमों में कुछ ढील दी। जिससे कंपनियों को बिना किसी अनुभव के बोली लगाने की अनुमति दे दी गई। इन कंपनियो में अडानी की कंपनी प्रमुख थी। मोदी सरकार के इस नियम परिवर्तन के बाद अडानी को 6 हवाई अड्डों पर अपना कांटेक्ट मिल गया था। जबकि चौंकाने वाली बात यह थी कि हवाई अड्डों के ठेके पाने वाली अडानी की कंपनी को इस हवाई क्षेत्र के मामले में कोई अनुभव भी नहीं था। इस तरह रातों-रात रात अडानी देश के सबसे बड़े निजी हवाई अड्डा संचालकों में से एक बन गए। इसके अलावा अडानी देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह संचालक और थर्मल कोल पावर प्रोड्यूसर भी मोदी सरकार में ही बने।
झारखंड में भाजपा सरकार पर आरोप है कि उसने अडानी पर अपनी कृपा दृष्टि रखी आदिवासियों की जमीन दे दी। झारखंड के गोंडा जिले के माली और उसके आसपास के कई गांव की खेती योग्य भूमि अडानी समूह की एक कंपनी को देने से झारखंड सरकार ने नियमों का खुला उल्लंघन किया । इसके लिए संशोधित भूमि अधिग्रहण कानून का बड़े स्तर पर उल्लंघन भी किया गया। यही नहीं बल्कि इसको लेकर मई 2016 में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा आदिवासियों से संबंधित कानून में किया गया संशोधन भी सवालों के घेरे में है। सरकार की मदद से अडानी समूह में यहां की जिन जमीनों का अधिग्रहण किया है वे सभी आदिवासी बहुल गांव की है।
बताया जाता है कि जमीन अधिग्रहण की इस पूरे मामले की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई। रांची से करीब 380 किलोमीटर दूर यहां अडानी समूह की अडानी पावर ( झारखंड ) लिमिटेड में ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया से आयात कोयले से 16 मेगा वाट का 1 पावर प्लांट लगाने का फैसला लिया है । इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी माने जाने वाले अडानी की कंपनी ने झारखंड सरकार से करीब 2 एकड़ जमीन की मांग की थी । कंपनी का लक्ष्य 2022 तक प्लांट से बिजली का उत्पादन करना है । यहां से पैदा हुई बिजली बांग्लादेश को बेची जाएगी । उल्लेखनीय है कि इस प्लांट का मसौदा अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के दौरान बना था। उस दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बांग्लादेश गयें उद्योगपतियों में गौतम अडानी प्रमुख रूप से शामिल थे।
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में कोरोना काल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से बहुत ही दयनीय स्थिति में रही। कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रदेश में लॉकडाउन की स्थिति रही । इससे लंबे समय तक कारोबार और काम धंधे बंद रहे। जिससे देश की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आ गई । इसी दौरान भारतीय अमीरों की दौलत इस साल खूब बढ़ी। उसमें सबसे ज्यादा नंबर वन अमीर मुकेश अंबानी की दौलत रही। अंबानी की दौलत इस साल 73 प्रतिशत बढी । उनकी निजी संपत्ति 6.58 लाख करोड हो गई।
इसके बाद दूसरे नंबर पर गौतम अडानी रहे । अडानी ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी की दौलत में इस साल 48 फ़ीसदी बढ़ोतरी हुई । अब उनकी कुल दौलत 1.40 लाख करोड़ हो गई है। यही नहीं बल्कि अडानी दो स्थान की छलांग लगाकर देश के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए है। कोरोना काल से पहले वह अमीरों की सूची में छठे नंबर पर थे।