- वृंदा यादव
गत् सप्ताह 20 जुलाई से शुरू हुआ संसद के मानसून सत्र की शुरुआत होने से पहले ही इसके हंगामेदार होने की आशंका जताई जा रही थी जो मणिपुर हिंसा के विवाद को लेकर अब तक सही साबित होती नजर आ रही है। सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले को लेकर सड़क से संसद तक हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसकी वजह से संसद के सदनों की कार्यवाही में बाधा आ रही है। इस मुद्दे पर एक ओर जहां विपक्ष पीएम मोदी के सदन में बयान और विस्तृत चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ सरकार गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के साथ अल्पकालिक चर्चा के लिए राजी है। ऐसे में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है
संसद में मणिपुर के मुद्दे को लेकर विवाद इस हद तक बढ़ गया है कि अब तक संसद में कोई भी विधेयक पास नहीं हो पाया है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने सांसदों से अन्य विधेयकों पर व्यापक चर्चा के लिए संसद के मानसून सत्र का पूरा उपयोग करने का आग्रह किया है। जहां तक मानसून सत्र के कामकाज का सवाल है, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस बात की जानकारी दी है कि सरकार ने सत्र के लिए 31 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है जिसमें 11 अगस्त को सत्र समाप्त होने से पहले 17 बैठकें होंगी।

मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा का एक दृश्य
हंगामे की भेंट चढ़ा मानसून सत्र का पहला हफ्ता इस बार मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा। लेकिन मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर विपक्ष के हंगामे के चलते सत्र के पहले ही दिन संसद के दोनों सदनों को एक दिन के लिए यानी 21 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया। 21 जुलाई : मानसून सत्र के दूसरे दिन भी संसद की कार्यवाही मणिपुर हिंसा से जुड़े विरोध-प्रदर्शनों में डूबी रही। हंगाम इस हद तक बढ़ गया कि संसद में होने वाली लोकसभा के सदन की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक और उसके बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद राज्यसभा भी लोकसभा की तरह ही मणिपुर के मुद्दे के चलते ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष लगतार सभापति से मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति जगदीप धनखड़ से आग्रह किया कि वे मणिपुर हिंसा मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ‘अन्य सभी कार्यों को निलंबित करें। जिसपर राज्यसभा अध्यक्ष ने असहमति जाहिर करते हुए, बढ़ते बवाल को देख सदन को 24 जुलाई, 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। स्थगित करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मणिपुर की घटना पर संसद में चर्चा करने के प्रति विपक्ष गंभीर नहीं है। क्योंकि सरकार तो इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री ने इस बात की जानकारी दी कि मणिपुर हिंसा के विषय पर पीएम ने कहा है कि इस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। वे इस मुद्दे पर सदन में बात भी करना चाहते हैं। लेकिन कुछ राजनीतिक दल हैं जो अनावश्यक रूप से यहां ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं ताकि मणिपुर पर चर्चा ही न हो सके। मैं स्पष्ट रूप से आरोप लगा रहा हूं कि यह विपक्ष मणिपुर पर उतना गंभीर नहीं है जितना उन्हें होना चाहिए।
24 जुलाई : संसद के दोनों सदनों की शुरुआत हुई तो विपक्षी दलों ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद के दोनों सदनों में बहस और चर्चा की मांग जारी रखी। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को बार-बार सभापति के आदेश की अवहेलना करने के कारण सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। संजय सिंह के निलंबन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ये पहली बार नहीं है कि कोई विरोध जता रहा है। सभी लोग संसद में विरोध करते हैं। लोकतंत्र में बोलने की आजादी है, बोलने के लिए जो संसद आता है उसे मौका मिलना चाहिए। आज सरकार की मंशा है कि किसी न किसी तरीके से विपक्षियों की आवाज को दबा दिया जाए।
