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मिलिए SEX कोच पल्लवी बर्नवाल से

SEX
भारत में सेक्स और सेक्सुआलिटी के बारे में खुलकर बात करना  अभी भी एक चैलेंज है। लेकिन हम ये क्यों नहीं सोचते कि SEX के बारे में जानने से आपके बच्चे बाद की ज़िंदगी में बहुत सी समस्याओं से बच जायेंगें । ख़ुद को लेकर, अपने शरीर को लेकर चिंता, यौन शोषण, बोझ बन जाने वाले रिश्तों और सेक्स को लेकर उपभोक्तावाद जैसी कुछ दूरगामी समस्याएं हैं, जिनका सामना बच्चे बड़े होकर करते हैं। भारत के ज़्यादातर स्कूल sex के बारे में नहीं पढ़ाते। तो, सेक्स और रिश्तों के बारे में बच्चों को समझाने की ज़िम्मेदारी उनके माँ-बाप पर आ जाती है।
सेक्स कोच पल्लवी बर्नवाल(pallavi barnwal) दिल्ली की रहने वाली हैं।उन्होंने सिर्फ़ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी इस पहल के दम पर ख़ूब लोकप्रियता बटोरी है। pallavi ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि अक्सर माँ-बाप को ही ये नहीं पता होता कि वो बच्चों को sex के बारे में क्या बताएं।
 “पीछे मुड़कर देखती हूँ तो मेरी पारंपरिक भारतीय परवरिश ने असल में वो ज़मीन तैयार कर दी थी कि मैं आख़िर में sex कोच बन जाऊं।”
मेरे ऊपर इससे जुड़ा सबसे पहला असर तो मेरे अपने माँ-बाप के रिश्तों का ही पड़ा था। हालाँकि, तब मुझे इस बात का अहसास नहीं हुआ था। मेरे माँ-बाप की शादी को लेकर बरसों तक अफ़वाहें फैलती रही थीं। जब मैं क़रीब आठ वर्ष की थी, तब से ही मुझे अजीब-ओ-ग़रीब सवालों का सामना करना पड़ता था।दावतों में अगर मैं अपने परिवार से कुछ देर के लिए भी दूर हो जाती थी, तो बहुत सी औरतें मुझे घेरकर मेरे माँ-बाप के रिश्ते के बारे में सवालों की बौछार कर देती थीं।क्या तुम्हारे मम्मी-पापा अभी भी एक ही कमरे में सोते हैं?क्या तुमने दोनों के बीच लड़ाई होते सुनी है? क्या तुम्हारे घर में कोई और आदमी आता जाता है?
मैं टेबल के पास खड़ी चम्मच से आइसक्रीम निकालने ही वाली होती थी, या फिर मैं खेलने के लिए बगीचे में दूसरे बच्चों को तलाश ही रही होती थी कि अचानक से महिलाओं की भीड़ मुझे घेर लेती।

