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‘कैंसर के जाने-माने चिकित्सक डॉ. प्रवीण तोगड़िया की पहचान एक हिंदू नेता की है। वे वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष के रूप में उनकी पारी काफी यादगार रही। लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग राह पकड़ ली है। वे मानते हैं कि अटल जी के साथ ही भाजपा भी मर चुकी है। लिहाजा वे अब अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद ‘एएचपी’ का गठन कर जनहित के मुद्दों पर सक्रिय हैं। उनकी भावी योजना अपनी पार्टी को लोकसभा चुनाव लड़ाने की भी है। डॉ. तोगड़िया से ‘दि संडे पोस्ट’ के रोविंग एसोसिएट एडिटर आकाश नागर की खास बातचीत के अंश :

 

पिछले करीब पांच साल से भाजपा केंद्र की सत्ता में है, लेकिन ‘रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा अमल में नहीं लाया जा सका। भाजपा अयोध्या मामले में बैकफुट पर क्यों चली गई। इसके अलावा किसानों की समस्याओं का भी समाट्टान नहीं हो सका?
देश की जनता भाजपा से बहुत उम्मीद रख रही थी कि वह पूर्व में किए अपने सभी वादे पूरा करेगी। लेकिन साढ़े चार वर्षों में इन सभी विषयों पर जनता से वादा खिलाफी हुई। राम का मंदिर नहीं बना। हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने के बजाय 17 लाख युवाओं के रोजगार चले गए। पांच वर्ष में दस करोड़ युवाओं को रोजगार देना था उनकी जगह पांच करोड़ रोजगार भी चले गए। किसानों की कर्ज मुक्ति नहीं हुई। आत्महत्या नहीं रुकी। मोदी जी के शासन में ही 52000 किसानों ने आत्महत्या की और विकास के नाम पर किसानों की जमीन मुफ्त में लेकर प्राइवेट आवास योजनाओं के लिए दे दी गई। आज बिल्डर घर बेच रहे हैं और किसान बेघर हो रहे हैं। बिल्डर घर बनाकर पैसे कमा रहे हैं और किसानों की जमीनों को लूट रहे हैं। वहीं कश्मीर में पत्थरबाजों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। सैनिकों को रबर की बुलेट तक चलाने का अधिकार नहीं। पाकिस्तान समर्थक पत्थरबाजों के केस वापस लेकर मोदी जी ने जता दिया कि वे पत्थरबाजों के भाईजान हैं। राम का मंदिर बन सकता था। देश आजाद हुआ तो सरदार पटेल ने एक ही मीटिंग में सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराना शुरू कर दिया था। ऐसे ही राम का मंदिर भी बन सकता था। अब हमारा संकल्प है कि राम मंदिर हम ही बनायेंगे। हम ही देश को देंगे अयोध्या में राम, किसानों को दाम, युवाओं को काम और व्यापारियों को सम्मान। अबकी बार पब्लिक की सरकार जो यह करके दिखाएगी। जनता किसानों, युवाओं, सैनिकों के साथ वादाखिलाफी करने वाले को भारत सजा देगा। फिर किसी को वादाखिलाफी करने का मौका नहीं दिया जाएगा।

सत्ता में आने से पहले भाजपा ट्टारा 370 की विरोट्टा हुआ करती थी। लेकिन अब जम्मू कश्मीर में ट्टारा 370 को हटाने के लिए वह कुछ नहीं कर रही है। ट्टारा 370 पर भाजपा की चुप्पी क्यों?
जब यह सत्ता में नहीं थे तब सही बोलते थे। सत्ता में आने के बाद उल्टा बोलते रहे। इसको कहते हैं वादाखिलाफी, इसको कहते हैं बेईमानी। ऐसे बेईमानों को देश की बागडोर नहीं देनी चाहिए।

जनसंख्या नियंत्रण कानून की आपके द्वारा लगातार पैरवी की जाती रही है। इस कानून से देश की कितनी तस्वीर बदल जाएगी?
मेरा तो संकल्प है कि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और स्पष्ट कर देना चाहिए कि आगे कोई दो से ज्यादा बच्चे पैदा करे तो उसे कोई सरकारी अनाज नहीं मिलेगा, सरकारी स्कूल या अस्पताल में एडमिशन नहीं दिया जाएगा। उनको बैंकों के लोन और सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। यहां तक कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ने देंगे। यह करके हम देश की जनसंख्या नियंत्रण करने के पक्षधर हैं।

