ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही थी जो मंगलवार को समाप्त हो गई। सिंधिया सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और उसके बाद अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को सौंपा जिसे उनकी तरफ से स्वीकार कर लिया गया। हालांकि, कांग्रेस पार्टी की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने निकाल बाहर किया है।
दूसरी तरफ सिंधिया के अलावा 20 अन्य विधायकों ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि इन 20 विधायकों के इस्तीफे राज्यपाल के लिए राजभवन में विधानसभा स्पीकर के पास पहुंच गए हैं। सिंधिया ने कल जो इस्तीफा सौंपा उसमें उन्होंने लिखा है कि वो कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहे हैं।
उन्होंने लिखा, “मेरे जीवन का उद्देश्य शुरू से ही अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना रहा है। मुझे लगता है कि अब इस पार्टी (कांग्रेस) में रहकर मैं अपना ये काम नहीं कर पा रहा हूं।” सिंधिया ने आगे लिखा कि अपने लोगों और कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यही सही है कि अब वो इससे आगे बढ़ें और एक नई शुरुआत करें।
वहीं सिंधिया के इस्तीफे के बाद दिल्ली में केसी वेणुगोपाल ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से निष्कासित करने को मंजूरी दे दी है।
अब सवाल उठता है कि सिंधिया के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में क्या कुछ होने की संभावना है। देखा जाए तो कई विकल्प हैं जिन पर अमल किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि कल जब सिंधिया प्रधानमंत्री मोदी से गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मिले तो उन्होंने अपने लिए कैबिनेट पद की बात रखी। पहला तो ये कि 16 मार्च से शुरू होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र के पहले दिन कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है। जब भाजपा ये प्रस्ताव लाएगी उसके बाद कमलनाथ सरकार का गिरना लगभग तय है। क्योंकि सिंधिया के पक्ष में कुल 28 विधायक बताए जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव से पहले राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कराई जाएगी। चूंकि 20 विधायक अब तक इस्तीफा दे चुके हैं इसलिए कमलनाथ सरकार पूरी तरह से खतरे में है। माना ये भी जा रहा है कि सिंधिया राज्यसभा के जरिए संसद जाएंगे और उसके बाद उन्हें कोई कैबिनेट मंत्रालय सौंपा जा सकता है।
जल्दी ही भाजपा विधायक दल की बैठक होगी जिसमें शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना जाएगा। चूंकि कांग्रेस के 20 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा की मौजूदा संख्या घटकर 208 रह गई है। अब बहुमत के लिए सिर्फ 105 विधायकों की आवश्यकता है। 107 विधायक भाजपा के पास हैं। ऐसे में राज्यपाल से न्योता मिलते ही भाजपा तुरंत बहुमत का दावा करेगी और सरकार बना लेगी।