बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर कुछ ढ़ीले पड़ते नजर आ रहे हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली अटल बिहारी सरकार में मंत्री रह रही ममता बनर्जी इस समय पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव चलते डिफेंसिव मोड़ में है। पिछले तीन सालों में ममता की तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सम्बन्ध सड़क पर हिंसा के स्तर तक गिर रहें हैं।
ममता ने मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर दिया था। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान ममता सरकार ने भाजपा केराष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बंगाल में रथ यात्रा निकलने से रोक दोनों पार्टियों को एक दूसरे के सामने ला खड़ा किया था। इतना ही नहीं ममता सरकार ने कानून-व्यवस्था के नाम पर शाह को कई जगहों पर रैली भी करने की इजाजत नहीं दी थी। अब लेकिन ममता बनर्जी के सुर कुछ बदले हैं।
ममता बनर्जी ने नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री आवास पर नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इससे पहले ममता बनर्जी की मुलाकात मंगलवार रात को मोदी जी की पत्नी जशोदाबेन से भी हुई थी। मोदी जी के साथ बातचीत से पहले ममता बनर्जी ने बंगाल की प्रसिद्ध मिठाई और वहा का मशहूर कुर्ता उपहार में दिया। ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद बताया ”मेरी मुलाकात मोदी जी के साथ बहुत अच्छी रही। पीएम से मेरी बात पश्चिम बंगाल के नाम बदलने के बारे में और कोल ब्लॉक के मुद्दे पर भी बात हुई। मैंने उन्हें इस कोल ब्लॉक का उद्धघाटन करने के लिए निमंत्रण भी दिया। और साथ ही राज्य के लिए 13500 करोड़ रूपये की भी मांग की।
” ममता बनर्जी ने कहा कि एनआरसी को लेकर मोदी जी से कोई बात नहीं हुई थी। ये असम को लेकर है हम पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं करेंगे। लोकतंत्र में भरोसा करना पड़ता है। पत्रकार द्वारा सारदा-चिटफंड पर पूछे गए सवालों पर उन्होंने कहा कि इस तरह के सवाल न पूछे।
पीएम मोदी से मिलने के बाद ममता बनर्जी की मुलाकात गुरूवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी हुई। जबसे मोदी- 2 की सरकार बनी है तबसे अमित शाह और ममता बनर्जी की ये पहली मुलाकात है। चुनावों के दौरान अमित शाह और ममता की काफी तू -तू ,मैं -मैं हुई थी। इस मुलाकात में ममता बनर्जी ने एनसीआर के मुद्दे पर अमित शाह से बातचीत की।
ममता बनर्जी ने मीडिया को बताया कि उन्होंने एनआरसी को लेकर गृह मंत्री को एक पत्र भी सौंपा। साथ ही कहा की एनआरसी से जो 19 लाख लोगों के नाम अलग कर दिए गए है वह गलत है। उनमे से कुछ बंगाली और कई हिन्दू धर्म के है। उन्हें किसी तरह की कठिनाईयाँ नहीं होनी चाहिए क्योकि वह भी भारतीय है। जब ममता बनर्जी से रिपोर्टरों ने पूछा की क्या आप अपने राज्यों में एनआरसी करवाएंगी तो उनका ये कहना था की ये वाला मुद्दा इस बैठक में नहीं चर्चा में नहीं आया। वैसे भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मै साफ़ कर चूके है कि ये एनआरसी असम तक ही सीमित है।
बाकी राज्यों के लिए नहीं है।कूल मिलाकर इस बार लम्बे अर्से बाद दिल्ली आईं ममता बनर्जी के सुर बदले हुए नजर आए। उन्होंने केंद्र सरकार से लड़ने के बजाय वार्ता का रास्ता अपना लिया है जिसके कई राजनीतिक निहितार्थ निकले जा रहें है।