पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 18 नवंबर को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष दो प्रमुख मुद्दों को अंकित किया है।
1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किये जाने की मांग।
2. उनकी मौत या लापता होने से संबंधित मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए उचित कदम उठायें जाने की मांग।
यह पात्र तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। पर राजनीतिक गलियारों में इसे दूसरी ही दृष्टि से देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि यह सब आगामी विधान सभा चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए हो रहा है। लेकिन इससे पहले भी वर्ष 2015 में बनर्जी की सरकार ने नेताजी से सम्बंधित राज्य के पास से 64 फाइलों को सार्वजानिक किया था।
इसके उपरांत केंद्र सरकार ने भी 2016 के सितम्बर माह में लगभग 100 रिपोर्ट्स इस बाबत सार्वजनिक की थी। पर इन सबसे नेताजी की मौत या गुम होने की जांच में कुछ खास सफलता देखने को नहीं मिली।
फिलहाल ममता बनर्जी के इस पत्र से पश्चिम बंगाल की राजनीति में दुबारा नेताजी का अध्याय खुल गया है। अगले वर्ष नेताजी की 125 वीं जयंती भी है। विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में इस मामला को तो तूल पकड़ना ही था।
नेताजी की मृत्यु या गुम होने के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए अभी तक बन चुके हैं तीन आयोग
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु या गुम हो जाने के रहस्य को सुलझाने के लोए अभी तक तीन आयोग बन चुके हैं। शाह नवाज कमेटी ,खोसला आयोग और मुखर्जी आयोग।जिनमें से दो आयोग ने यह रिपोर्ट सौंपी थी कि नेताजी की मौत ताइपेई में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से हुई थी। मुखर्जी आयोग ने इसके उलट गुमनामी बाबा के नाम से नेताजी के गुम होने की रिपोर्ट को सच माना था।