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ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था कि अगर भाजपा ने पहले बताया होता कि वह किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना रहे हैं तो उसके निर्विरोध चुनाव के लिए प्रयास करती। लेकिन इस बार की कहानी कुछ अलग ही है। यह ममता बनर्जी ही हैं, जिन्होंने जोर देकर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनवाया। लेकिन भाजपा द्वारा द्रौपदी मुर्मू के रूप में आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के लिए दावेदार बना देने से ममता का गणित ही नहीं बल्कि उनकी मुश्किलें भी बढ़ गई हैं।


दरअसल, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का कुल सात से आठ फीसदी आदिवासी वोटर है। जंगलमहल के चार विधानसभा क्षेत्रों, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, झाड़ग्राम और पश्चिमी मिदनापुर जिलों में भी इनकी संख्या काफी है। इसमें पश्चिमी बंगाल के जिलों जैसे कलिमपांग, अलीपुरदुआर, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, उत्तरी-दक्षिणी दिनाजपीर, मालदह और दार्जिलिंग, को शामिल कर लें तो कुल आदिवासी वोटरों की संख्या 25 फीसदी तक पहुंच जाती है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ममता द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के मुकाबले भाजपा ने आदिवासी द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना ममता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।


गौरतलब है कि बंगाल की आदिवासी आबादी में संथालियों की संख्या 80 फीसदी से अधिक है। सबसे खास बात यह है कि द्रौपदी मुर्मू भी संथाल समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टीएमसी के 22 सीटों के मुकाबले 18 सीटें जीती था। तब भाजपा ने जंगलमहल की सभी सीटों पर और पश्चिमी बंगाल की छह सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि साल 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने इसका हिसाब चुकता कर लिया था। वहीं दूसरी तरफ ममता के हालिया बयान से विपक्षी एकता में संदेह के बादल भी मंडराने लगे हैं। कांग्रेस के बंगाल अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ममता ने ऐसा कहकर कुछ नया नहीं किया है। वह राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपना मन बदल चुकी हैं। गौरतलब है कि जब यूपीए ने प्रणब मुखर्जी को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया था तब आखिरी मौके पर ममता ने प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने का फैसला लिया था। बंगालसीपीआई-एम के नेता सृजन चक्रवर्ती ने कहा कि ममता ने हमेशा डबल स्टैंडर्ड दिखाया है। एक तरफ तो उन्होंने अपना नेतृत्व दिखाने के लिए आनन-फानन में विपक्ष की मीटिंग बुलाकर यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना दिया। वहीं दूसरी तरफ अब वे एनडीए के उम्मीदवार के जीत की संभावना बता रही हैं। इन सबके बीच वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा कि ममता ने द्रौपदी मुर्मू को लेकर यह बयान सिर्फ इसलिए दिया है, ताकि राज्य के आदिवासी समुदाय में उनकी पकड़ बनी रहे।


इस दौरान ममता की परेशानी में उनके कट्टर प्रतिद्वंदी और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने और इजाफा किया है। दरअसल सुवेंदु हूल दिवस के मौके पर प्रदेश के जंगलमहल इलाके में आयोजित कई कार्यक्रमों में मौजूद रहे। हूल दिवस 1855 में हुई संथाल क्रांति के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस दौरान उन्होंने भाजपा द्वारा एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने की बात का जमकर प्रचार-प्रसार किया। सिर्फ इतना ही नहीं सुवेंदु अधिकारी ने यह भी कहा कि एक तरफ नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू हैं तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि मुर्मू की जीत के बाद वह उनसे रिक्वेस्ट करेंगे कि वह जंगलमहल आएं।

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