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नंदीग्राम से नई इबादत लिखने के मूड में ममता 

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में अपना ठिकाना बनाने का फैसला लिया है। दो महीने पहले जनवरी में नंदीग्राम की एक रैली में ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा की  थी। आज दस मार्च को नंदीग्राम सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। नामांकन से पहले ममता बनर्जी ने शिव मंदिर के दर्शन भी किए। यहां ममता बनर्जी का सामना टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी से होगा।  नंदीग्राम को उनके पूर्व सहयोगी और अब बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी का  गढ़ माना जाता है। शुभेंदु 2007 के नंदीग्राम किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं। सीपीएम के शासन के दौरान नंदीग्राम में इकनॉमिक ज़ोन बनाए जाने का विरोध करने वाले किसानों पर पुलिस द्वारा गोली चलाई गई थी। इसमें 14 किसानों की मौत के बाद ममता की राजनीति भी यहीं से चमकी थी और 2011 के विधानसभा चुनाव में वह सत्ता के शिखर तक पहुंची  थीं।

नंदीग्राम, पूर्वी मिदनापुर का हिस्सा है। बंगाल का मशहूर हल्दिया पोर्ट इसी इलाक़े में है। इस इलाक़े में अधिकारी परिवार के दबदबे का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी यहीं से लोकसभा सासंद और भाई दीपेंदु अधिकारी इसी इलाक़े के एक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

शुभेंदु ख़ुद नंदीग्राम से विधायक थे। हल्दिया पोर्ट के मज़दूरों पर भी अधिकारी परिवार का अच्छा ख़ासा प्रभाव है। अधिकारी परिवार इस इलाक़े के कई व्यवसायों से भी जुड़ा है। 2020 के दिसंबर तक पूरा अधिकारी परिवार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में ही था। शुभेंदु को ममता का बहुत ख़ास समर्थक माना जाता था। दिसंबर में शुभेंदु ने ममता का साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम  लिया।

पूर्व और पश्चिम मिदनापुर के अलावा झार ग्राम इलाक़े की क़रीब 20 से 25 सीटों पर इस परिवार का असर बताया जाता है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि ममता ने अधिकारी परिवार को सीधे चुनौती देने का फ़ैसला क्यों किया। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि अधिकारी के ज़रिए बीजेपी सीधे तौर पर ममता और टीएमसी पर हमला करके ममता के दक्षिणी गढ़  को तोड़ने की तैयारी कर रही थी। टीएमसी छोड़कर बीजेपी में जाने वाले नेताओं में ज़मीनी तौर पर सबसे मज़बूत नेता शुभेंदु अधिकारी ही हैं। इसलिए ममता ने भी शुभेंदु परिवार के गढ़ में घुसकर उसे चुनौती देने का फ़ैसला किया।

ममता के इस फैसले के बाद  शुभेंदु ने कहा था कि अगर उन्होंने ममता को पचास हज़ार से कम वोटों से हराया तो वे राजनीति छोड़ देंगे। माना जा रहा था कि अधिकारी परिवार को डराने के लिए ममता राजनीतिक पैंतरा दिखा रही हैं। लेकिन अब ममता ने अपने पुराने क्षेत्र भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ने और ये सीट शोवन देव चट्टोपाध्याय को देने का एलान भी कर दिया है।

 ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में अपना ठिकाना बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि वह यहां अपनी एक कुटिया बनाएंगी।  उनके मुकाबले बीजेपी ने इस सीट से शुभेंदु अधिकारी को उतारने का ऐलान किया है। शुभेंदु अधिकारी यहां के स्थानीय नेता हैं और बीते विधानसभा चुनाव में उन्हें यहां 67 फीसदी वोट मिले थे।

ममता बनर्जी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने नंदीग्राम में किराये पर एक साल के लिए एक घर लिया है। मैं हर तीन महीने पर यहां आऊंगी। यह नंदीग्राम ब्लॉक-2 के रेयापाड़ा में स्थित है। यह दो कमरों का एक घर है। ‘बीते सप्ताह सीएम ममता बनर्जी ने टीएमसी की 291 सीटों पर उम्मीदवारों  का ऐलान किया था और कहा था कि वह नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी। अपनी उम्मीदवारी के ऐलान के बाद वह पहली बार नंदीग्राम पहुंची हैं। इस बीच नंदीग्राम पूरी तरह से ममता बनर्जी के पोस्टरों से पटा हुआ है। ममता बनर्जी ने महाशिवरात्रि के मौके पर पार्टी का मेनिफेस्टो भी रिलीज करने की बात कही है। यही नहीं नामांकन से पहले भी वह शिव पूजा भी की । इस तरह से ममता बनर्जी ने बीजेपी के हिंदुत्व की काट करने का फैसला लिया है। मंच से ही ममता बनर्जी ने चंडीपाठ किया और कहा कि मैं एक ब्राह्मण हूं, ऐसे में मुझे कोई हिंदुत्व न सिखाए।

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