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मेयर चुनाव : भाजपा – ‘आप’ के घमासान में किसका नुकसान

दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों के बीच घमासान के चलते महापौर और उपमहापौर का चुनाव 30 जनवरी को हो सकता है। कहा जा रहा है कि नगर निगम के सदन में 6 जनवरी को हुए हंगामे का सबसे ज्यादा नुकसान नए चुने जाने वाले मेयर को होना है। ऐसे में नई मेयर को सबसे कम कार्यकाल यानी महज 60 दिन ही अपनी कुर्सी पर रह सकेंगी,क्योंकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 6 जनवरी को मेयर, उपमेयर और स्टैडिंग कमेटी के सदस्यों के लिए चुनाव की तारीख तय की थी,लेकिन उस दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद मेयर चुनाव टाल दिए गए।

 

ऐसे में नगर निगम ने अब 30 जनवरी को सदन की अगली बैठक बुलाकर चुनाव करवाने का प्रस्ताव दिल्ली के उपराज्यपाल को भेजा है। वहीं दिल्ली नगर निगम का सत्र हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है। इसलिए इस बार नई मेयर को सबसे कम कार्यकाल मिलेगा। आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय और भाजपा की रेखा गुप्ता में से जो भी 30 जनवरी को मेयर चुनी जाएंगी, उसका कार्यकाल 31 मार्च 2023 को समाप्त हो जाएगा। इस तरह से सिर्फ 60 दिन के लिए कुर्सी मिलेगी।

दरअसल, नगर निगम एक्ट की धारा दो (67) के अनुसार नगर निगम का अप्रैल के प्रथम दिन से वर्ष शुरू होता है और इस तरह 31 मार्च को वर्ष समाप्त हो जाता है। लिहाजा अप्रैल में दूसरे महापौर का चुनाव होगा। इस तरह से कार्यकाल और छोटा होता चला जाएगा। शपथ में देरी से दिल्ली वालों के हित किस तरह से प्रभावित हो रहा है , उसका ताजा उदाहरण नगर निगम का आगामी बजट है, जिस पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं कि अनुमानित बजट की चर्चा सदन में हो पाएगी या नहीं इस पर अभी कुछ नहीं कह सकते हैं ।

नगर निगम सदन की बैठक में हंगामा और अप्रैल से पहले होने का राजनीतिक खामियाजा महिला पार्षदों को भुगतना पड़ेगा, क्योंकि उनके लिए पहले साल महापौर का पद आरक्षित है।

नगर निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगाई का कहना है कि कमिश्नर वाले बजट को सदन में पास ना होने की स्थिति में महापौर की शक्ति वाले विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ही पास कर देंगे,लेकिन अधिकारियों के बजट पर दिल्ली के चुने हुए 250 पार्षद चर्चा करके पास कराएं, तभी जनता के हित वाला काम होगा।इतना ही नहीं नए मेयर का कार्यकाल भी बहुत कम होगा, जो निगम के इतिहास में सबसे कम होगा। हालांकि अभी तो यह देखना है कि 30 जनवरी को मेयर के चुनाव सफलतापूर्वक होते हैं या फिर कहीं सदन हंगामे के भेंट चढ़ती है।

क्या है वोटों का गणित

दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134, भाजपा को 104 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी,जिसमें ‘आप ‘ के पास बहुमत का आकड़ा है, जबकि भाजपा बहुमत से काफी पीछे है। आम आदमी पार्टी के पास पार्षदों के अलावा 3 राज्यसभा सदस्य और 13 विधायकों को मिलाकर 150 सदस्य हैं। जबकि भाजपा के पास 104 पार्षद 1 निर्दलीय पार्षद को मिलकर उसका आंकड़ा 105 पर पहुंच गया है। इसके अलावा भाजपा के 7 सांसद और 1 विधायक को मिलाकर यह आंकड़ा 113 तक ही पहुंच पा रहा है। वहीं कांग्रेस के 9 पार्षद और निर्दलीय 2 पार्षद हैं। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने इस चुनाव से खुद को बाहर रख रखा है।

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