मेरा डिवोर्स होने के बाद मेरी माँ ने मुझे अपने और पापा के रिश्ते का सच बताया 

सालों बाद, मेरा अपना डिवोर्स होने के बाद, मेरी माँ ने मुझे पूरी कहानी सुनाई।मेरे माँ-बाप की मैरज के शुरुआती दिनों में ही, मेरे और मेरे भाई के पैदा होने से पहले ही, मेरी माँ को एक आदमी के प्रति लगाव महसूस हुआ था।
हालाँकि बाद में ये लगाव शारीरिक संबंध में तब्दील हो गया।लेकिन, कुछ हफ़्तों के भीतर ही वो अपराधबोध की शिकार हो गईं और उन्होंने वो रिश्ता ख़त्म कर दिया।लेकिन, भारत के समाज में आप पर लोगों की निगाहें होती हैं। फिर वो आपके बारे में बातें करने लगते हैं। बाद में ये बातें मेरे पिता के कानों तक पहुंच गईं।
SEX
दस साल बीतने और दो बच्चे होने के बाद जाकर मेरे पिता ये हिम्मत जुटा पाए कि वो मेरी माँ से उस दबे हुए रिश्ते के बारे में पूछ सकें।उन्होंने प्रोमिस किया कि माँ का जवाब कुछ भी हो, उसका असर दोनों के रिश्ते पर नहीं पड़ेगा।लेकिन, बरसों से दबे छुपे लफ़्ज़ों में वो जो बातें सुनते आए थे, उसका सच उन्हें जानना था।
माँ ने उन्हें सब कुछ बता दिया। माँ ने बताया कि, वो रिश्ता sex के लिए कम और नज़दीकी का ज़्यादा था। वो संबंध तब बना था, जब उनके बच्चे नहीं हुए थे, शादी के बाद रिश्ते में मज़बूती आने में अभी समय था।लेकिन, जैसे ही माँ ने बोलना बंद किया, तो, उन्होंने महसूस किया कि कमरे में एक सर्द सन्नाटा पसर गया है। जो बातें वो बरसों से सुनते आए थे। जिस बात का उन्हें डर था। आख़िर वो सच साबित हुई और दोनों के बीच भरोसा एकदम से टूट गया।उसके बाद दोनों का रिश्ता तेज़ी से और बिगड़ता ही चला गया। इससे मुझे साफ़ पता चल गया कि जब हम जब sex और नज़दीकी के बारे में साफ़ग़ोई से बात नहीं कर पाते, तो इससे परिवार टूट जाते हैं।कभी कभी समाज से भी अलग कर दिया जाता है।

पल्लवी बर्नवाल का बचपन एक रूढ़िवादी माहौल में गुजरा

  वो कहती हैं कि , ‘मेरा बचपन बड़े रूढ़िवादी माहौल में गुज़रा। दूसरे परिवारों की तरह, हमारे यहां भी sex ऐसा मसला था, जिसके बारे में खुलकर बात नहीं होती थी।’ मेरे मां-बाप कभी सबके सामने न तो एक दूसरे का हाथ पकड़ते थे और न ही एक दूसरे को गले लगाते थे। यही नहीं, हमारे समुदाय में कोई भी इस तरह अपने लगाव का इज़हार नहीं करता था।’
Belgium में बच्चों को सात वर्ष की उम्र से ही sex के बारे में पढ़ाया जाने लगता है।लेकिन, भारत ऐसा देश नहीं है, जहाँ sex एजुकेशन सिलेबस का अनिवार्य हिस्सा हो। सच तो ये है कि वर्ष 2018 में जाकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्कूलों में सेक्स एजुकेशन(Sex Education) की गाइडलाइन जारी की थी।

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 “दिल्ली में रहते हुए मैंने कई लोगों से यौन संबंध बनाए”

सेक्स के ऐसे रिश्ते, जिनका कोई भविष्य नहीं था।मैंने इस बारे में कई तजुर्बे किए। मैंने उम्र दराज़ और शादीशुदा लोगों के साथ sex किया।जैसे जैसे मेरे ज़हन में और खुलापन आया, तो उन बातों में भी बदलाव आया, जो मैं लोगों से किया करती थी। कभी कोई महिला ये जानना चाहती थी कि sex toy का इस्तेमाल कैसे करें।और कभी कोई पुरुष ये जानना चाहता था कि कोरोना से उबरने के बाद हस्तमैथुन करना ठीक होगा या नहीं।
मेरा बेटा अभी आठ वर्ष का है और मुझे पता है कि अगले कुछ बरसों में उसे इस बारे में जानने की जिज्ञासा होगी। जब मैंने उसे दूध पिलाना बंद किया, तभी ये समझाया था कि अब उसकी ऐसी उम्र हो गई है कि उसे महिलाओं के शरीर के कुछ अंगों को नहीं छूना चाहिए।उस समय वो बहुत छोटा था, लेकिन वो मेरी बात समझ गया।

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