पूरा विश्व कोरोना से उबरने की जुगत में लगा हुआ है। भारत में भी राज्य सरकारें हर संभव कदम उठा रही है। लेकिन पश्चिम बंगाल में कोरोना संकट के बीच भी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार शाम ममता बनर्जी की ओर से राज्य के गवर्नर जगदीप धनकड़ को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें उन्होंने राज्यपाल पर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल लगातार राज्य प्रशासन के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री बनाम राज्यपाल
अपने पत्र में सीएम ममता बनर्जी की ओर से बड़े ही तल्ख अंदाज में राज्यपाल को लिखा कि वे बताएं कि किसने संवैधानिक धर्म और संवैधानिक संस्थाओं के मध्य शालीनता की सीमा पार की है? साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच का फर्क बताते हुए लिखा है कि राज्यपाल जी आप यह भूल गए हैं कि मैं भारत के एक प्रतिष्ठित राज्य की चुनी हुई मुख्यमंत्री हो, और आप नॉमिनेटेड राज्यपाल हैं।
ये पंक्तियां उस पत्र की हैं जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से राज्यपाल जगदीप धनखड़ को लिखा गया है। ममता बनर्जी ने डा आंबेडकर की ओर से 2 जून, 1949 को दिए गए संबोधन के उस हिस्से का भी जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान के तहत गवर्नर के पास करने के लिए कोई काम नहीं है। उन्होंने अपने पांच पन्नों की चिट्ठी में राज्यपाल को कई जगहों पर उनके अधिकारों और सीमाओं का एहसास कराया है। उन्होंने लिखा है कि सरकारिया कमीशन ने शायद इसी कारण सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार में सत्तासीन पार्टी से जुड़े रहे किसी व्यक्ति को उस राज्य का राज्यपाल नहीं बनाना चाहिए जहां विपक्ष या विपक्षी दलों के गठबंधन की निर्वाचित सरकार हो।
बकौल ममता बनर्जी, आयोग ने कहा था कि राष्ट्रपति को अपनी पाक्षिक रिपोर्ट भेजते वक्त राज्यपाल को अपने राज्य के मुख्यमंत्री को तब तक विश्वास में लेना चाहिए, जबतक कि उनसे असहमत होने का कोई बड़ा संवैधानिक कारण नहीं उत्पन्न हो। ममता बनर्जी का यह पत्र अब सार्वजनिक हो चुका है और न केवल कोलकाता बल्कि देश के विभिनन हिस्सों में इसपर चर्चाएं हो रही हैं। यह पत्र सोशल मीडिया मे वायरल हो रहा है और लोग राज्यपाल के अधिकारों और उनकी सीमाओं पर बहस भी कर रहे हैं।
चिठ्ठी पर राज्यपाल ने ट्वीट कर दिया ये जवाब
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वहां के राज्यपालों के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है। उन्होंने उस हर मौके पर राज्यपाल का विरोध किया है, जब उन्हें लगा कि वे सरकार के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं। बात चाहे एम के नारायणन की हो, केशरीनाथ त्रिपाठी की, या अब जगदीप धनखड़ की। जब भी उन्हें लगा कि उनके अधिकारों पर हमले हो रहे हैं, उन्होंने राज्यपालों को उनकी सीमाओं का एहसास कराया।
https://twitter.com/jdhankhar1/status/1253147095361441793
अब जब राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने ममता बनर्जी के पत्र का जवाब दे दिया है। उन्होंने दावा किया है कि मुख्यमंत्री के पत्र में कथित तौर पर तथ्यों की गलतियां हैं। ऐसे में यह लड़ाई कहां जाकर खत्म होगी, इसका पूर्वानुमान करना किसी भा राजनीतिक टीकाकार के लिए मुश्किल काम है। अभी लॉकडाउन है और लोग अपने घरों में बंद हैं। लिहाजा, संभव है कि राज्यपाल के खिलाफ कोई बड़ा जन प्रदर्शन नहीं होगा।
लेकिन, यह लड़ाई कानूनी और बौद्धिक स्तर पर लंबे वक्त तक लड़ी जाएगी। इसमें न केवल बंगाल, बल्कि पूरा देश शामिल होगा। गौरतलब है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कोविड संक्रमण को लेकर सरकार के कामकाज की आलोचना टीवी चैनलों पर आकर की थी। उन्होंने ममता बनर्जी को कुछ एसएमएस और पत्र भी भेजे थे। ताजा तनातनी की वजह यही है।