कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पदभार संभालेंगे। इससे पहले आज सुबह राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित है।इस दौरान शांति वन, विजय घाट, शक्ति स्थल, वीर भूमि और समता स्थल भी गए।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ शशि थरूर ने चुनाव लड़ा था लेकिन चुनाव में खड़गे ने शशि थरूर को 6,825 वोट से मात दी थी। मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले थे।वहीं, शशि थरूर के खाते में 1072 वोट आए थे। मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है। इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए 6वीं बार चुनाव हुए है।अब जब मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं तो सबसे पहले दलित वोट को साधने की कोशिश करेंगे। पिछले कुछ समय से कांग्रेस भी दलित वोट बैंक पर ही जोड़ दे रहा है। पंजाब चुनाव से ठीक पहले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने वाला दांव कोई भूला नहीं है। चुनाव में इसका फदया तो कांग्रेस पार्टी को नहीं मिला लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी के साथ एक तमगा जरूर जुड़ गया- ‘पंजाब के पहले दलित सीएम’ अब मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना भी पार्टी की दलित राजनीति को नई धार दे सकता है। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी परिवारवाद से भी मुक्त हो गया है,क्योंकि कांग्रेस को लेकर एक परसेप्शन बन गया है कि वह परिवारवाद की राजनीति करती है। इस परसेप्शन ने तो पार्टी को कई बार चुनावों में भारी नुकसान पहुंचाया है।
खड़गे के सामने चुनौतियां भी अपार
कांग्रेस अध्यक्ष र मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसे समय में अध्यक्ष चुने गए हैं जबकि देश के कई राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस कई गुटों में बंट चुकी है। इतना ही नहीं कांग्रेस कई राज्यों में भी दो फाड़ है। राजस्थान का राजनीतिक संकट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। देश की कई राज्यों में कांग्रेस अपना जनाधार खो चुकी है, ऐसे में उनके सामने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोबारा अपने जनाधार को पाना बहुत मुश्किल होगा। वहीं कुछ दिन पहले ही बसपा अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस ने निशाना साधा है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया है। अब पार्टी जब बुरे वक्त में है, तो दलितों को आगे रखने की याद आ गई। कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि इन्होंने दलितों और उपेक्षितों के मसीहा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और उनके समाज की हमेशा उपेक्षा और तिरस्कार किया है। इस पार्टी को अपने अच्छे दिनों में दलितों की सुरक्षा और सम्मान की याद नहीं आती बल्कि बुरे दिनों में इनको बलि का बकरा बनाते हैं। बसपा अध्यक्ष की इन बातों ने भी उनके सामने मुश्किल खड़ी की है। देखना तो यह होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष र मल्लिकार्जुन खड़गे इन सब से कैसे निकलते है।