आए दिन ऐसी खबरें सामने आती है जिनमें मरीजों के परिजनों द्वारा डक्टरों या अस्पतालों पर हमला किया जाता है या अक्सर डॉक्टरों को ऐसी धमकी दी जाती हैं। कुछ इसी प्रकार की धमकियों से झारखंड के चिकित्स्क जूझ रहे हैं। इसी वजह से बीते कई दिनों झारखंड में चिकित्सकों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा था। जिसमें सभी चिकित्स्क सरकार से सुरक्षा की मांग कर रहे थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए हेमंत सरकार ने मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट पर अब जाकर मुहर लगाने का फैसला किया है।
पारित किए जाने वाले इस मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को मंत्रिपरिषद की बैठक में 15 मार्च को स्वीकृति दी गई है। जिसके तहत चिकित्सा सेवा से जुड़े व्यक्तियों और संस्थानों को हिंसा और संपत्ति के नुकसान से बचाने के लिए सुरक्षा की बात कही गई है। इस विधेयक के अनुसार राज्य में अगर चिकित्सा सेवा से जुड़े कर्मियों और संस्थानों के खिलाफ किसी तरह की हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो आरोपी के खिलाफ ठोस से ठोस कार्रवाई की जाएगी। जिसमें आरोपी को दो साल तक की सजा और पचास हजार तक का जुर्माना देना पड़ सकता है ।चिकित्स्कों से संबंधित समस्या को सुलझाने के लिए राज्य सरकार ‘झारखंड चिकित्सा सेवा से संबंद्ध व्यक्तियों, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक 2023’ को विधानसभा से पारित कराएगी।
इस मामले में ट्रायल सक्षम स्तर के न्यायालय के द्वारा किया जाएगा। अपराधी द्वारा इस भरपाई की राशि को न्यायालय तय करेगी। 15 मार्च को हुई बैठक में इस विधेयक के अलावा 40 प्रस्तावों पर भी स्वीकृति दी गयी है। मेडिकल प्रोटैक्शन एक्ट को विधेयक के रूप में सदन में पेश किया जाएगा। जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद ही यह कानूनी रूप में लागू किया जाएगा। इससे संबंधित मामलों की जांच डीएसपी स्तर से कम के अधिकारी नहीं कर सकेंगे। संस्थानों को हुई आर्थिक क्षति की भरपाई का प्रावधान भी इस कानून में होगा।
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