हम दो-हमारे दो
शायर कफ़ील आज़र अमरोही की नज़्म जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया था – ‘बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी, लोग बेवज़ह उदासी का सबब पूछेंगे।’ इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी पर सटीक बैठती प्रतीत हो रही है। शुरुआती चरणों के मतदान में गिरावट भाजपा के लिए चिंता का बड़ा कारण बन चुका है। ऐसे में यकायक ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्योगपति अडानी-अंबानी का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से यह पूछना कि इन दो उद्योगपतियों से कांग्रेस ने कितना चंदा वसूला है, खासी चर्चा का विषय बन गया है। राहुल गांधी बीते कई वर्षों से मोदी पर ‘हम दो – हमारे दो’ का तंज कसते- आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सरकार इन दो उद्योगपतियों के इशारे पर चल रही है। पीएम द्वारा इस तंज का जवाब लंबी चुप्पी बाद इस अंदाज में देना कई सवाल खड़े कर रहा है
आम चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है राजनीतिक दल एक-दूसरे पर और ज्यादा आक्रामक होते जा रहे हैं। सभी पार्टियां एक के बाद एक दांव चलकर अपने विरोधियों के हौसलों को पस्त करने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं एक-दूसरे पर वार पलटवार भी जारी है। आलम यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान से ही केंद्र की भाजपा शासित मोदी सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार देश को अंबानी और अडानी के हवाले कर रही है। यह सरकार ‘हम दो – हमारे दो’ यानी देश के उद्योगपति अंबानी और अडानी की सरकार है। उनके आरोप के जवाब में कभी बीजेपी और पीएम मोदी के तरफ से बयान नहीं आया। लेकिन गत् दिनों तेलंगाना में एक चुनावी सभा के दौरान पीएम मोदी ने अजीबो-गरीब पलटवार कर डाला है। पीएम ने कांग्रेस से सवाल पूछा कि अक्सर अंबानी और अडानी का नाम लेकर सरकार को घेरने वाले राहुल चुनाव के बीच अचानक चुप क्यों हो गए हैं? वे यहीं नहीं रूके, बल्कि आरोप लगा दिया कि कांग्रेस ने इन उद्योगपतियों से पैसे मिलने के बाद चुप्पी साध ली है। उन्होंने तल्ख अंदाज में पूछा कि चुनाव में अंबानी-अडानी से कितना माल उठाया है? काले धन के कितने बोरे मिले हैं? क्या सौदा हुआ कि राहुल ने अंबानी-अडानी को गाली बंद कर दी? दाल में जरूर कुछ काला है। पीएम के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि उनके इस रुख से बाकी बचे चरणों का संग्राम चुनावी तपिश को और बढ़ा देगा।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अभी तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित अन्य कई विपक्षी नेता पीएम नरेंद्र मोदी के अडानी और अंबानी के साथ संबंध को लेकर उनकी घेराबंदी करते रहे हैं। अब अचानक पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर अडानी और अंबानी को लेकर पलटवार किया जरूर लेकिन इस कोशिश में वह खुद ही घिर गए। यानी कांग्रेस अबकी बार के चुनाव में अपनी ही पिच पर बल्लेबाजी के लिए पीएम को मजबूर कर रही है। इस बार वह जो भी बयान दे रहे हैं, उसमें खुद ही घिरते जा रहे हैं। ऐसे में वह बार-बार बयान बदल रहे हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पा रही है। हालांकि कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल के चुनावी भाषणों में अचानक बदलाव नहीं हुआ। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने पिछले लोकसभा चुनाव से सबक लिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने राफेल के जरिए बीजेपी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। वह पूरे चुनाव में राफेल की खरीद में हुई लेन-देन की बारीकियां समझाते रहे और बीजेपी पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और लोक- लुभावन मुद्दों पर बाजी मार ले गई। खुद राहुल चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की बैठक और न्याय यात्रा में भी अंबानी-अडानी के नाम जपते रहे। सूत्रों के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनाव में दो चरण के मतदान के बाद पार्टी को फीडबैक मिला कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी को घेरने की कोशिश का खास असर नहीं पड़ रहा है। वोटर जनहित के मुद्दों पर अपनी राय बना रहे हैं, इसलिए अब राहुल गांधी बेरोजगारी, महंगाई और संविधान पर ज्यादा बात कर रहे हैं।
मोदी ने कांग्रेस को उलझाया
पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव के बीच एक बयान से कई दांव खेले हैं । कहा जा रहा है कि उन्होंने अंबानी-अडानी का नाम लेकर राहुल गांधी को उकसाने की कोशिश की है। इनके बारे खुलेआम बोलकर जनता को यह जता दिया कि कांग्रेस की ओर से जो आरोप पहले लगाए जा रहे थे, उसमें दम नहीं है। साथ ही यह भी संदेश दिया कि उद्योगपतियों का नाम लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। इस तरह उन्होंने बीच चुनाव में अपना दामन साफ कर लिया। खुद पीएम मोदी ने अंबानी-अडानी पर कांग्रेस को पैसा देने का तमगा लगा दिया। इस तरह कांग्रेस पर उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप भी जड़ दिए। इस मुद्दे में कांग्रेस उलझ सकती है। अब अगर राहुल दोबारा उद्योगपतियों के नाम पर भाषणबाजी शुरू करेंगे तो कोर मुद्दे पीछे छूट जाएंगे। नहीं बोले तो जनता के बीच सही संदेश नहीं जाएगा और पीएम मोदी की बात सच जैसी लगने लगेगी। इसके अलावा वोटरों के मूड ने भी पीएम मोदी को गियर बदलने के लिए मजबूर किया है। अभी तक वह अपनी चुनावी रैलियों में शहजादे, राम मंदिर, मुस्लिम आरक्षण, दुनिया की तीसरी ताकत जैसे मुद्दे पर ही बोलते रहे हैं।
नेताओं ने बदली रणनीति
लोकसभा चुनाव की यात्रा अभी आधी पूरी हुई है। अभी तक चार चरणों में 25 राज्यों की 379 सीटों पर मतदान हो चुका है। आने वाले तीन चरणों में 164 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। पिछले आम चुनाव से तुलना करें तो 2024 लोकसभा चुनाव के तीन चरणों में कम वोटिंग हुई है। पहले चरण में 66.14 और दूसरे चरण में 66.71 फीसदी मतदान हुआ। तीसरे चरण में भी 64.5 प्रतिशत वोटिंग हुई। वोटिंग पैटर्न के विश्लेषण करने वाले मानते हैं कि इस चुनाव में बड़े बदलाव के संकेत नहीं हैं। अभी तक सिर्फ नॉर्थ ईस्ट के राज्यों, गोवा और केरल में 70 प्रतिशत से अधिक वोटिंग हुई। इन राज्यों में मतदान का ऐसा ही ट्रेंड पहले भी रहा है। मगर अन्य राज्यों में औसत मतदान हुआ है। बाकी बचे तीन चरणों में अगर मतदान के प्रतिशत में बड़ा बदलाव हुआ तो नतीजे भी बदल जाएंगे। इस फैक्ट से राजनीतिक दल भी वाकिफ हैं, इसलिए नरेंद्र मोदी और राहुल ने चुनावी भाषा बदली है।
पीएम के बयान का राहुल गांधी ने दिया जवाब
राहुल गांधी ने कहा, ‘नमस्कार मोदी जी, थोड़ा सा घबरा गए क्या? आमतौर पर आप बंद कमरों में अडानी और अंबानी जी की बात करते हो। आपने पहली बार पब्लिक में अंबानी,अडानी बोला। आपको ये भी मालूम है कि ये टेम्पो में पैसा देते हैं। निजी अनुभव है क्या?’ एक काम कीजिए सीबीआई और ईडी को इनके पास भेजिए। पूरी जानकारी करिए। जांच करवाइए। जल्दी से जल्दी करवाइए। घबराइए मत मोदी जी मैं देश को फिर दोहराकर कह रहा हूं कि ‘जितना पैसा नरेंद्र मोदी जी ने इनको दिया है न उतना ही पैसा हम हिंदुस्तान के गरीबों को देने जा रहे हैं। इन्होंने 22 अरबपति बनाए हैं हम करोड़ों लखपति बनाएंगे।’
जी का जंजाल बनते पीएम के भाषण
सोशल मीडिया में विपक्षी नेताओं सहित आम लोग भी कह रहे हैं कि पीएम ने खुद मान लिया कि अडानी और अंबानी पर काला धन है। क्योंकि उन्होंने ही कहा कि इनसे कितना माल मिला है। कालाधन बोरों में भरकर लिया है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि पीएम तो काला धन पर अंकुश लगाने की बात करते थे। यदि काला धन कांग्रेस को दिया जा रहा था तो वह चुपचाप तमाशा क्यों देख रहे हैं। ईडी और सीबीआई क्या कर रही हैं, वहीं अब लोग राहुल गांधी के बयान के साथ ही उनके अन्य बयानों को भी पीएम के बयान के साथ जारी कर रहे हैं, जिसमें राहुल ने अडानी अंबानी का नाम लिया है। कई लोग ये कहने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं कि बीजेपी की हार तय देखते हुए अब पीएम मोदी के मित्रों ने भी उनका साथ छोड़ दिया है।
दोस्त दोस्त ना रहा: खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अडानी-अंबानी वाले बयान पर पलटवार किया है। खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि वक्त बदल रहा है। दोस्त दोस्त ना रहा। तीन चरणों के चुनाव पूरे हो जाने के बाद प्रधानमंत्री अपने मित्रों पर ही हमलावर हो गए हैं। इससे पता चल रहा है कि मोदी जी की कुर्सी डगमगा रही है। यही परिणाम के असली रुझान हैं। सच्चाई ये है कि 3 अप्रैल से अब तक राहुल गांधी जी 103 बार अडानी और 30 बार अंबानी का नाम ले चुके हैं। कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर राहुल की संसद की वो तस्वीर शेयर की जिसमें वो मोदी और अडानी का फोटो दिखा रहे हैं। कांग्रेस ने लिखा-सवाल ऐसे करो कि भ्रष्टाचारी भी सफाई देने लगे। सवाल अब भी वही है-मोदी का अडानी से रिश्ता क्या है?
