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राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा को चुनौती देंगी ममता बनर्जी , शहीद दिवस पर किया शंखनाद 

पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब राष्ट्रीय राजनीति में बढ़त बनाने की तैयारी कर रहीं हैं। इसी अकांक्षा को लेकर उन्होंने अपना पहला कदम कोलकाता में आज शहीद दिवस के कार्यक्रम के जरिए उठाया है।  उनके इस भाषण को देश के सभी प्रदेशों की स्थानीय भाषा में अनुवाद कर राजधानियों और बड़े-बड़े शहरों में टीवी स्क्रीन लगाकर प्रसारित किया गया । दरअसल ,पार्टी के गठन के बाद से हर वर्ष 21 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

इस बार इस मौके को खास मनाने के लिए ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि बंगाल ने मां माटी और मानुष को चुना है। उन्होंने भाजपा को निशाना बना कहा कि भाजपा पूरी तरह तानाशाही पर आमादा है। त्रिपुरा में हमारे कार्यक्रम को रोका गया है। क्या यह लोकतंत्र है ? वे देश की संस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं। मोदी सरकार को प्लास्टर करने की जरूरत है। अब हमें काम शुरू करना है। उन्होंने कहा है कि सरकार पेगासस के जरिए स्पाईगीरी दिखा रही है। जासूसी के लिए पैसे खर्च कर रही है। इसमें मंत्रियों और जजों के नंबर डाले जा रहे हैं , लेकिन इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है। जासूसी के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर में देश ने गंगा में तैरती लाशें देखी हैं। ऑक्सीजन की कमी के चलते बहुत लोगों की मौतें हुई हैं और सरकार कहती है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है।

 

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ममता बनर्जी ने कहा कि कुछ भाजपा के सदस्य मानवाधिकार सदस्य हैं उन्होंने  गलत रिपोर्ट डाली है। राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद कोई हिंसा नहीं हुई। मतदान से ठीक पहले वे हम पर कैसे दबाव बना रहे थे। हम जानते हैं अब जब तक भाजपा को बाहर नहीं करते तब तक खेला होगा। 16 अगस्त को खेला दिवस मनाएंगे। देश में परिस्थिति बहुत खराब है। मोदी जी बुरा मत मानिए , आपकी व्यक्तिगत आलोचना नहीं कर रही पर आप करते हैं। आपको सिर्फ अपनी पार्टी की चिंता है, जबकि हम देश के विकास में यकीन करते हैं। बंगाल मॉडल स्टेट है ,गुजरात नहीं। ममता का मानना है कि यदि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में उतरना है तो पूरे देश की जनता से उन्हीं की भाषा में बात करनी होगी।

इस बार शहीद दिवस पर खास तैयारी की गई। यह पहली बार था जब ममता बनर्जी का भाषण राज्य ही नहीं अन्य राज्यों में भी प्रसारित किया गया। उनका भाषण दिल्ली , उत्तर प्रदेश और गुजरात में पार्टी मुख्यालय के बाहर एलईडी टीवी पर भी सुना गया। दिल्ली के आयोजन में दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था। ममता की इस तैयारी को मिशन 2024 के आम चुनाव को जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि ममता ने अब राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय राजनीती में उतरने का मन बना लिया है और भाजपा को सीधा चैलेंज देने के लिए तैयार है।

टीएमसी व ममता बनर्जी के राजनीतिक सलाहकार रहे प्रशांत किशोर उन्हें अगले लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष के बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाने की जमीन तैयार कर रहे हैं। इसी सिलसिले में पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। अब 25 जुलाई को ममता बनर्जी दिल्ली आ रही हैं और उनका भी सोनिया गांधी सहित विपक्ष के सभी वरिष्ठ नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है।

 


वर्ष 1993 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में 21 जुलाई को युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का आंदोलन

 

आखिर 21 जुलाई को क्या हुआ था ?

 

वर्ष 1993 में ममता बनर्जी युवा कांग्रेस की पश्चिम बंगाल की अध्यक्ष थी। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सचित्र वोटर कार्ड की मांग की। उस मांग के साथ राज्य की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के मुख्य सचिवालय से कांग्रेस की ओर से एक आम अभियान चलाया गया था। तब ममता बनर्जी के नेतृत्व में 21 जुलाई को युवा कांग्रेस के कार्यकर्त्ता आंदोलन में शामिल हुए। लेकिन तृणमूल का आरोप है कि उस समय उनके जुलूस पर पुलिस की ओर से गोलियां चलाई गई , जिसमें 13 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद राज्य में राजनीतिक भूचाल आ गया था। बाद में ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का गठन किया।

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