लखनऊ में चौथे चरण के मतदान से ठीक 1 दिन पहले मयंक जोशी और अखिलेश यादव की मुलाकात ने राजधानी में चुनाव की हलचल को बढ़ा दिया है। इन मुलाकातों के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। मयंक ने अखिलेश के बाद अभिषेक मिश्र से भी मुलाकात की। अभिषेक सरोजनी नगर सीट से सपा के उम्मीदवार है । सपा की ओर से मयंक जोशी और अखिलेश यादव की मुलाकात की इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि मयंक जोशी के जरिए सपा की कोशिश राजधानी में रहने वाले उत्तराखंडी ब्राह्मण वोट बैंक के बीच इन मुलाकातों के सियासी मायने पहुंचा कर वोटों में सेंधमारी करने की है। हालांकि, दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि मयंक जोशी जल्द ही समाजवादी पार्टी में आ जाएंगे चुनाव से पहले ही मयंक जोशी के सपा में आने के कयास जोरों से लगे थे। तब कहा जा रहा था कि समाजवादी पार्टी मयंक जोशी को लखनऊ कैंट से पार्टी के टिकट पर अपना उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन समाजवादी पार्टी ने यहां से राजू गांधी को टिकट दे दिया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता बहुगुणा जोशी के पुत्र मयंक जोशी को भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी। यहां तक की मयंक जोशी के लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से टिकट के लिए रीता बहुगुणा जोशी अपने सांसदी से त्यागपत्र देने का मन बना लिया था। बेटे के टिकट के लिए रीता ने अपनी सांसदी से त्यागपत्र देने का ऑफर भाजपा को दिया। लेकिन भाजपा ने यह ऑफर स्वीकार नहीं किया।
मयंक जोशी को लखनऊ कैंट से भाजपा से टिकट ना मिलने पर एक बार फिर उनका दर्द दिखाई दे गया। उन्होंने कहा कि मैं 2017 से लगा हूं, फिर 2019 में कोशिश की। इस बार 2022 में भी प्रयासरत रहा, लेकिन पार्टी को नहीं लगता कि मैं चुनाव लड़ूं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात पर मयंक जोशी ने कहा कि वो शिष्टाचार मुलाकात करने गए थे। उन्होंने खुद को भाजपा या सपा नेता कहने की जगह सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि 2009 से लखनऊ कैंट सीट पर वह मेहनत कर रहे थे। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। जिससे वो दुखी हैं। भाजपा द्वारा उन्हें प्रचार के लिए बुलाने के मामले पर मयंक ने कहा कि पार्टी अगर प्रचार के लिए कहेगी तो वो प्रचार के लिए जाएंगे। मयंक ने कहा कि जहां भी मेरी उपयोगिता होगी या कोई मुझे बुलाया जाएगा तो मैं चला जाऊंगा। अगर कोई नहीं बुलाता है तो आराम से घर पर बैठूंगा।
गौरतलब है कि जोशी परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है। सबसे पहले हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद उनकी पुत्री रीता बहुगुणा जोशी राजनीति में आई। रीता पहले कांग्रेस में थी ।लेकिन 2017 में वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गई। तब रीता बहुगुणा जोशी ने लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव जीता।इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें इलाहाबाद से चुनाव लड़ाया। यहां से भी वह जीत गई। इस बार के चुनाव में वह अपने बेटे मयंक जोशी को सक्रिय राजनीति में उतारने का मन बना चुकी थी ।लेकिन भाजपा ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। तब से ही चर्चाओं का दौर है कि अब जोशी परिवार कांग्रेस और भाजपा के बाद सपा की राह पर जा सकता है।