राम मंदिर का मुद्दा देश की सर्वोच्च अदालत में है। इसके निर्णय की उम्मीद की बात कही जा रही है। इस पर आपका क्या कहना है?
भाजपा ने पहले वादा किया था कि सरदार पटेल की तरह संसद में राम मंदिर पर प्रस्ताव पारित कराएंगे तब भी यह मामला कोर्ट में चल रहा था। भाजपा को स्वीकार करना चाहिए कि राम मंदिर पर उसने पिछले 32 सालों से जनता को मूर्ख बनाया है। इस पर उन्हें गंगा में डुबकी लगानी चाहिए। कोर्ट में अगर केस चलता है तब भी कानून बनाया जा सकता है। देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका और संसद तीनों ही स्वतंत्र हैं। कोर्ट में केस चलता है तो तब भी संसद को कोई भी कानून बनाने का अधिकार है। मोदी ने ट्रिप्पल तलाक का कानून बनाया है तो क्या राम का नहीं बना सकते हैं।

राम मंदिर की तरह गाय के मुद्दे पर जोर देकर आखिर भाजपा क्या संदेश देना चाहती है?
सरकार यदि गाय के प्रति गंभीर है तो इसका एक ही रास्ता है हर तहसीलों में गाय के लिए गऊशाला बनवाए वरना किसानें की फसल भी नहीं बचेगी और गाय भी नहीं बचेगी। सरकार को गाय पर भाषण देना बंद करना चाहिए और हर एक तहसील में ब्लॉक स्तर पर गायों को रखने की व्यवस्था करनी चाहिए।

गाय के साथ ही गंगा का भी मुद्दा है जिसे सत्तारूढ़ भाजपा ने अपना प्रमुख एजेंडा बनाया था। पूर्व मंत्री उमा भारती ने तो यहां तक कहा था कि अगर 2018 तक गंगा को साफ नहीं करा पाई तो उसी में जलसमाधि ले लूंगी?
उमा भारती और नरेंद्र मोदी दोनों को ही गंगा में जलसमाधि ले लेनी चाहिए। फिर देश में शांति हो जाएगी।

मोदी और तोगड़िया कभी अभिन्न मित्र हुआ करते थे, लेकिन आज दोनों के बीच दूरियां पैदा हो गई?
दरअसल, 2004 में मेरे ध्यान में आ गया था कि यह व्यक्ति देश के साथ धोखा करेगा। इसलिए 2004 के बाद मैंने मोदी से कोई बातचीत नहीं की और न ही कोई संबंध रखा। मैंने उनसे तब कहा था कि हिंदुओं के साथ धोखेबाजी मत कीजिए। लेकिन वह माने ही नहीं और धोखा करते रहे। मोदी अगर धोखाबाजी करना छोड़ दें तो हम फिर से पहले जैसे दोस्त बन सकते हैं।

एक तरफ सरकार देशद्रोहियों के मुकदमे वापस कर रही है और दूसरी तरफ आप पर दर्ज मामलों में सरकार का रवैया सकारात्मक नहीं है। ऐसा क्यों?
तोगड़िया मुकदमों से डरने वाला नहीं है। हम न केसों से डरते हैं ना जेल से डरते हैं। हम तो अपने दोस्तों के विश्वासघात से ही डरते हैं। हमें तो अपने ने लूटा गैरों में कहां दम था।

क्या आप 2019 में अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ेंगे या किसी को समर्थन देंगे?
हमारे चार मुद्दे हैं- अयोध्या में राम, किसानों को दाम, युवाओं को काम और व्यापारियों को सम्मान। अबकी बार पब्लिक की सरकार। हमारी तैयारियां युद्धस्तर पर हैं। 9 फरवरी 2019 को दिल्ली में रणभेरी की जाएगी।

देश में किसानों की आत्महत्या पर रोक कैसे लगाई जा सकती है। किसान के लिए हरियाली और खुशहाली का रास्ता क्या है?
किसान को फसल का उचित दाम नहीं मिलता है। वह जितनी लागत लगाता है उतना भी नहीं कमा पाता है। 1970 में अनाज और सोने के भाव एक ही हुआ करते थे। तब अनाज 100 रुपये का डेढ़ क्विंटल आता था और इतने का ही एक तोला सोना आता था। आज 38 साल बाद दोनों की कीमतों में जमीन-आसमान का अंतर है। सोना 32 हजार रुपया तोला है तो अनाज के भाव आप सब जानते ही हैं। यह अंतर ही किसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। आपको याद होगा जब हम छोटे थे तो तब कुछ भी चीज उधार लेनी होती थी तो बैसाख माह तक के लिए उधार लिया करते थे। बैसाख माह में हमारी अनाज की फसल उठती थी। जिसे बेचकर हमारे पूर्वज अपना उधार चुकता किया करते थे। लेकिन आज की युवा पीढ़ी को इस सबसे सरोकार नहीं है, क्योंकि ना तो अनाज की बिक्री से ही इतना धन इकट्ठा होता है कि घर की जरूरतें पूरी की जा सकें और ना ही आज किसान का कोई उधार करने को तैयार है। आज परिस्थितियां किसानों के विपरीत हो चली हैं। आज किसान अगर अपनी जमीन पर लोन लेकर काम चलता है तो उस लोन को चुकता करने को स्थिति में नहीं होता है। ऐसे में सरकारी साहूकार (बैंक) उसको पैसे के लिए प्रताड़ित करने लगते हैं। आए दिन की बेइज्जती से बचने के लिए आखिर किसान आत्महत्या पर मजबूर हो जाता है। दूसरे सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनावों में किसानों को कर्जमुक्ति का आश्वासन देकर उनका वोट हथिया लेती है। लेकिन बाद में उन बेचारों को लॉलीपाप थमा दिया जाता है। मोदी ने किसानों के साथ सबसे ज्यादा धोखा किया है। मोदी ने वादा किया था कि गेहूं का दाम 2500 रुपया क्विंटल देंगे, लेकिन नहीं दिया। मोदी के पास अफगानिस्तान को देने के लिए 22 हजार करोड़ रुपये हैं, लेकिन आत्महत्या कर रहे किसानों की कर्जमुक्ति की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। मोदी जी की प्राथमिकता भारत का गरीब किसान नहीं है। उनको अफगानिस्तान का भाईजान कहलाना पसंद है।

