महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार एक बार फिर विवादों में है। इस बार आरोप है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए निर्भया फंड से करीब 30 करोड़ से खरीदी गई गाड़ियों का इस्तेमाल सत्तारूढ़ दल (शिंदे गुट) के नेताओं की सुरक्षा में किया जा रहा है। इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने भी शिंदे सरकार पर जमकर निशाना साधा है,और सवाल पूछा है कि क्या शिंदे सरकार के लिए नेताओं की सुरक्षा महिलाओं की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है।
दरअसल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध से लड़ने के लिए निर्भया फंड के तहत इस साल की शुरुआत में मुंबई पुलिस द्वारा खरीदे गए कुछ वाहनों का उपयोग वर्तमान में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के विधायकों और सांसदों को ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। बता दें कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए सरकार ने साल 2013 में महिला सुरक्षा के उद्देश्य से राज्यों के लिए ये फंड बनाया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,इस साल जून में मुंबई पुलिस ने 220 बोलेरो और 35 अर्टिगा गाड़ियां, 313 पल्सर मोटरसाइकिल के अलावा 200 एक्टिवा स्कूटर खरीदने गए। इसके लिए निर्भया फंड से 30 करोड़ रुपये निकाले गए,जोकि बाद में ये गाड़ियां अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में बांट दी गई,लेकिन महाराष्ट्र में हुए सियासी उठापटक के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के 40 विधायकों और एक दर्जन मंत्रियों को ‘वाई-प्लस सुरक्षा’ देने के लिए मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग ने मुंबई पुलिस से 47 बोलेरो देने की गुजारिश की गई थी। यह सुरक्षा व्यवस्था देने की ये गुजारिश वीआईपी सिक्योरिटी विभाग की तरफ से की गई थी। हालांकि बाद में सुरक्षा के लिए जो 47 बोलेरो दी गई उनमें से 17 वापस हो गईं, लेकिन 30 गाड़ियां अब तक वापस नहीं हो पाई हैं। ‘नेताओं कि वाई-प्लस’ स्तर की सुरक्षा में एक गाड़ी के साथ पांच पुलिसकर्मी चौबीसों घंटे सुरक्षा में तैनात होते है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,इस मामले पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि,निर्भया फंड से खरीदी गई गाड़ियों को अलग-अलग पुलिस स्टेशनों को भेज दी गई। अधिकारी ने यह भी कहा जहां-जहां गाड़ियों की कमी थी, वहां इस कारण कोई जरूरी काम ना रूके है। शहर के 95 पुलिस स्टेशनों को गाड़िया दी गई। संवेदनशील इलाकों की पहचान कर कुछ पुलिस स्टेशनों को एक गाड़ी दी गई ,जबकि कुछ पुलिस स्टेशनों को दो गाड़ियां दी गई । हालांकि पुलिस स्टेशनों को दी गई गाड़ियां कुछ दिन बाद सुरक्षा में लगाने के लिए वापस मांगा गया। मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग के एक सूत्र के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि,सुरक्षा के लिए गाड़ियों की व्यवस्था मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग करनी थी,जिसके लिए अस्थायी तौर पर 30 गाड़ियां पुलिस स्टेशनों से वापस मांगी गई,पुलिस स्टेशनों की गुजारिश पर कुछ गाड़ियां वापस मिलीं लेकिन अभी भी कुछ गाड़ियां वापिस नहीं आई हैं।
विपक्षी पार्टियों ने उठाए शिंदे सरकार पर सवाल
कांग्रेस और एनसीपी ने सत्तारूढ़ दल के सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वाहनों को इस्तेमाल करने के लिए शिंदे सरकार पर सवाल उठाए है।
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने तो शिंदे सरकार से सवाल किया है कि क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं को दुर्व्यवहार से बचाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि निर्भया कोष का इस्तेमाल विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जाना भयावह और अपमानजनक है।एनसीपी प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा है कि निर्भया कोष से खरीदी गई गाड़ियों को एकनाथ शिंदे विधायकों को ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया गया। शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा सत्ता का शर्मनाक दुरुपयोग किया गया। एकनाथ शिंदे के विधायकों को शर्म से मर जाना चाहिए।
एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा निर्भया कोष की स्थापना की गई थी। उन्होंने चौंकाने वाली बात यह कहीं है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए अपने कर्तव्यों को पूरा करने में पुलिस की मदद के लिए खरीदे गए वाहनों का दुरुपयोग विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री जनता का समर्थन करने का दावा करते हैं तो दूसरी तरफ पाला बदलने वाले विधायकों और सांसदों को ‘वाई-प्लस श्रेणी’ की सुरक्षा मुहैया कराते है, जिसमें 5 पुलिसकर्मी शामिल हैं। उन्होंने पूछा,अगर लोग आपके साथ हैं, तो आपको क्या डर है? पाटिल ने मांग की कि वाहनों को संबंधित थानों में वापस भेजा जाए । साथ ही कहा कि महिलाओं की सुरक्षा दलबदलू विधायकों की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।