अंबानी-अडानी पर राहुल गांधी के हमले
मोदी सरकार के बीते कुछ सालों में राहुल गांधी लगातार अंबानी और अडानी घरानों का नाम लेते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधते रहे हैं। फरवरी 2023 में राहुल गांधी ने लोकसभा सदन में अडानी और पीएम मोदी की प्लेन में बैठे हुए एक तस्वीर दिखाई थी। हालांकि संसद के कैमरों ने ये पूरा वाक्या नहीं दिखाया था और कांग्रेस ने इस पर संसद टीवी पर आरोप भी लगाए थे। संसद में राहुल गांधी ने पीएम मोदी से सवाल पूछा था, ‘आप अडानी जी के साथ कितनी बार विदेश दौरे पर गए? कितनी बार आपके दौरे के फौरन बाद अदानी उस देश में पहुंचे हैं? पीएम के दौरे के बाद कितने देशों से अडानी को कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं? इलेक्टोरल बॉन्ड से कितने पैसे बीजेपी को मिले हैं?’
इसके कुछ दिनों बाद मार्च 2023 में मानहानि से जुड़े एक केस में सूरत की कोर्ट ने फैसला सुनाया था। इस मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद राहुल गांधी की सांसदी भी चली गई थी। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा था, ‘मुझे इसलिए अयोग्य करार दिया गया क्योंकि पीएम मेरी स्पीच से डरते हैं। वो मेरे अगले भाषण से डरे हुए थे जो अडानी पर होने वाला था। राहुल गांधी के आरोपों पर तब बीजेपी ने कहा था कि राहुल गांधी के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने नियमों की अवहेलना की और बिना किसी दस्तावेज के अभद्र टिप्पणी की। अब जब पीएम मोदी ने अंबानी और अडानी का नाम लिया तो कांग्रेस ने वही तस्वीर ट्वीट कर लिखा- सवाल अब भी वही है मोदी का अडानी से रिश्ता क्या है?
बीते दिनों अयोध्या के श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुकेश अंबानी भी गए थे। फरवरी 2024 में राहुल गांधी ने कहा था, ‘राम मंदिर के कार्यक्रम में अंबानी, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, अडानी दिखे पर कोई गरीब नहीं दिखा। अपनी चुनावी सभाओं में भी राहुल गांधी लगातार अंबानी और अडानी का जिक्र करते रहे हैं। राहुल गांधी आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार ने देश के गरीबों का पैसा देश के दो सबसे बड़े कारोबारियों को दिया है।’
राहुल गांधी ने तीन नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया था कि यह ‘हम दो, हमारे दो’ की सरकार है। इस नारे के बहाने उन्होंने बिना नाम लिए मोदी सरकार को कुछ उद्योगपतियों के लिए काम करने वाली सरकार होने का आरोप लगाया। रिलायंस ने तब राहुल गांधी के आरोपों को झूठा बताया था। कंपनी ने तब यूपीए सरकार के दौरान कंपनी को मिले ठेकों का जिक्र किया था। तब कंपनी ने राहुल गांधी से पूछा था, ‘क्या आपकी सरकार तब 10 साल तक बेईमान सरकार की मदद कर रही थी?’
इससे पहले अप्रैल 2019 में फ्रांस के एक चर्चित अखबार की रिपोर्ट में कहा गया था कि फरवरी से अक्टूबर 2015 के बीच फ्रांस सरकार ने अनिल अंबानी की एक कंपनी को लगभग 1100 करोड़ रुपए की टैक्स छूट दी। इस रिपोर्ट के संबंध में ला मोंद के दक्षिण एशिया के संवाददाता जुलियन बोसू ने ट्वीट कर कहा था, ‘अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने दसौ के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने की योजना की घोषणा की। उस समय रिलायंस पर फ्रांस में कम से कम 151 मिलियन यूरो का टैक्स बकाया था। मोदी के राफेल विमान खरीदने की घोषणा के छह महीने बाद ही फ्रांस के टैक्स विभाग ने 151 मिलियन यूरो की जगह समझौते के तौर पर 7.3 मिलियन यूरो पर ही मान गया।’
गौरतलब है कि विरासत टैक्स और मुसलमानों को आरक्षण के बाद अब अडानी-अंबानी भी आम चुनाव के मुद्दों में शामिल हो गए हैं। तेलंगाना में पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए अडानी और अंबानी को लेकर सवाल पूछा, जिसके बाद राहुल गांधी ने भी बिना देर किए पलटवार कर दिया। ये मुद्दा फिलहाल सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा है और जानकार बता रहे हैं कि ये बाकी बचे तीन चरणों के मतदान पर असर डाल सकता है।