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आम चुनाव 2024 के लिए विपक्ष की कमान संभालने के लिए कांग्रेस आतुर नजर आ रही है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब कांग्रेस कमेटी की रायपुर में होने वाली तीन दिवसीय अधिवेशन को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं

कांग्रेस का 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन रायपुर के मेला स्थल में होने वाला है। इस अधिवेशन के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि 2023 देश में होने वाले आठ राज्यों के विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यह अहम माना जा रहा है। इसके जरिए पार्टी लोकसभा चुनाव का रोडमैप तैयार करेगी। आम चुनाव 2024 के लिए विपक्ष की कमान संभालने के लिए कांग्रेस आतुर है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब कांग्रेस कमेटी की रायपुर में होने वाली बैठक में भाजपा विरोधी एकजुटता को लेकर दिशा तय हो सकती है। कांग्रेस न केवल भाजपा के खिलाफ विपक्ष का मोर्चा संभालने को तैयार है बल्कि क्षेत्रीय पार्टियों को एक साथ लाने के प्रयास में भी जुटी हुई है। यह तीन दिवसीय अधिवेशन 24 फरवरी से शुरू होगा। इस अधिवेशन पर देशभर के लोगों की नजर है। इसमें केंद्र सरकार की नकामी और बेरोजगारी, महंगाई जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा होगी।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह अधिवेशन मिशन 2024 के लिहाज से ऐतिहासिक होगा, जिसमें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का असर रहेगा और पार्टी का महाअधिवेशन आने वाले समय में मील का पत्थर साबित हो सकता है। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कार्यसमिति की बैठक में चुनाव के संबंध में फैसले किए जाएंगे। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान जिन दलों को आमंत्रित किया गया था ज्यादातर ने प्रतिभागिता की थी। इस अधिवेशन की थीम होगी ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान।’ पिछले साल उदयपुर में भी चिंतन शिविर आयोजित किया गया था। उसमें जो फैसले लिए गए थे उनको इस अधिवेशन में दिखाने की कोशिश की जाएगी।

विपक्षी दलों को साथ लाने को लेकर नीतीश कुमार के बयान का स्वागत करते हुए कांग्रेस का कहना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का फर्क ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि पूरी राजनीति पर पड़ा है। यह परिवर्तनकारी क्षण है। कांग्रेस 2024 के चुनाव में अपनी भूमिका को जानती है और भाजपा के खिलाफ एकजुटता लाने के उसके प्रयास जारी रहेंगे। वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, बिना कांग्रेस के विपक्षी एकता संभव नहीं है क्योंकि कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसने कभी भाजपा के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने बिना किसी का नाम लेते हुए कहा कि बहुत सारे दलों ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था लेकिन वे अब अलग हो गए हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो उदयपुर के अधिवेशन की तरह ही कांग्रेस इसमें भी दो चीजों पर ध्यान देने वाली है। एक तो कांग्रेस को मजबूत करना और दूसरा विपक्षी दलों को साथ लाना है। यह अधिवेशन कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव की तैयारी है। कहा जा रहा है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में जो ऊर्जा देखने को मिली है अब इसे आगे तक ले जाया जाएगा। इस अधिवेशन में लगभग 15 हजार लोग शामिल होंगे जिनमें से 1 हजार 338 एआईसीसी सदस्य हैं।

रायपुर से निकलेगा जयपुर का हल
कांग्रेस का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन भले ही छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हो रहा है, लेकिन उसका ज्यादा असर राजस्थान पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। राजस्थान की कांग्रेस और नेताओं को उम्मीद है कि रायपुर के अधिवेशन से यहां का हल निकल जाएगा। जिस तरीके से रोज यहां नेताओं में तकरार दिखती है उससे लग रहा है कि रायपुर अधिवेशन इसके लिए मुफीद रहेगा। इस अधिवेश में देश भर के कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी शामिल रहेंगे। राजस्थान के कई दिग्गज नेता भी इसमें शामिल होंगे। हालांकि इसमें राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होने की बात कही जा रही है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव 2023 को फोकस में रखा जा सकता है। इस अधिवेशन में अकेले राजस्थान से लगभग 500 लोग शामिल होंगे। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद यह पहला मौका है जब कांग्रेस के दिग्गजों के साथ पीसीसी मेंबर भी रहेंगे।

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