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म्यांमार में क्यों हो रहा विवाद ?

म्यांमार में काफी समय से जातिवाद को लेकर काफी हिंसा भड़की हुई है। मेतेई और कुकी समाज के बीच अनुसूचित जाती को लेकर काफी समय से मार्च निकाले जा रहे हैं। इन मार्चों में बीच बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। म्यांमार में इन मार्चों के बाद हालात काफी गंभीर हो गए हैं, यहां एयरस्ट्राइक की जा रही हैं जिसके चलते हज़ारों लोग म्यांमार से पलायन कर रहे हैं। पालयन की नौबत तो उस वक़्त आई जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध करने लगे।
म्यांमार के चिन राज्य में काफी समय से युद्ध चल रहा है। जिसके कारण हुए एयरस्ट्राइक और जबरदस्त गोलीबारी की वजह से यहाँ के लोग पलायन कर पड़ोसी देश में जाकर बस रहे हैं। इन हमलों के बीच लगभग 2000 से अधिक लोग मिजोरम में दाखिल हो गए हैं। ये सभी लोग पिछले 24 घंटों में सीमा पार करते हुए मिजोरम पहुंच गए हैं। इस लड़ाई में लगतार चम्फाई जिले के डिप्टी कमिश्नर जेम्स लालरिंचन ने एएनआई ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि ‘सभी लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य के गृह मंत्रालय के मुताबिक, वर्तमान में 31,364 नागरिक राज्य के विभिन्न हिस्सों में जीवन जी रहे हैं। ज्यादा शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
सेना और पीडीएफ के बीच हुई जबरदस्त गोलीबारी
वहीं, जेम्स लालरिंचन ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि म्यांमार की सत्तारूढ़ जुंटा समर्थित सेना और मिलिशिया समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स के बीच भीषण गोलीबारी हुई है।यह लड़ाई तब हुई जब पीडीएफ ने म्यांमार के चिन राज्य में खावमावी और रिहखावदार में दो सैन्य ठिकानों पर हमला किया। म्यांमार के रिहखावदार सैन्य अड्डे को सोमवार तड़के पीपुल्स डिफेंस फोर्स ने अपने कब्जे में ले लिया और खावमावी सैन्य अड्डे पर भी दोपहर तक नियंत्रण हासिल कर लिया।’
क्या चाहता है पीडीएफ
बता दें कि पीपुल्स डिफेंस फोर्स ने म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। यह नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट की सशस्त्र शाखा है। दिनांक 1 फरवरी 2021 को हुए सैन्य तख्तापलट के जवाब में पीडीएफ का गठन किया गया है। इस संगठन का उद्देश्य म्यांमार में सैन्य ताकत से लड़ते हुए देश में फिर से चुनी गई सरकार के जरिए लोकतंत्र स्थापित करना है।

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