देश की राजनीति आज एक ऐसे दौर में पहुंच गई है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने विधायकों या सांसदों को साथ बनाए रखने में पसीने छूट रहे हैं। कब कौन विधायक पाला बदल जाए कुछ पता ही नहीं चल पाता। यही वजह है कि अहम मौकों पर विधायकों को होटलों या रिजॉर्ट्स में ले जाकर ठहराना पड़ रहा है। कहने को तो ये होटल और रिजॉर्ट्स बड़े आलीशान हैं, लेकिन हकीकत में एक तरह से कैद हैं। यह भी कहा जा सकता है कि विधायकों को उसी अंदाज में यहां रखा जाता है मानो कि किसी बाड़े में भेड़-बकरियां ठूंस दी गई हों। जिन्हें चारा तो खूब खिलाया जाता है, लेकिन इधर-अधर कहीं भी जाने नहीं दिया जाता है। राजस्थान की राजनीति में इन दिनों ऐसा ही चल रहा है। राज्य में सियासी समीकरण इस तरह बदल रहे हैं कि सत्ताधारी कांग्रेस के लिए अपनी सरकार बचाना मुश्किल हो रहा है। अपने विधायकों के टूटने का खतरा उसे पिछले कई दिनों से बुरी तरह डराये हुए है। दिलचस्प यह है कि अब तो भाजपा को भी यही डर सताने लगा है। भाजपा भी अपने विधायकों को बचाने में जुट गई है।
खबर है कि राज्य में 14 अगस्त को शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र से पहले अपने विधायकों के टूटने की आशंका को भांपते हुए भाजपा ने पार्टी के 12 विधायकों को गुजरात भेज दिया है। बताया जाता है कि भाजपा की राज्य ईकाई ने यह फैसला आलाकमान के इशारे पर किया है। भाजपा तो विपक्ष में है, लेकिन सत्ताधारी कांग्रेस का संकट बड़ा है। राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए सरकार गठन होते ही युवा नेता सचिन पायलट की ओर से जो नाराजगी सामने आई थी वह आज नाजुक मोड़ पर है। पायलट के नेतृत्व में पार्टी के 19 विधायक जिस प्रकार बगावती तेवर दिखा चुके हैं, उससे कांग्रेस को बड़ी दिक्कतें हो रही हैं। पार्टी की समस्या यह है कि वह गहलोत को भी कुर्सी से उतारना नहीं चाहती और पायलट को भी बाहर नहीं जाने देना चाहती। उसे अहसासास है कि आज भी पायलट की जरूरत है और कल भी। आज बेशक पायलट के बिना वह सरकार बचा भी ले गई, तो तब भी भविष्य में कांग्रेस को पायलट की जरूरत इसलिए रहेगी कि राज्य में उनका काफी जनाधार है।
अभी भविष्य से ज्यादा कांग्रेस को आज की चिंता है। यही वजह है कि कांग्रेस ने पिछले कई दिनों से अपने विधायकों को जैसलमेर के एक रिजॉर्ट में शिफ्ट किया हुआ है। बताया जाता है कि रिजॉर्ट में करीब 70 विधायक हैं, जबकि पार्टी के वरिष्ठ विधायक और मंत्री जयपुर में हैं। दूसरी तरफ सचिन पायलट के बारे में कहा जा रहा है कि वे 20 विधायकों को लेकर गुरुग्राम के एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं। साफ है कि राज्य में सियासी घमासान अभी और तेज होने के आसार हैं। 14 अगस्त को शुरू होने जा रहे विधानसभा का सत्र में कांग्रेस की गहलोत सरकार विश्वास मत प्रस्ताव पेश कर सकती है। हालांकि सीएम गहलोत ने कोरोनावायरस के कारण राज्य में विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही है। माना जा रहा है कि सत्र से पहले ही पायलट गुट कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
बहरहाल राज्य के सियासी गणित की बात करें तो 200 सदस्यों की विधानसभा में किसी भी पार्टी को सरकार में बने रहने के लिए 101 विधायकों की जरूरत रहेगी। कांग्रेस की ओर से 102 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी गई है। पार्टी के पास निर्दलीय, बीटीपी, सीपीएम को मिलाकर कुल 102 विधायक है। दूसरी तरफ पायलट गुट की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके पास 3 निर्दलीय सहित कुल 22 विधायक हैं, जबकि बीजेपी गठबंधन के पास 75 विधायक हैं। अब देखना का कि इस सियासी घमासान के बीच जिसमें कि विधायकों को होटलों और रिजॉर्ट्स में कैद किया जा रहा है, सीएम गहलोत सरकार बचा पाते हैं या नहीं।
-दाताराम चमोली