महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच बयानबाज़ी तेज़ होती जा रही है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने शनिवार ,2 नवंबर को भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। राउत ने कहा कि भाजपा क्या विधायकों को धमकी दे रही है? इससे पहले 1 नवंबर ,शुक्रवार को मुनगंटीवार ने कहा था कि राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मुनगंटीवार के बयान को जनादेश का अपमान बताते हुए पूछा- ‘‘क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं? राष्ट्रपति की मुहर वाला रबर स्टेंप राज्य के भाजपा ऑफिस में ही रखा हुआ है? भाजपा का शासन नहीं आया तो क्या इस मुहर का प्रयोग कर राज्य में आपातकाल लागू किया जा सकता है?’’ ‘‘महाराष्ट्र की राजनीति फिलहाल एक मजेदार शोभायात्रा बन गई है। राज्य की सरकार तो नहीं लेकिन विदा होती सरकार के बुझे हुए जुगनू रोज नए मजाक करके महाराष्ट्र को कठिनाई में डाल रहे हैं।’’ ‘‘मुनगंटीवार और उनकी पार्टी के मन में कौन-सा जहर उबाल मार रहा है, ये उनके राष्ट्रपति शासन वाले वक्तव्य से समझा जा सकता है। कानून और संविधान का अभ्यास कम हो तो ये होता ही है। कानून और संविधान को दबाकर जो चाहिए, यह करने की नीति इसके पीछे हो सकती है।’’

राउत ने कहा, ‘‘राज्य में सरकार के गठन में देरी हो रही है और सत्ताधारी पार्टी का एक मंत्री यह कहे कि सरकार गठित नहीं हुई तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। क्या यह चुने हुए विधायकों को धमकी है?’’ हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद शनिवार को मुनगंटीवार ने कहा, ‘‘मीडिया कर्मियों ने उनसे पूछा था कि अगर समय से सरकार का गठन नहीं होता तो क्या होगा? संविधान के प्रावधान के मद्देनजर मैंने कहा था कि राष्ट्रपति शासन लागू होगा। मानिए, अगर एक टीचर, छात्र के सवाल का जवाब देता है तो क्या उसे चेतावनी मानना चाहिए?’’
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वहीं, शरद पवार से मुलाकात को लेकर राउत ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में जो स्थितियां बन रही हैं। सभी दल एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। सिवाय शिवसेना और भाजपा के।’’ हालांकि, यह भी कहा कि शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा है और हम राजधर्म का धर्म निभाते हुए अंतिम सांस तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।

सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पक्ष में आए जरूर हैं। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जीत मिली है, लेकिन नतीजे वैसे नहीं रहे जैसी उन्हें उम्मीद थी। बीजेपी ने 105 सीटें जीती हैं, तो उसकी गठबंधन सहयोगी शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली है।
अगर बीजेपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाते हैं, तो बहुमत संयुक्त रूप से दोनों के पक्ष में है। अगर साथ नहीं आते हैं, तो किसी पार्टी के पास अपने दम पर सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है। महाराष्ट्र विधानसभा में सदस्यों की संख्या 288 है। ऐसे में सूबे में सरकार बनाने के लिए 146 सीटों का जादुई आंकड़ा छूना जरूरी है।