25 जुलाई : संजय सिंह को मानसून सत्र से स्थगित करने को लेकर ‘आप’ सहित अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने धरना- प्रदर्शन शुरू कर दिया। साथ ही मणिपुर के विषय पर भी प्रदर्शन जारी रहे जिसे देखते हुए सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के स्थगित कर दिया गया।
26 जुलाई : सत्र की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए नोटिस सौंपा। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने लोकसभा महासचिव के ऑफिस में नोटिस दिया। अविश्वास प्रस्ताव लाने को लोकसभा में भी मंजूरी मिल गई है। इसके बाद कुछ समय तक चली चर्चा के बाद कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। जब प्रश्नकाल की शुरुआत हुई तो विपक्ष द्वारा ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगाए जाने लगे जिसे देखते हुए संसद की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
27 जुलाई : पीएम मोदी द्वारा मणिपुर के मामले में बहस न किए जाने के कारण विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जिसे लोकसभा से मंजूरी भी मिल गई। जिस पर 27 जुलाई को चर्चा होनी थी। लेकिन इस दिन भी मणिपुर हिंसा पर संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। कई विपक्षी नेता मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर विरोध जताने काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे। लोकसभा शुरू होते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी जिसके कारण सिर्फ 6 मिनट बाद ही संसद को 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। साथ ही राज्यसभा में भी विपक्षी सांसद तख्तियां लेकर पहुंचे और ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’, ‘सदन में आके कुछ तो बोलो’, ‘प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो’ जैसे नारे लगाते देखे गए जिसे देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह
विपक्ष द्वारा लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव पर अगर संसद में सहमति प्राप्त हो जाती है तो प्रधानमंत्री सहित पूरे मंत्रिमंडल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह अविश्वास प्रस्ताव फेल हो जाएगा। इस बात से शायद विपक्ष भी अनजान नहीं है। क्योंकि लोकसभा में मोदी सरकार पूर्ण बहुमत में है। उसके पास 301 सांसद हैं। इधर पूरे विपक्ष के पास केवल 142 सांसद ही हैं। माना जा रहा है कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाया है ताकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर के विषय पर चर्चा करने और संसद में आने के लिए मजबूर कर सके।
सरकार और विपक्ष के बीच असहमति के कारण
सरकार और विपक्ष के बीच सहमति स्थापित न होने पाने के कई कारण हैं जिसमें पहला कारण यह है कि विपक्ष केवल मणिपुर पर ही चर्चा करना चाहता है जबकि सरकार पश्चिम बंगाल और राजस्थान में महिलाओं की स्थिति के विषय में भी बात करना चाहती है जिससे विपक्ष बचना चाहता है। दूसरा कारण यह है कि विपक्ष चाहता है कि मणिपुर पर बयान देने के लिए पीएम मोदी को सदन में सरकार का पक्ष रखना चाहिए तो वहीं सरकार का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह बयान देंगे। असहमति की तीसरी वजह समय सीमा है क्योंकि विपक्ष चाहता है कि संसद में बहस के लिए कोई समय सीमा निर्धारित न की जाये तो वहीं सरकार सदन में 150 मिनट यानी ढाई घंटे के लिए ही बहस करने को तैयार है।
नियम 267 और 176 भी हंगामे की एक वजह
संसद में नियम 176 और 267 को लेकर विवाद जारी है। जहां एक ओर सरकार बार-बार कह रही है कि वो संसद में बहस के लिए तैयार है लेकिन मामला बहस के नियम पर फंसा है। क्योंकि विपक्ष की मांग है कि संसद में होने वाली चर्चा या बहस नियम 267 के तहत होनी चाहिए जिसमें फैसले के बाद वोटिंग का प्रावधान है। लेकिन सरकार नियम 176 के तहत बहस चाहती है जिसमें फैसला होने के बाद बाद वोटिंग का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार का कहना है कि विपक्ष नियम 276 के तहत बहस करना चाहता है क्योंकि वह केवल मणिपुर के मुद्दे को ही सामने लाना चाहता है। क्योंकि अगर बहस नियम 176 के तहत होगी तो उन्हें अपने राज्यों में हो रही महिलाओं के साथ घटनाओं पर बात सुनिश्चित करनी होगी। सरकार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बंगाल में महिलाओं के साथ हुई घटना पर चर्चा नहीं करना चाहती है।