[gtranslate]
Country

इस बार मणिपुर में खिलखिला कर खिल उठा कमल

मणिपुर में एक बार फिर कमल खिल रहा है। राज्य में ये पहला मौका होगा जब भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है। चुनावों में पार्टी ने 60 विधानसभा सीटों में से 31 सीटों पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। भाजपा ने पूर्वोत्तर के इस अहम राज्य की चुनावी कमान वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और प्रवक्ता संबित पात्रा को सौंपी थी। वहीं प्रदेश के चुनावी प्रबंधन और रणनीति में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का भी अहम रोल रहा है।
पूर्वोत्तर के अहम राज्यों में से एक मणिपुर में भाजपा की यह जीत सीएम बीरेन सिंह के द्वारा चलाई गई योजनाओं और कार्यक्रमों के कारण हुई है। भाजपा सरकार के ‘पहाड़ों की ओर चलो’, गांवों की ओर चलो’ के साथ ‘सीएम दा हाइसी’ (मुख्यमंत्री को बताइए) जैसे कार्यक्रम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय रहा है। वहीं कोरोना की तीनों लहर में भाजपा सरकार के फ्री राशन से लेकर फ्री इलाज को स्थानीय लोगों ने खूब सराहा है। लेकिन भाजपा को अपने इस दूसरे कार्यालय में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। मणिपुर के लोग लंबे समय से एएफएसपीए को हटाए जाने की मांग कर रहे है। इस मुद्दे पर राज्य के सभी दल भी एकजुट हैं। भाजपा के निवर्तमान मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह भी इसके पक्षधर बताए जाते है। वे भी कई बार एएफएसपीए को हटाने की वकालत कर चुके है। लेकिन उनकी सरकार ने अब तक इसे हटाने को लेकर कोई ठोस प्रयास नहीं किए हैं। हालांकि इन चुनावों में भाजपा ने वादा किया है कि इस संबंध में केंद्र सरकार के साथ जल्द बातचीत शुरू की जाएगी। जल्द ही इस दिशा में कोई फैसला लिया जाएगा।

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को मणिपुर में 2014 के बाद से अहमियत मिलना शुरु हुई है। 2016 में कांग्रेस के निवर्तमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भाजपा में आए तो पार्टी का ग्राफ और बढ़ा। भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार 21 सीटें जीतीं। सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने नेशनल पीपुल्स पार्टी और नगा पीपुल्स फ्रंट के साथ समझौता किया। पार्टी इन चुनावों में एन बीरेन सिंह के चेहरे को आगे रखकर चुनावी मैदान में उतरी। फिर भाजपा, फिर विकास और डबल इंजन की सरकार के नारे के भाजपा इन चुनावों में मैदान में उतरी। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह एक कुशल राजनेता के पहले पत्रकार रहे हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे इकलौते नेता हैं, जो घाटी और पहाड़ी इलाकों के बीच संतुलन साधना जानते हैं।

इसके अलावा लोग मणिपुर में बढ़ती हिंसा से बहुत परेशान हैं। वे इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं। इसी साल जनवरी से लेकर चुनाव की घोषणा होने तक मणिपुर के अलग-अलग हिस्सों में कई हिंसा की घटनाएं हुईं। भाजपा ने चुनावों में इस तरह की हिंसा को रोकने को लेकर प्रदेशवासियों से वादा किया है। हिंसा की घटनाओं को रोकना नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। मणिपुर सूखा प्रभावित राज्य है और यहां पहाड़ी और मैदानी इलाकों के बीच सड़क संपर्क भी बेहतर नहीं है। राज्य के लोग लंबे समय से सड़क संपर्क को ठीक करने की मांग उठा रहे है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD