उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लगातार तीन दिन हुई हिंसा के बाद अब जीवन धीरे-धीरे ढर्रे पर आने लगी है। इसी बीच मंगलवार को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने प्रभावित इलाके में जाकर जायजा लिया। अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान और आयोग के सदस्य करतार सिंह अपनी पूरी टीम के साथ हिंसा प्रभावित जगहों का दौरा किया और हालात का मुआयना किया। आयोग की टीम यमुना विहार, गोकुलपुरी, जाफराबाद, चांदबाग, बृजपुरी, मुस्तफाबाद, शिव विहार, और भजनपुरा इलाकों में गई। साथ ही उन सभी स्कूलों और मस्जिदों का भी निरीक्षण भी किया जो इस हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने उत्तरीपूर्वी हिंसा के दौरे के बाद बताया, “हम 2 मार्च को उत्तर-पूर्वी दिल्ली गए थे और अब हम जल्द से जल्द एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन करेंगे, जो कि इन दंगों के शुरू होने के कारणों की जांच करेगी। इन दंगों में कितना नुकसान हुआ। कितने लोग ऐसे हैं, जो इन दंगों की वजह से भागे हैं और साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास किया जाएगा इन दंगों में पुलिस की क्या भूमिका रही थी।” उन्होंने बताया कि इस टीम में आयोग के सदस्यों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी शामिल होंगे।
वहीं अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य करतार सिंह ने कहा, “यह सब सुनियोजित तरीके से हुआ है। यह दंगा अचानक नहीं हुआ। इन दंगों में उन सभी बिल्डिंगों पर कब्जा किया गया, जो कि इन इलाकों में सबसे बड़ी और ऊंची थीं। उनको टारगेट करके वहां से सब कुछ किया गया है।” उन्होंने आगे कहा कि हिंसा में बाहर से लोग भी शामिल रहे और वे लोग दंगों के दौरान 24 घंटे इन इमारतों में रह रहे थे। ये सभी दंगा भड़काने के लिए तैयार किए गए थे और उनके कपड़े भी अलग थे। अभी हम फिलहाल जांच के लिए एक टीम बनाएंगे जो कि इन सभी पहलुओं की जांच करेगी।
अब दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर बुधवार को अपनी एक आंकलन रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया है कि यह हिंसा सुनियोजित थी और इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें अधिकतम नुकसान दुकानों और घरों को हुआ है। साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा घोषित क्षतिपूर्ति इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जितनी आर्थिक मदद पीड़ितों को दी गई है, उसके आधार पर वे अपना जीवन फिर से पटरी पर नहीं ला पाएंगे। इसलिए दिल्ली सरकार से कहा गया है कि वह पीड़ितों के लिए मुआवज़े की रकम बढ़ा दे।
अल्पसंख्यक आयोग ने दो पेज की रिपोर्ट बनाई है। जिसमें बताया है कि किस तरह आगजनी की वारदात को अधिक भयावह बनाने के लिए गैस सिलिंडरों का इस्तेमाल किया गया था और किस तरह दुकानों और घरों को आग के हवाले करने के पहले उन्हें लूटा गया था। इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस की तारीफ भी की गई है। दंगा-ग्रस्त इलाकों से पीड़ितों को निकालने में दिल्ली पुलिस ने मदद की थी। गौरतलब है कि हिंसा में 47 लोगों की मौत हो गई हैं और 422 लोग घायल हैं।