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Country Uttarakhand

मनुमहारानी ने बनाया आपदा को अवसर: स्थानीय की छुट्टी, बाहरियो की भर्ती

कोरोना काल में बहुत से संस्थान बंद हुए। इस दौरान वहां कार्यरत लोगों को फिर से नौकरी पर रखने के वादे के साथ काम बंद किए गए । लेकिन इस दौरान कुछ संस्थानों ने आपदा को अफसर बना लिया। जिन लोगों को बाहर किया गया था उनको नौकरी पर पुनः रखने की शर्तों का उल्लंघन करते हुए नई भर्ती कर ली गई । इससे पुराने कर्मचारियों का सफाया कर बाहरियो को फिर से भर्ती करने पर नैनीताल के एक होटल मनुमहारानी में लोगों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।फिलहाल , राजेंद्र कुमार, महेंद्र पाल, देवरत्न परिडा, दयाल चंद, नरेंद्र पपोला, महिपाल सिंह, मछिन्दर पाल अभी की धरना प्रदर्शन की कमान संभाले हैं।

नैनीताल के जाने माने होटल मनु महारानी में कोरोना काल का लाभ उठा कर 9 सितंबर 2020 को 30-35 स्थानीय उत्तराखंडी कर्मचारियों की छटनी कर दी। तब इस होटल के प्रबंधकों ने आश्वस्त किया था कि होटल खुलने के बाद 15-30 सालों से काम कर रहे इन कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर काम पर वापस लिया जाएगा।

5 दिसंबर को यह होटल खुल चुका है। उसके प्रबंधकों ने सोची समझी योजना के तहत् स्थानीय कर्मचारियों के स्थान पर 30-35 बाहरी श्रमिकों को काम पर रख कर पहाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के सामने भुखमरी व जीवन मरण का प्रश्न खड़ा कर दिया है।

होटल प्रबंधन की इस गैरकानूनी व अमानवीय हरकत के ख़िलाफ़ छटनी हुए कर्मचारियों ने 1 मार्च से मल्लीताल नैनीताल में धरना व भूख हड़ताल शुरू कर दी है। जिसका समर्थन करने अपने साथियों के साथ 21 मार्च को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी सी तिवारी नैनीताल पहुंचे । तिवारी का मानना है कि नैनीताल को नैनीताल बनाने वाले, उसकी प्राकृतिक सुंदरता, हवा, पानी को बचाए रखने वाले हमारे पूर्वज थे और नैनीताल के तमाम होटलों में अमानवीय परिस्थितियों में बंधुवा श्रमिकों की तरह कार्य करने वाले हज़ारों लोग नौकरशाहों, सरकारों व राजनीति की मिली भगत के कारण अमानवी जीवन जीने को मज़बूर हैं। इस पर उन्हें अकारण बेरोज़गार कर देना उत्तराखंडी अस्मिता को चुनौती देने जैसा है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पी सी तिवारी के अनुसार इन स्थितियों में यह केवल दो तीन दर्जन कर्मचारियों को हटाने का मामला न होकर उत्तराखंडी अस्मिता का उपहास करने व उसे कुचलने का मुद्दा भी है। हम सरकार से मांग करते हैं कि तत्काल इस समस्या का समाधान कर उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्ज़ा कर उत्तराखंड को बदहाल, मज़बूर बनाने वाली प्रवृत्ति से अब निर्णायक संघर्ष शुरू करना ज़रूरी महसूस होने लगा है। कोरोना काल को अवसर मानते हुए उत्तराखंड की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक अस्मिता से खिलवाड़ करने के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शायद समय की मांग है।

तिवारी के अनुसार हम सब जानते हैं कि उत्तराखंड में आई सरकारों ने बेरोज़गारी के दबाव के बावजूद उद्योगों में 70% स्थानीय लोगों को स्थाई रोज़गार देने का वायदा भी पूरा नहीं किया।

तिवारी ने मांग कि है कि उत्तराखंड जैसे सामरिक महत्व के क्षेत्र में किसी भी व्यावसायिक गतिविधि व प्रतिष्ठान के लिए उसमें स्थानीय व मूल निवासियों की न्यूनतम 51% हिस्सेदारी भी सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष शुरू किया जाए और आपके आसपास हो रहे ऐसे उदाहरणों को सामने लाया जाए।

मनु महारानी होटल के जीएम नरेश गुप्ता ने कहा कि सभी कर्मचारियों को नियमों के अनुसार रखा जा रहा है। इसमें कुछ भी नियम वितरित नहीं किया गया है । जबकि, दूसरी तरफ नैनीताल के एसडीएम प्रतीक जैन ने कहा कि हम होटल प्रबंधन से इस बाबत बात कर रहे हैं। इसका समाधान जल्द ही हो जाएगा।

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