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नौ महीने का हो सकता है मातृत्व अवकाश

रविवार यानि 14 मई को नीति आयोग ने महिलाओं के पक्ष में एक बड़ा एक बदलाव लाने की सलाह देते हुए निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व अवकाश को छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने की सलाह दी है।

फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन ने पॉल के हवाले से एक बयां में कहा, ”निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को माताओं के मातृत्व अवकाश को मौजूदा छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने के बारे में सोचने के लिए एक साथ बैठने की जरूरत है।” एफएलओ के अनुसार निजी क्षेत्र की कंपनियों को अपनी महिला कर्मचारियों के बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए अधिक क्रेच खोलने के साथ बुजुर्गों की देखभाल के लिए भी बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने में नीति आयोग की मदद करनी चाहिए। इसके लिए भविष्य में लाखों देखभाल कर्मियों की आवश्यकता होगी और इन देखभाल कर्मियों के कौशल क्षमता को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण केंद्र भी खोले जाने चाहिए। ये आर्थिक विकास, लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के मामले में अहम हैं।
शिवकुमारका कहना है कि भारत में बड़ी खामी है कि हमारे पास देखभाल अर्थव्यवस्था से जुड़े श्रमिकों की ठीक से पहचान करने की कोई प्रणाली नहीं है और अन्य देशों की तुलना में देखभाल अर्थव्यवस्था पर भारत का सार्वजनिक खर्च बहुत कम है। गौरतलब है कि मातृत्व लाभ विधेयक, 2016 को 2017 में संसद की ओर से पारित किया गया था, जिसमें 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश देने का नियम लागू किया गया था। इससे पहले महिलाओं को सिर्फ 12 सप्ताह का ही मातृत्व अवकाश मिलता था।

 

वर्तमान में क्या है मातृत्व अवकास का नियम

 

देश में मह‍िलाओं की सुरक्षा और सुव‍िधा को ध्‍यान में रखते हुए कई न‍ियम कानून हैं। इन्ही में से एक नियम के तहत कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मातृत्व अवकाश या मैटरनिटी लीव की सुव‍िधा दी जाती है। यह अवकास महिलाओं को बच्चे के जन्म और उसकी शुरुआती देखभाल के लिए दिया जाता है। नियन के अनुसार महिलाएं मातृत्व अवकाश डिलीवरी की संभावित तारीख से आठ हफ्ते पहले और डिलीवरी होने के बाद ले सकती हैं। इसी के साथ जो महिलाएं तीसरे बच्चे को जन्म दे रही हैं वो डिलीवरी से 6 हफ्ते पहले और 6 हफ्ते बाद मातृत्व की छुट्टी ले सकती हैं। अगर महिला बच्चे को लेती हैं तो महिलाएं इस लीव को गोद लेने की तारीख से शुरू कर सकती हैं। महिलाओं को इस अवकाश के दौरान कोई समस्‍या न हो इसके ल‍िए कंपनी नियमित रूप से उसे पैसों का भुगतान भी करती रहती है मतलब इस दौरान वह महिलाओं को उनकी पूरी सैलरी देती है। मातृत्व अवकाश ज‍िस द‍िन से शुरु होता है और जब खत्‍म होता है उस द‍िन तक सैलरी दी जाती है। केवल गर्भवती होने की वजह से क‍िसी भी मह‍िला को नौकरी से हटाना कानून के खिलाफ है। अगर कोई नियोक्ता ऐसा करता है तो मह‍िलाएं इसके ल‍िए कोर्ट का सहारा ले सकती हैं।

 

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