भारतीय धार्मिक इतिहास में प्राचीन काल से ही पुरोहिताई जैसे कार्यों में पुरुषों की प्रधानता रही है। लेकिन अब केरल के त्रिशूर में रहने वाली 24 वर्षीय ज्योत्सना पद्मनाभन और उनकी मां अर्चना कुमारी, पुरोहिताई तथा तांत्रिक अनुष्ठान कर सदियों पुराने पुरुष वर्चस्व की दीवारें तोड़कर एक अहम कदम उठाया है । ये कट्टूर के थरनेल्लूर थेक्किनियेदातु माना के एक ब्राह्मण परिवार से हैं ।
रिपोर्ट्स के अनुसार ज्योत्सना और अर्चना पिछले कुछ समय से त्रिशूर के एक मंदिर में पुरोताही कर रहीं हैं। वे आस-पास के मंदिरों में व अन्य स्थलों पर भी तांत्रिक अनुष्ठान कर रही हैं जिसे अभी तक केवल पुरुषों के वर्चस्व वाला क्षेत्र माना जाता रहा है। इन दोनों महिलाओं के पुरोताही करने से समाज में एक बड़ा परिवर्तन आ सकता है और महिलाएं भी पुरोताही जैसी चीजों में शामिल होना शुरू कर सकती हैं। हालांकि अर्चना और उनकी बेटी का ऐसा उद्देश्य बिल्कुल नहीं है कि वे अपनी पुरोहिताई द्वारा लैंगिक समानता की कोई पहल या समाज में व्याप्त लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने आदि की कोशिश कर रहीं हैं। ज्योत्स्ना और अर्चना का एक सुर में कहना है कि वे समाज को कुछ साबित करने के लिए नहीं केवल अपनी भक्ति के कारण पुरोहिताई कर रहीं हैं ।
ज्योत्सना वेदांत और साहित्य में परास्नातक कर चुकीं हैं। उनका कहना है कि उन्होंने सात साल की उम्र से ही तंत्र विद्या सीखना शुरू कर दिया था और पुरोहित की भूमिका निभाना हमेशा से ही इनका एक सपना था। आगे उन्होंने कहा कि मैं अपने पिता पद्मनाभन नम्बूदरिपाद को पूजा तथा तांत्रिक अनुष्ठान करते हुए देखकर बड़ी हुई हूं। इसलिए इसे सीखने का सपना मेरे दिमाग में तब से ही पनपना शुरू हो गया था जब मैं बहुत छोटी थी। जब मैंने अपने पिता से अपने इस सपने के बारे में बताया तो उन्होंने विरोध न करके मेरा सहयोग किया। क्योंकि किसी भी ग्रंथ या परंपरा में महिलाओं को तांत्रिक अनुष्ठान करने या मंत्र पढ़ने से नहीं रोका गया है। ज्योत्सना ने अपने परिवार के पैतृक मंदिर पैनकन्निकावु श्री कृष्ण मंदिर में पुरोहित हैं और मुख्य पुजारी उनके पिता हैं।
जब बेटी ने पूजा-पाठ करना और तांत्रिक अनुष्ठान सीखना शुरू किया तो एक अच्छी बात यह हुई की केवल घर के कामों में ही व्यस्त रहने वाली उनकी मां अर्चना कुमारी भी अपनी बेटी के साथ जुड़ गयी और पुरोहिताई सीख ली। धार्मिक परम्परों को ध्यान में रखते हुए माहवारी के दौरान दोनों मां बेटी पुरोहिताई और पूजा -पाठ से एकदम दूर रहती हैं। हालांकि ज्योत्सना और अर्चना अपनी भक्ति के कारण पुरोताही में शामिल हुई है लेकिन हो सकता है कि आगे चल कर ये महिलाओं के लिए पुरोहिताई से जुड़ने का एक माध्यम बन जाये।