अभी हरिद्वार के पत्रकार अहसान अंसारी के खिलाफ कराई गई फर्जी रिपोर्ट और फिर जेल भेजने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि उत्तराखंड के ही कोटद्वार में माफियाओं का शिकार एक और पत्रकार बना है। यह मामला पौढ़ी जनपद के कोटद्वार का है। जहा एक पोर्टल न्यूज़ चलाने वाले पत्रकार पर खनन माफियाओं ने पहले जानलेवा हमला किया। उसके बाद उसके खिलाफ ही रिपोर्ट दर्ज करा दी।
पत्रकार का कसूर सिर्फ यह था कि वह कई दिनों से लगातार खनन माफियाओं का सच दिखा रहा था। यही नहीं बल्कि अपने पोर्टल न्यूज़ पर अवैध खनन के खेल को लाइव दिखा रहा था। जो खनन माफियाओं को रास नहीं आया। जब खनन माफिया नदी से अवैध खनन कर रहे थे तो तब पत्रकार पर लाइव प्रसारण करते समय रिवॉल्वर और बंदूकों से हमला किया गया। जिसके चलते पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गया।
पत्रकार के नाम राजीव गौड़ है। कोटद्वार के बलभद्रपुर निवासी राजीव गौड़ की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में कहा गया है कि 30 मई की सांय करीब सात बजे वह नियम विरुद्ध हो रहे खनन की करवेज करने के लिए सुखरो नदी में गया। इस दौरान नदी में खननकारी महेंद्र बिष्ट, अजय नेगी, ग्राम प्रधान सहित 20-25 अन्य लोगों ने उसके साथ ही उसके मित्र मुजीब नैथानी पर धारदार हथियार से हमला करने के साथ ही दोनों को जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने राजीव गौड़ का मेडिकल कराने के साथ ही नामजद व अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया।
जबकि दूसरी तरफ पुलिस ने पत्रकार और उसके साथी पर हमला करने वाले लोगो की तरफ से भी रिपोर्ट दर्ज कराई है। पट्टाधारक पदमपुर निवासी विकास रावत व ग्राम बंठोली (श्रीकोटखाल) की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में कहा गया है कि राजीव गौड़ व मुजीब नैथानी उनके द्वारा सुखरो नदी में लिए गए पट्टों के बाबत करीब एक सप्ताह से प्रति पट्टा पांच लाख रूपए की रंगदारी मांग रहे थे। खुद को पत्रकार बताते हुए वे दोनों पैसे न मिलने पर उनके विरुद्ध खबर प्रचारित-प्रसारित करने की बात कह रहे थे।
तहरीर के मुताबिक, 30 मई की सांय सात बजे दोनों खनन पट्टों पर पहुंचे और वीडियोग्राफी करते हुए नापजोख करने लगे। जब उनसे इस बाबत पूछा गया तो उक्त लोगों ने उनके साथियों व कर्मचारियों से जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर गाली-गलौच करना शुरू कर दिया। साथ ही राइफल व पिस्टल से जान से मारने की नीयत से फायरिंग कर धारदार हथियार से हमले का भी प्रयास किया। कोटद्वार के कोतवाल मनोज रतूड़ी की माने तो दोनों पक्षों की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरु कर दी गई है।
इस मामले की शुरुआत हुई करीब दस दिन पूर्व , जब कर्मभूमि पोर्टल न्यूज़ के संपादक राजीव गौड़ ने सुखरो नदी में हो रहे अवैध खनन पर रिपोर्टिंग करना शुरू कर दी थी। राजीव गौड़ ने पहली बार सुखरो नदी का लाइव दिखाया और बताया की किस तरह नदी का चार-चार पोकलैंड मशीनों के जरिये चीर हरण किया जा रहा है। यह पोकलैंड मशीने निर्धारित मानकों की जमकर धज्जिया उड़ा रही थी। पहले तो नियम यह होता है कि नदी से खनन नहीं बल्कि चुगान करने के लिए पट्टा जारी हुआ था। जिसमे सिर्फ मानव शक्ति के जरिए ही चुगान होना तय होता है।
लेकिन सुखरो नदी में खनन माफियाओ ने मानव शक्ति की बजाय पोकलैंड मशीने उतार दी। मशीने भी एक दो नहीं बल्कि चार – चार। इसके बाद जहा चुगान करने की अनुमति तीन मीटर तक निर्धारित की गई थी वही 15 से 20 फुट गहरे गढ्ढे किए जाते रहे। इसी के साथ आरबीएम ले जा रहे डंफरों को ओवरलोड करके ले जाता रहा।
पत्रकार राजीव गौड़ द्वारा एक दूसरे लाइव में दिखाया गया कि किस तरह पुलिस थाने के सामने करीब 8 डंफर खड़े थे जो ओवरलोड के चलते पुलिस ने पकडे थे। इसके बावजूद भी राजीव गौड़ द्वारा दिखाया गया कि किस तरह थाने के सामने से ओवरलोड डंफर जा रहे थे लेकिन पुलिस द्वारा कोई चेकिंग नहीं की जा रही थी। इसके बाद राजीव गौड़ ने प्रदेश के डीजीपी (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार से इस बाबत बात की। अशोक कुमार से हो रही बातों को भी राजीव कुमार ने लाइव सुनाया कि वह इसकी शिकायत एसएसपी से करने को कह रहे है। जबकि राजीव गौड़ बताते है कि वह लगातार इस अवैध खनन के खेल को लाइव दिखा रहा है और पुलिस प्रशाशन को भी बताया जा रहा है।
लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। आखिर प्रदेश के सीनियर पुलिस ऑफिसर अशोक कुमार के आश्वासन के बाद भी अवैध खनन का खेल और ओवरलोडिंग नहीं रुकी। इसके बाद 30 मई की शाम को राजीव गौड़ सामाजिक कार्यकर्ता और उत्तराखंड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी के साथ फिर से सुखरो नदी का सच दिखने पहुंच जाते है। जहा उन दोनों पर हमला हो जाता है।
अवैध खनन का खेल खेलने वाले खनन माफिया ने जब राजीव गौड़ पर गोली चलाई तो तब भी लाइव चलाया जा रहा था। लाइव में गोली चलने और पत्रकार पर हमले की फुटेज को देखा जा सकता है। इसके बाद जब पत्रकार के सर पर बन्दुक की बट मरकर उसको गंभीर घायल कर दिया गया तो वह कोटद्वार थाने में आते है जहा कोई पुलिस वाला मौजूद नहीं था। इसके बाद राजीव गौड़ सीओ अनिल जोशी के पास पहुंचते है। वहा कोटद्वार की सभी मीडीया मौजूद रहती है। इसके बावजूद भी आरोपी घायल पत्रकार पर पुलिस के समक्ष ही हाथापाई पर उतर जाता है।
खनन माफिया को एक मंत्री की शह बताई जा रही है। इसकी बलबूते ही वह खुलेआम न केवल अवैध खनन का खेल खेल रहा है बल्कि पत्रकार और समाजसेवी पर हमलावर हो जाता है। बाद में जब माफिया के खिलाफ पत्रकार ने मामला दर्ज कराया तो उसने ब्लैकमेलिंग का झूठा आरोप लगाकर उनके ही खिलाफ मामला दर्ज करा देता है। इस मामले में पुलिस की भूमिका भी सवालो और संदेहो के घेरे में है।