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न्याय के इंतजार में नाबालिक

आए दिन ऐसी ख़बरें सामने आती रहती हैं कि देश के न्यायालयों में हजारों मामले लंबित पड़े हैं जिसके कारण लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। जिनमें बाल अपराध के कई मामले भी शामिल हैं जो कई सालों से लंबित पड़े हैं और बच्चे न्याय के इंतजार में हैं।

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा संसद में एक रिपोर्ट पेश की गई जिसमें यह बताया गया कि देशभर में बाल अपराध की धाराओं के तहत दर्ज 50 हजार से अधिक लंबित मामलों में बच्चों को न्याय का इंतजार है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बाल अपराध के ये मामले साल 2022 में दर्ज हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार इन मामलों को तीन वर्ष के लिए ओर बढाना चाहती है। रिपोर्ट के केंद्र शासित प्रदेश व राज्यों के पास कुल 1लाख 98 हजार 208 मामले लंबित पड़े थे उनमें से सरकारी एजंसियों ने इस वर्ष कुल 64 हजार 959 मामलों का निपटारा किया है। रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार बाल अपराध से संबंधित राज्यों में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है, उसके बाद बिहार, मध्य प्रदेश, ओड़ीशा और महाराष्ट्र आदि शामिल हैं।

देखा जाये तो उत्तर प्रदेश में बाल अपराध निपटारे के लिए देश में सबसे ज्यादा फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट बनाए गए है जहां बाल अपराध से संबंधित सभी केसों की सुनवाई की जाती है। उत्तर प्रदेश में लगभग 218 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट हैं। इतने बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के बावजूद यूपी में बाल यौन मामलों के निपटारे में भारी कमी देखने को नहीं मिलती है। साल 2020 में यह बाल अपराध के 26 हजार 318 और साल 2021 में 31 हजार 562 मामलों का निपटारा किया गया था जिसकी संख्या साल 2022 में घटकर महज 8 हजार 561 ही रह गयी है। मतलब बीते साल 2021 मे यूपी में बाल अपराध के केवल 8 हजार 561 मामलों का निपटारा किया गया है। वहीं साल 2022 में बिहार में बाल यौन अपराध के कुल 15 हजार 587 मामले दर्ज किये गए जिनमें से 3 हजार 610 मामलों का निपटारा किया गया। साल 2021 के दौरान करीब 14 हजार 2 मामले पेंडिंग थे जिसमें से कुछ 2 हजार 127 केसों का निपटारा किया गया।

 

क्या है फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट

 

जैसा की फास्ट ट्रैक कोर्ट के नाम से ही स्पष्ट है कि ऐसा कोर्ट जहाँ सुनवाई और न्याय की प्रक्रिया तेजी से होती है । सरल शब्दों में कहें तो यह त्वरित सुनवाई के लिए बनी अदालत है। साथ ही सरकार द्वारा नाबालिगों के खिलाफ रेप एवं नाबालिगों के शोषण जैसे अपराधों पर पॉक्सो एक्ट के तहत तेजी से सुनवाई एवं न्याय को देखते हुए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों का गठन किया जाता है।

 

सरकार बना रही योजना

 

केंद्र द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर न्याय विभाग के का कहना है कि लंबित पड़े मामलों के निपटारे के लिए एक नई योजना की शुरुआत करने की तैयारी की जा रही है। जिसकी विस्तार समय सीमा वर्ष 2026 होगी। केंद्र सरकार का यह भी कहना है कि सरकार पाक्सो के तहत दर्ज किये जा रहे मामलों को गंभीरता से ले रही है। केंद्र सरकार ने बाल अपराध के मामलों के निपटारे के लिए त्वरित विशेष अदालत का गठन भी किया है। रिपोर्ट में इस बात की जानकारी भी दी गई है कि देश में कुल 768 त्वरित विशेष अदालत प्रचलन में हैं और इनके तहत 418 विशिष्ट पॉक्सो न्यायालय मौजूद हैं। साथ ही यह भी बताया है कि इस प्रकार की अदालतों के लिए दी जाने वाली राशि का खर्च भी हर साल बढ़ रहा है। साल 2019-20 के बगत में इनके लिए 140 करोड़, 2020-21 में 160 करोड़ और 2021-22 में 134 करोड़ और चालू वित्तीय वर्ष में 186 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई।

 

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