एक बार आपने कहा था कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही मेरठ पाकिस्तान में तब्दील हो जाएगा। इसका क्या अर्थ समझा जाए?
‘हम दो, हमारे दो’ यानी दो बच्चों के बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून न बनने पर हमने यह कहा था। हमने जनसंख्या नियंत्रण कानून बना लिया तो पाकिस्तान बनने से रोका जा सकता है। नहीं तो मेरठ क्या हर शहर एक पाकिस्तान बनकर खड़ा हो जाएगा।

आज भाजपा में मोदी और अमित शाह के अलावा प्रथम पंक्ति में तीसरा कोई क्यों नहीं दिखाई देता है। क्यों हाशिए पर डाले जा रहे हैं भाजपा के बाकी वरिष्ठ नेता?
भाजपा तो कब की खत्म हो चुकी है। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही भाजपा खत्म हो चुकी है। अब तो यह पार्टी कांग्रेस की ‘बी टीम’ बनकर रह गई है। उत्तराखण्ड में बहुगुणा जैसे कांग्रेसी को भाजपा में लाए। उत्तराखण्ड में आधी सरकार कांग्रेस की ही है। असम की 90 प्रतिशत भाजपा-कांग्रेस ही है। इसलिए भाजपा तो अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही दफन हो चुकी है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आप पर आरोप लगाया था कि आपने हार्दिक पटेल को आगे करके उसे हराने के लिए खूब प्रयास किए थे। सच क्या है?
मैंने किसी को हराने-जिताने का काम नहीं किया था। हार्दिक मेरा भाई है तो मैं यह क्यों नहीं कहूंगा कि वह मेरा भाई है। हार्दिक भी कहता है कि डॉ प्रवीण तोगड़िया मेरे बड़े भाई हैं। इसमें क्या गलत है। भाजपा छतीसगढ़ में हार गई तो क्या हार्दिक और प्रवीण तोगड़िया ने हरा दिया। भाजपा खुद के पाप से हार गई।

पिछले साल आप बेहोशी की हालत में हैदराबाद में मिले थे? तब आपने कहा था कि सरकार मेरा एनकाउंटर कराना चाहती है। क्यों कराना चाहती है मोदी सरकार आपका एनकाउंटर?
वह तो सरकार से ही पूछो। मुझे क्यों पूछते हो। लेकिन हम डरने वालों में से नहीं हैं। हम डरने वाले वंशजों में नहीं हैं। हम तो शत्रु की छाती पर पैर रखकर उसको कुचलने वाले पूर्वजों की औलाद हैं।

एक बार देश में आपकी त्रिशूल दीक्षा बहुत चर्चित रही थी। अब आगे कौन सी दीक्षा देने की योजना है?
अभी भी बांट रहा हूं। (हंसते हुए) अभी पिछले दिनों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को त्रिशूल भेंट किया था। अबकी दीक्षा होगी कि किसानों की फसल के उचित दाम, युवाओं को रोजगार।

9 फरवरी को आप दिल्ली में किसानों की बड़ी रैली कर रहे हैं। क्या संदेश देना चाहते है इसके जरिए?
किसानों-युवाओं की सूरत बदलने की तैयारी के तहत हमारी नई पार्टी की घोषणा हो जाएगी। हमारी पार्टी अगला लोकसभा चुनाव लड़ेगी।

कांग्रेस आपकी नजर में कैसी पार्टी है। क्या आपके एजेंडे से कांग्रेस का तालमेल मिलता है या वह भी आपकी विचारधारा से भिन्न है?
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही देश का बंटाधार किया है। दोनों से ही हमारी विचारधारा नहीं मिलती है।

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