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मंडी व्यापारियों ने हड़ताल 15 मई तक बढ़ाई, राजस्थान के किसानों की बढ़ी मुश्किलें

मंडी व्यापारियों ने हड़ताल 15 मई तक बढ़ाई, राजस्थान के किसानों की बढ़ी मुश्किलें

राजस्थान में दो फीसदी कृषक कल्याण शुल्क को लेकर व्यापारियों और सरकार के बीच समझौता नहीं चलते जिंसा मंडियों में व्यापारियों ने हड़ताल 15 मई तक के लिए बढ़ा दी है। हड़ताल आगे बढ़ने का कारण राज्य के किसानों को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। रबी फसलों की आवक का समय चल रहा है, लेकिन मंडियों में हड़ताल होने की वजह से किसानों को गेहूं, सरसों, चना, जौ आदि फसलें औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है।

कृषि उपजों की खरीद-बिक्री पर दो फीसदी कृषक कल्याण शुल्क लगाने के विरोध में राजस्थान की कृषि मंडियों में जारी हड़ताल पांच दिन और 15 मई तक बढ़ गई है। इस शुल्क को वापस लेने की मांग को लेकर मंडी व्यापारी छह मई से हड़ताल पर हैं। राजस्थान खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता ने कहा कि सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं किए जाने के कारण हमने हड़ताल फिलहाल 15 मई तक बढ़ा दी है।

गुप्ता ने कहा कि इस आंदोलन में आगे का फैसला भी सरकार के रुख पर निर्भर करेगा। इस हड़ताल के कारण राज्य की 247 कृषि उपज मंडियां बंद हैं। गुप्ता के अनुसार संकट के इस समय में ऐसा शुल्क लगाना राज्य के खाद्य पदार्थ व्यापारियों के लिए घातक है। राजस्थान सरकार ने कृषक कल्याण कोष के लिए पैसा जुटाने के लिए राज्य के मंडियों में कृषि उपजों की खरीद-बिक्री पर दो फीसदी कृषक कल्याण शुल्क लगाने की घोषणा पांच मई को की थी।

अधिकारियों का कहना है कि शुल्क का भार किसानों एवं व्यापारियों पर नहीं पड़ेगा। प्रमुख शासन सचिव (कृषि) नरेशपाल गंगवार के मुताबिक, कृषि उपज मंडी में उपज की खरीद-बिक्री पर लगाए गए कृषक कल्याण शुल्क का भार किसानों और व्यापारियों पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा है कि पड़ोसी राज्यों में मंडी और विकास शुल्क मिलाकर अब भी राजस्थान से ज्यादा है।

गंगवार ने कहा, “राजस्थान में अधिसूचित कृषि जिन्सों का मंडी शुल्क 0.01 फीसदी से 1.60 फीसदी तक है जबकि पड़ोसी राज्यों में मंडी शुल्क की दरें तुलनात्मक रूप से ज्यादा हैं।” उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में तो पहले ही मंडी शुल्क के अतिरिक्त विकास शुल्क भी लिया जा रहा है।

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