महाश्य दि हट्टी के नाम से मशहूर एमडीएच के मालिक धर्मपाल गुलाटी का निधन हो गया है। वे 98 साल के थे। बीमारी के कारण वह पिछले कई दिनों से माता बच्चन देवी हॉस्पिटल में एडमिट थे। महाश्य के निधन पर देश की कई बड़ी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है।
Dharm Pal ji was very inspiring personality. He dedicated his life for the society. God bless his soul. https://t.co/gORaAi3nD9
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 3, 2020
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि “धर्म पाल जी बहुत प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपना जीवन समाज के लिेए समर्पित कर दिया। भगवान उनकी आत्मा का भला करे।” वहीं दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि “भारत के सबसे प्रेरणादायक उद्यमी, एमडीएच के मालिक धर्म पाल महाश्य का आज सुबह निधन हो गया। मैं ऐसी प्रेरक और जीवंत आत्मा से कभी नहीं मिला हूं। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते है।”
सौम्य व्यक्तित्व के धनी महाशय धर्मपाल जी संघर्ष और परिश्रम के एक अद्भुत प्रतीक थे। अपनी मेहनत से सफलता के शिखर को प्राप्त करने वाले धर्मपाल जी का जीवन हर व्यक्ति को प्रेरित करता है। प्रभु उनकी दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें व उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।ॐ शान्ति
— Amit Shah (@AmitShah) December 3, 2020
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी धर्मपाल गुलाटी के निधन पर ट्वीट कर कहा कि “सौभ्य व्यक्तितत्व के धनी महाश्य धर्मपाल जी संघर्ष और परिश्रम के एक अद्धुत प्रतीक थे। अपनी मेहनत से सफलता के शिखर को प्राप्त करने वाले धर्मपाल जी का जीवन हर व्यक्ति को प्रेरित करता है। प्रभु उनकी दिवंगत आत्मा को सदगति प्रदान करें व उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दें।”
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ। 5वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था। इसके बाद वह खुद का व्यापार करने लगे, व्यापार में उनके पिता ने उनका सहयोग दिया। शुरू में, उन्होंने कपड़ा, साबुन, बढ़ई और चावल का व्यापार किया। उनका यह व्यापार ज्यादा नहीं चला, उसके बाद वह अपने पिता के साथ महाश्य दी हट्टी पर काम करने लगे। इसे देगी मिर्च वाले के नाम से जाना जाता था। 1947 में भारत का विभाजन हुआ। विभाजन के बाद धर्मपाल गुलाटी अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए। उनके पास उस समय 1500 रूपए थे। इन 1500 में से उन्होंने 650 रूपए का एक तांगा खरीदा और दिल्ली से कुतुब रोड़ के बीच तांगा चलाने लगे। कुछ समय तांगा चलाने के बाद उन्होंने तांगा अपने भाई को दे दिया और दिल्ली के करोलबाग की अजमल खां रोड़ पर एक छोटी सी दुकान लगाकर मसाले बेचने लगे।
मसालों में उनका कारोबार चल निकला, और यहीं से एमडीएच ब्रांड की नींव का पत्थर रखा गया। अब भारत में अगर आप कहीं भी मसाले खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले एमडीएच का नाम ही सबके मुंह से निकलता हैं। आज उनका अरबों रूपए का मसालों का कारोबार है। इसके अलावा धर्मपाल गुलाटी ने समाज हित के भी कार्य भी किए है। जिनमें स्कूल बनवाना, विद्यालय खुलवाना, अस्पताल इत्यादि़ बनवा चुके हैं। उन्होंने अभी तक 20 से ज्यादा स्कूल खोले हैं। भारत में एक स्टार्टअप के तौर पर एमडीएच को एक ब्रांड बनाने तक उनकी जिंदगी काफी प्रेरणादायक है।