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किसानों के आगे झुकी मोदी सरकार 

करीब सालभर से नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के आगे आखिरकार मोदी सरकारको  झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक बार फिर राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत गुरुनानक देव की जयंती से की। उन्होंने देशवासियों को प्रकाशपर्व की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान पीएम मोदी ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया।

 

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी तपस्या में ही कहीं कोई कमी रह गई होगी, जिस कारण मैं कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाया। नए कृषि कानूनों के खिलाफ जो विरोध हो रहा है, उसे देखते हुए आंदोलनकारी किसानों से घर लौटने का आग्रह करता हूं और तीनों कानून वापस लेता हूं। उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में संसद सत्र शुरू होने जा रहा है उसमें कानूनों को वापस लिया जाएगा।

पीएम ने किसानों से अपील कर कहा कि इस कानून को खत्म करने की प्रक्रिया शीतकालीन सत्र में शुरू हो जाएगी। कृषि कानूनों के संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा कि बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान से  देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले। उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। लेकिन इतनी अच्छी बात, पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।

कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इसी  महीने इन कानूनों  को खत्म करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

कानून खत्म करने के एलान के साथ पीएम मोदी ने कहा कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे। उन्होंने कहा कि आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए सरकार और तेजी से काम करेगी।

सरकार के इस एलान के बाद किसान नेता राकेश टिकैत अब भी आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा। टिकैत ने ट्वीट कर कहा, ‘आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।

टिकैत ने कहा कि मुझे अब भी यकीन नहीं है। 29 तारीख को संसद में कानून वापसी का प्रस्ताव रखे जाने तक हम कहीं वापस जाने वाले नहीं हैं।इस घोषणा के बाद भारतीय किसान यूनियन उगराहां धड़े के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, ”गुरुपर्व पर कृषि कानून निरस्त करने का निर्णय प्रधानमंत्री का अच्छा कदम है। सभी किसान संघ एकसाथ बैठेंगे और आगे का मार्ग तय करेंगे।

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