प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कुछ ही देर पहले अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराया है. भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है.इससे पहले यह क्षमता अमेरिका, रूस और चीन के ही पास थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने जो नई क्षमता हासिल की है, यह किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि तेज गति से बढ़ रहे हिन्दुस्तान की रक्षमात्मक पहल है ।पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आज का यह परीक्षण किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय कानून या संधि समझौतों का उल्लंघन नहीं करता है। हम इसका इस्तेमाल 130 करोड़ देशवासियों की सुरक्षा और शांति के लिए करना है इस परीक्षण के बाद भारत ने एक बार फिर दुनिया में अपना लोहा मनवाया है.
वैज्ञानिकों की मानें तो भारत का ये सफल ऑपरेशन बहुत महत्वपूर्ण है.वैज्ञानिक आरपी टंडन ने बताया कि अब भारत जल, नभ और थल के अलावा अंतरिक्ष में भी दुश्मन की हरकतों पर नज़र रख सकता है. यानी अगर कोई दुश्मन देश अंतरिक्ष में सैटेलाइट के जरिए भारत पर नज़र रख रहा है या फिर जासूसी कर रहा है तो भारत उसकी ही मिसाइल को नष्ट कर सकता है.ये मिशन पूरी तरह से मेक इन इंडिया है, यानी इस मिशन को इसरो और DRDO की सहायता से ही पूरा किया गया है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में जब हुवा था परमाणु परीक्षण,तब दुनिया के किसी भी देश को खबर नहीं थी कि भारत इतनी बड़ी तैयारी कर रहा है या फिर कर भी दिया है और आज भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ है.
11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में 3 परमाणु बमों का सफल परीक्षण किया गया था, इसी के साथ ही भारत न्यूक्लियर नेशन बन गया . न्यूक्लियर टेस्ट का काम पर्दे के पीछे किया गया था ताकि किसी को खबर ना लग सके. यहां तक कि अमेरिका के खुफिया सैटेलाइट्स को भी इसकी भनक नहीं थी.तब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी थी, जिससे दुनिया चौंक गई थी. तब दुनिया के कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे. हालांकि, इसके बावजूद भारत सरकार पीछे नहीं हटी थी. खास बात ये है कि उस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ ही था. उस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और रक्षा मंत्रालय के सलाहकार वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे.
इस ऑपरेशन का नाम ‘मिशन शक्ति’ है, जबकि पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण के मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ था.